4.1.14

मैं धर्म निरपेक्ष हूँ

मैं धर्म निरपेक्ष हूँ

मेरा परिचय यही
कि-
मैं धर्म निरपेक्ष हूँ।
मौका परस्त नेताओं की गोद में,
फलता हूँ -फूलता हूँ।
मेरा आतंक
मेरी अराजकता
मेरा राष्ट्रद्रोह
मेरा अनाचार
मेरा अत्याचार
सत्ता के दलालों को नहीं दीखता
उन्हें दीखता है -सिर्फ
सत्ता की ओर ले जाने वाला
मेरा कुटिल चेहरा
जो फूलों के आवरण में लिपटा है।
लोग पूछते हैं-
मेरे मजहब पर सवाल ?
होता है मेरा जबाब -
ना मैं हिन्दू हूँ
ना मैं मुस्लिम हूँ
ना ईसाई हूँ
ना मैं इन्सान हूँ
क्योंकि-
हर मज़हब जुड़ा है सद्भाव से।
कोई भगवान में मानता है
कोई पैग़म्बर में मानता है
कोई यीशु में मानता है
जबकि मैं तो कुटिल हूँ
गंदे राजनेता
अपना उल्लू सीधा करने
मुझे धर्म से जोड़ देते हैं
जाति से जोड़ देते हैं
जबकि
मैं खुद को जानता हूँ
खुद को पहचानता हूँ
मैं जहाँ भी रहता हूँ
वहाँ के संप्रदायों को
आपस में लड़ा देता हूँ        

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