12.4.14

देशभक्त जवानों को गंदी राजनीति में मत घसीटिए आजम जी!

-वतन की हिम्मत सैनिकों से है, राजनीति से नहीं। 
-करगिल युद्व हिन्दुस्तानियों ने जीता 


बयानबाजी में कुख्यात हो चुके यूपी के ताकतवर मंत्री आजम खां कहते हैं कि कारगिल का युद्व मुस्लिम सैनिकों ने लड़ा....उन्होंने कुर्बानियां दीं---.ओर भी बहुत कुछ। उनका बयान केवल मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिये था। जवानों की कुर्बानियों को भी धर्म में बांट दिया। कुर्बानियों पर सियासत न करें जनाब राजनीति वाकई हद दर्जे तक गिर गई है। आजम साहब को कौन समझाये कि सरहदों की हिफाजत करने वाले राजनीति से आजाद होते हैं। उनकी सोच घिनौनी ओर अपाहिज नहीं होती, कोई लालच भी नहीं होता। फर्ज के प्रति ईमानदारी उनकी सबसे बड़ी दौलत होती है। सवाल यह है कि ऐसा कहकर सैनिकों को क्यों राजनीति में ला रहे हैं। जनाब एक वही तो है जिनकी बदौलत हम महफूज सोते हैं। नेताओं के हाथ सरहदें नहीं दी जा सकती क्या भरोसा वह सरहदों का भी सौदा कर दें क्योंकि राजनीति अब फर्ज नहीं सिर्फ मुनाफा देखती है। जवान सिर्फ फर्ज देखते हैं मुनाफा नहीं, करगिल युद्व किसी हिन्दू-मुसलमान ने नहीं बल्कि देशभक्त हिन्दुस्तानियों ने जीता था। जय हिन्द! मंत्री जी वही हैं एक महीने पहले जिनके तबेले से 7 भैंस चोरी हुई थीं। भैंस ताकतवर मंत्री की थीं। जिले में अलर्ट हुआ। चेकिंग अभियान चला। डॉग स्क्वॉएड भी आया। 5 किलोमीटर तक भैंसों के पैरों के निशानों को खोजा गया। कई थानों की पुलिस व क्राइम ब्रांच टीम ने दिन-रात मेहनत करके 24 घंटे में भैंसों को बरामद किया। तीन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड भी कर दिया गया। भैंसों की शिनाख्त परेड भी करायी गई। पुलिस अधिकारियों, तहसीलदार व लेखपालों ने बहुत मेहनत करके राहत की सांस ली। मीडिया से तो आजम साहब बहुत ही नाराज हैं क्योंकि वह उनकी भैंस ओर बयानों वाली खबर दिखाता है। दंगों की हकीकत भी सामने लाता है इसलिए वह दुश्मन है लोकसभा चुनाव हर कोई जीतना चाहता है। बड़े नेताजी के सीने में तो आग लगी है। मुलायम सिंह, नरेन्द्र मोदी, अरविन्द केजरीवाल सब कतार में हैं। राजनीति में जो बयानबाजियों का दौर चल रहा है वह हद दर्जे की गिरावट को दर्शाता है। न कोई शर्म न झिझक बस मुंह खोल दिया।

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