साहब .....! मजीठिया नहीं तो कम से कम मणिसाना वेतन बोर्ड की दर से ही इन छोटे भाइयों को कम से कम वेतन दिला दो बड़ी कृपा होगी! आख़िर अब तो बुद्धिजीवी बन जाइए श्रमज़ीवी कब तक कहलाकरअपना खून चुसवाते रहेंगे?भैया कुछतो कीजिए बड़ी उम्मीद लगाए बैठे हैं बेचारे ........आपके सहारे अब अपने ठुकराया तो फिर सोचिए फिर ये कहाँ जाएँगे?
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