18.2.14

चुनाव में अपने पैसे से फोरलेन और बड़ी रेल लाइन बनाने की गर्जना करने वाले मुनमुन अब लगा रहे गुहार
अपन को गैर राजनैतिक कहने वाले जनमंच के कुछ अवशेषों को एक पत्र में फोर लेन में राजनैतिक अड़ंगे डालने के षड़यंत्र की बू आ रही थी और दूसरे पत्रों में आशा की किरण दिखायी दे रही है। अब ऐसे दोहरे चरित्र और आचरण वालों के लिये भला क्या कहा जा सकता है? जनता दरबार में प्रत्याशियों के कार्यक्रम में हजारों लोगों के सामने निर्दलीय उम्मीदवार दिनेश मुनमुन राय ने कांग्रेस और भाजपा को आड़े हाथों लेते हुये गरज कर कहा था कि यदि वे चुनाव जीतते है तो अपने पैसे से फोर लेन और बड़ी रेल लाइन का काम करा देंगें। मतदाताओं ने यह सोच कर वोट दिया था कि इधर मुनमुन जीते और उधर वे अपने पैसे से फोर लेन और बड़ी रेल लाइन का काम प्रारंभ करा देंगें। लेकिन जनता को निराशा ही हाथ लगी है। नीता पटेरिया को प्रदेश भाजपा ने बालाघाट लोस द्वोत्र का प्रभारी बनाकर पुरुस्कृत किया या टिकटि की दौड़ से बाहर? इसका खुलासा अभी होने को है। लोकसभा चुनाव की टिकिट को लेकर जिले के कांग्रेसी हल्कों में कोई चर्चा तक नहीं हो रही है। वैसे भी परिसीमन में सिवनी संसदीय क्षेत्र समाप्त होने तथा जिले के चारों विस क्षेत्र भी एक ही लोस क्षेत्र में ना रहने से जिले का राजनैतिक महत्व ही समाप्त हो गया है।
चिट्ठी चिट्ठी में भी देखते है फर्क-एक चिट्ठी वो थी एक चिट्ठी यह भी है। वो भी केन्द्रीय मंत्रियों को लिखी गयी थी ये भी एक केन्द्रीय मंत्री को लिखी गयी है। वो भी फोर लेन के लिये लिखी गयी थी ये भी फोर लेन के लिये लिखी गयी है। उसमें भी वाइल्ड लाइफ बोर्ड से व्यवधान दूर कराने का अनुरोध किया गया था इसमें भी यही किया गया है। लेकिन अपने अपन को गैर राजनैतिक कहने वाले जनमंच के कुछ अवशेषों को उसमें राजनैतिक फोर लेन में अड़ंगे डालने के षड़यंत्र की बू आ रही थी और इसमें आशा की किरण दिखायी दे रही है। जी हां हम बात कर रहें हैं फोर लेन के के लिये लिखी गयी चिट्ठियों बारे में। एक चिट्ठी जब इंका नेता आशुतोष वर्मा ने प्रधानमंत्री सहित अन्य केन्द्रीय मंत्रियों को भेजी गयी और तो उसे फोर लेन में अड़ंगा डालने के एक और षड़यंत्र की शुरुआत मानी गयी जबकि दूसरी चिट्ठी जब शिवराज सिंह और विधायक मुनमुन ने लिखी और वन मंत्री को जनमंच के संजय तिवारी और भोजराज मदने के साथ जाकर दी गयी तो उससे आशा की किरण दिखायी देने लगी। अब ऐसे दोहरे चरित्र और आचरण वालों के लिये भला क्या कहा जा सकता है?     
अपने पैसे से फोर लेन बनाने के मुनमुन के वायदे का क्या हुआ?-विस चुनाव प्रचार के दौरान गांधी चौक में दैनिक हंटर समाचार पत्र द्वारा आयोजित जनता दरबार में प्रत्याशियों के कार्यक्रम में हजारों लोगों के सामने निर्दलीय उम्मीदवार दिनेश मुनमुन राय ने कांग्रेस और भाजपा को आड़े हाथों लेते हुये गरज कर कहा था कि यदि वे चुनाव जीतते है तो अपने पैसे से फोर लेन और बड़ी रेल लाइन का काम करा देंगें। इन दोनों समस्याओं से त्रस्त जनता ने मुनमुन को इतने अधिक वोटों से जिता दिया जितनी कि उनको भी उम्मीद नहीं रही होगी। सिवनी क्षेत्र के मतदाताओं ने यह सोच कर वोट दिया था कि इधर मुनमुन जीते और उधर वे अपने पैसे से फोर लेन और बड़ी रेल लाइन का काम प्रारंभ करा देंगें। लेकिन जनता को निराशा ही हाथ लगी। कोई भी जीतता तो शायद वो भी यहीं से प्रयास चालू करता जहां से मुनमुन ने चालू किये है। मुनमुन ने नवम्बर में चुनाव जीतने के बाद 1 फरवरी को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान इन मांगों को उठाया और फिर 10 फरवरी को दिल्ली में शिवराज के साथ वन एवं पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोइली से भी मिले। इनके साथ जनमंच के वे अवशेष भी शामिल थे जिन्होंने शुरू से ही निर्वाचित जन प्रतिनिधियों पर निकम्मेपन का आरोप लगाते हुये उनसे परहेज करने की रणनीति अपना रखी थी। इसी यात्रा में मुनमुन रेलमंत्री से भी मिल लिये जबकि उन्हें इस बात की जानकारी थी कि 12 फरवरी को संसद में अनुपूरक रेल बजट पेश किया जाने वाला है। लेकिन इस सबके बाद भी मुनमुन इस बात में तो सफल हो गये कि वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के फोर लेन के लिये दिल्ली चले गये वरना वे तो पिछले पांच साल से सिवनी के प्रतिनिधिमंड़ल को दिल्ली ले जाने का वायदा करते रहें है। शिवराज ने फोर लेन जैसे ज्वलंत मुद्दे पर दिल्ली यात्रा में सिवनी के भाजपा प्रत्याशी और जिला भाजपाध्यक्ष नरेश दिवाकर से क्यों परहेज किया?जिले के किसी भी भाजपा नेता चाहे वे विधायक कमल मर्सकोले हों,या डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन हों या नीता पटेरिया हों या फिर शशि ठाकुर के बजाय निर्दलीय विधायक मुनमुन राय को अपने साथ ले जाना क्यों पसंद किया?इसे लेकर सियासी हल्कों में तरह तरह की चर्चायें हो रहीं है। 
नीता पटेरिया बनी बालाघाट लोस क्षेत्र की प्रभारी-जिले की जनपद सदस्य,जिला पंचायत सदस्य,सांसद और विधायक रहीं भाजपा नेत्री नीता पटेरिया को बालाघाट संसदीय क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया है। नीता समर्थक इसे उनकी उपलब्धि मान रहें है। विधायक रहते हुये उनकी टिकिट काट कर पूर्व विधायक नरेश दिवाकर को दी गयी थी। लेकिन इस चुनाव में पांच बार से जीतने वाली भाजपा की हालत पतली हो गयी और यहां से निर्दलीय मुनमुन राय ने उसे 22 हजार वोटों से हरा दिया। भाजपा की इस करारी हार के बाद नीता की इस नियुक्ति को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह भी तय किया गया है कि  लोस चुनावों के लिये भाजपा ने जिन नेताओं को प्रभारी बनाया है उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकिट नहीं दी जायेगी। कुछ विश्लेषकों का ऐसा मानना है कि इस तरह प्रदेश नेतृत्व ने नीता को बालाघाट संसदीय क्षेत्र से टिकिट की दौड़ से बाहर कर दिया है। अब देखना यह है कि बहनों के भाई और भांजियों के मामा शिवराज नीता पटेरिया का क्या राजनैतिक उपयोग करना पसंद करेंगें? 
कांग्रेस में टिकिट को लेकर उत्सुकता नही -लोकसभा चुनाव की टिकिट को लेकर जिले के कांग्रेसी हल्कों में कोई चर्चा तक नहीं हो रही है। वैसे भी परिसीमन में सिवनी संसदीय क्षेत्र समाप्त होने तथा जिले के चारों विस क्षेत्र भी एक ही लोस क्षेत्र में ना रहने से जिले का राजनैतिक महत्व ही समाप्त हो गया है। उल्लेखनीय है परिसीमन में जिले की बरघाट और सिवनी सीट बालाघाट लोस में तथा केवलारी और लखनादौन सीट मंड़ला (अजा) लोस में शामिल कर दिये गये है। दोनों ही क्षेत्रों 6 विस क्षेत्र अन्य जिलों के है। इसलिये जिले के कांग्रेसी हल्कों में अभी तक टिकिट को लेकर कोई गंभीर चर्चा तक नहीं हो रही है तथा ना ही दोनों क्षेत्रों के कांग्रेस की टिकिट चाहने वाले नेताओं ने ही अपनी कोई सक्रियता इस जिले में दिखायी है।पिछले चुनाव में मंड़ला से कांग्रेस के बसोरी सिंह मसराम सांसद है जिन्होंने भाजपा के दिग्गज फग्गन सिंह कुलस्ते को हराया था और बालाघाट से भाजपा के के.डी.देशमुख ने कांग्रेस के विश्वेश्वर भगत को चुनाव हराया था। लेकिन सांसद के.डी.देशमुख अब भाजपा से कटंगी क्षेत्र के विधायक बन गये है। इसलिये दोनों ही पार्टियों से नये उम्मीदवार बनाये जाने की चर्चा है। इन दिनो जारी चर्चाओं के अनुसार कांग्रेस से लांजी की युवा विधायक हिना कावरे और परसवाड़ा के विधायक मधु भगत का नाम संभावित उम्मीदवारों के रूप में लिया जा रहा है। ऐसी भी चर्चायें हैं कि मंड़ला से भी कांग्रेस किसी नये प्रत्याशी पर दांव खेल सकती है। अब यह तो वक्त आने पर ही स्पष्ट हो पायेगा कि कांग्रेस किसको अपना प्रत्याश बनाती है।“मुसाफिर” 
साप्ताहिक दर्पण झूठ ना बोले सिवनी
18 फरवरी 2014 से साभार 

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