17.1.14

राजनीति के तमाशें का हिस्सा बनी आम आदमी पार्टी

-बड़बोलापन पड़ रहा है अब भारी, मीडिया को भी नचाया
-जनता वादों, बातों, हरकतों को वक्त के तराजू में तोल रही है
-नितिन सबरंगी
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में राजनीति वाकई एक तमाशा है। बोलना अच्छा होता है लेकिन बड़बोलापन अच्छा नहीं। यकीनन आम आदमी पार्टी में कुछ ऐसा ही चल रहा है। जनता ने बड़ी उम्मीदों से अरविंद केजरीवाल को सत्ता दी है, लेकिन उनके खरे उतरने पर सवाल उठ रहे हैं। बात केवल विपक्षी पार्टियों की नहीं बल्कि आम जनता की भी है। हर बात को विपक्षियों की साजिश करार भी नहीं दिया जा सकता। जनता की अपेक्षा से वादों की नाव पर सवार होकर जो वोट हासिल किये हैं उनका बदला तो चुकाना ही होगा। मतदाताओं के मन को टटोलिये उन्हें बहुत कुछ समझ में आने लगा है या यूं कहें कि राजनीति है ही ऐसी कि जो इसमें जाता है उसे खुद को बदलना पड़ता है। बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि ‘पहले तौलो फिर बोलो’ बात छोटी है परन्तु अति महत्वपूर्ण भी है। कई बार इंसान क्या ओर कितना बोल जाता है उ
से खुद भी पता नहीं होता। वैसे केजरीवाल जी को पता होगा क्योंकि वह गंभीर स्वभाव के व्यक्ति हैं। सवाल उठ रहे हैं कि मीडिया में तमाशा ज्यादा हो रहा है। इस
बात में दम है तभी सवाल उठ रहे हैं। अपने-पराये पोल खोलकर झूठ पकड़कर सामने ला रहे हैं। अपने ही विधायक बिन्नी झूठा बता रहे हैं। जनता महंगाई ओर भ्रष्टाचार से त्रस्त थी ओर है केवल इसीलिए तो उसने एक नई पार्टी को चुना वह भी इसलिए कि उनमें साधारण झलक थी ओर वादे भी कुछ अलग थे। अब यदि वादे पूरे नहीं होते तो भावनाएं तो आहत होंगी हीं। कथनी ओर करनी में बार-बार फर्क होगा, तो पकड़ में बातें आ ही जाती हैं।
एक चैनल ने सर्वे कर डाला। हालंाकि ऐसे सर्वे के कोई बहुत मायने भले ही न माने जायें, लेकिन सर्वे क मुताबिक 83 प्रतिशत जनता मान रही है कि केजरीवाल ने जनता को धोखा दिया है। हुजूर यह कहना अभी जल्दबाजी होगी थोड़ा इंतजार कीजिए। ख्वाहिशों का भी अंत नहीं हुआ है। साहब ने पूरे देश में पंख फैला दिए है लोकसभा चुनाव के लिये। सच चाहे जो भी हो लेकिन झूठ की गठरी की जब गांठे खुलतीं हैं तो उसमें बांधने को कुछ नहीं रहता। कार्यकर्ता बढ़ रहे हैं। आप देखिए सभी ईमानदार हैं, बेईमान ढूंढे नहीं मिलेंगे। सांसारिक हकीकत है कि प्रत्येक व्यक्ति के मन में लालच, महत्वाकांक्षा, लोभ जैसे गुण विद्यमान होते हैं। किसी में कम किसी में ज्यादा। हवा के बाद हर शहर में ऐसे लोग आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता बताने लगे हैं जो कुछ कारनामेबाज रहे हैं। जरा उनसे पूछिए क्या कभी भ्रष्टाचार को किसी भी रूप में बढ़ावा नहीं दिया। उनको देखकर जो वाकई आम आदमी है वह मुस्करा रहा है। करोड़ों का कारोबार, व्यापार करने वाले भी आम आदमी हो गए!
कुमार विश्वास जैसे सिपाही के बड़बोलेपन ओर स्वभाव को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। सही भी हैं। हर एंगल से बंदे में अंहकार जैसे लक्षण नजर आते हैं। नाउम्मीद जीत का उत्साह ही कहा जायेगा कि कुछ भी बोले देते है किसी के बारे में कुछ-कुछ व्यापारी बाबा की तरह। पुराने मामले खुल रहे हैं जो अब संभालने नहीं संभल रहे। वैसे तर्जुबा उम्र ओर ठोकरों से आता है। दूसरे नेता जी कश्मीर पर शर्मनाक बयान देते हैं। किसी भी भारतीय को गुस्सा आ जाये। राखी बिड़ला वाले मामले को ही लें। बच्चे की बॉल से कार का शीशा टूट गया बेवजह एक बड़ी नौटंकी हो गई। इसकी पोल भी खुल गई। बच्चे की माँ ने तत्काल माफी भी मांग ली थी लेकिन मुकदमा लिखा दिया गया। रिपोर्ट आयी कि मासूम बच्चा डर गया तीन दिन तक खाना नहीं खाया। दहशतजदा परिवार घर छोड़कर चला गया। जब पता था तो क्यों ड्रामा किया गया? पूरी आम आदमी पार्टी को जरूरत संतुलन की है ओर कुछ कर दिखाने की। यह साफ है कि कई तराजू हैं जो वक्त के साथ उसे तौलना जारी रखेंगे। यह तराजू जनता के हाथ में ही है।

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