26.2.14

बहुत टर्र टर्र करते हो ना !!

बहुत टर्र टर्र करते हो ना !!

दिल करता है पाँच -सात लाफे चटका दूँ  या फिर पोने दस कोड़े मारु बद जबान को !
जितनी साल जितनी खुराफातें करी थी साले ने पूरी की पूरी गिन गिन कर लिख
डाली दिवार पर ! और तो और उसकी बात को हवा देने के लिए एक गुनाह की
तस्वीर को लाख जगह चिपका डाला और वह भी फोकट में !किस घडी का पाप था
जो खुल कर सामने आ गया !!

क्या हुआ ताऊ,क्यों गर्म भजिये की तरह उफन रहे हो? हमने जानबूझ कर पूछ
लिया।

 अरे! कुछ साल हेराफेरी कर ली तो कौनसा गुनाह कर दिया,आज तक सबने
मिलकर कब पुण्य का काम किया था,65 बरस से यही सब तो हो रहा था ;मेने
थोडा संगठित तरीके से किया ,पूरा गिरोह बनाया ,बड़ी सफाई से चाटा था तिजोरी
को !पूरा का पूरा नहीं डकारा था ,इतना नुगरा नहीं था ,जहाँ -जहाँ नजर गई वहाँ
तक सबको चाटने का मौका दिया,कोई चाटते देख ना ले इसलिए सब पर नजर
भी रखी और तो और इन भिनभिनाती मक्खियों को भी चीनी के दाने वक्त बेवक्त
डालता रहा ,मगर आज ये मक्खियाँ सबके कानों में जा जाकर पोल खोल रही है
और वह भी ऐसे वक्त में जब खाली हो रही जगह को फिर से भरना था !!!

अरे ताऊ ,इनका क्या बुरा मान बैठे ,ये तो भुलक्कड़ हैं ,सब किया धरा माफ कर
फिर से विजयी भव: कह दिया करते हैं। मेने सांत्वना देते हुए कहा

अरे !तुम समय को समझ नहीं पा रहे हो बच्चू ,वक्त बड़ा ख़राब आ रहा है,मेने
पहले ही कहा था मत लाओ सोशल मीडिया को ,इन सबको जाहिल ,अनपढ़ ही
रहने दो पर वो बाप खुद तो चला गया और अब हम छाती कूट कूट कर रो रहे हैं !
ये अखबार वाले कोई कम तंग करते हैं हमको,थोडा सा हाथ सफाई में चुक गये
तो गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाने लगते हैं ,ऐसा रिप्ले दिखाते हैं दिन भर कि
लोग उसे बार बार असली मान लेते हैं और ये जब थकते हैं तो सोशल मिडिया
के करोड़ों मेढ़क टर्र -टर्र करने लग जाते हैं। बोलते हैं पगार लेते हैं तो काम करो,
हम इनके चाकर हैं क्या !जब से ककहरा सीखा है इन लोगों ने तब से उपदेश देने
लगे हैं। ये तो हमारे ही हिये फूटे थे बच्चू ,फिरंगी साहबों के किस्मत ठीक थे ,मजे
से लूट लिया करते थे।

मगर अब तो ताऊ तेरे बचने के रास्ते नहीं दिख रहे हैं मन्ने तो।  मेने ताऊ को छेड़ा

मेरी बात सुन ताऊ गुर्राया और बोला -कम ना समझ हमको बच्चू !हमने दुनियाँ
देखी है, दौ चार टर्राते मेढ़को को पकड़ कर टेंटुआ दबा दूँगा ना सब कुएँ में छलाँग
मारते नजर आयेंगे !!

फिर शुभ काम में देरी क्यों ताऊ ,अभी तो लकड़ी भी तूने ही पकड़ रखी है ,घुमा दे
ताऊ, मेने पुन: उकसाते हुए कहा

ताऊ बोला -छोरे,बात तो तेरी नेक लागे और तेरा नँबर भी पहले आवै मगर सामने
जो समय है ना वो मेढ़कों का ही है। इबकै बार ये मेढ़कों ने मेरे पर ठप्पा मार दिया
और मैं फिर जीत के आ गया तो ये पक्का जाण ले कि सोशल मीडिया कोई कहानी
बन जावेगा!!

मेने जाते जाते कहा -ताऊ फिर तो पक्का जाण कि तेरे करम फुट ही गए।  सोशल
मीडिया तो रहेगा पर तूं कहीं नजर ना आवेगा। 

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