13.4.14

मयंक कवि विरचित मोदी चालीसा



श्री गणेश का नाम ले, धर शारद के पाँव |
राजनीति की धूप में, मोदी तरु की छाँव ||
अटल, सत्य संकल्प है, सदा नमो के पास |
उद्यत करने को हुये, हर संकट का नाश ||
भीतर, बाहर सभी विरोधी | जनता कहती मोदी मोदी ||१||
बसपा, सपा असुर हैं भारी | कांग्रेस टोटल अत्याचारी ||२||
तुष्टिकरण, अनुचित आरक्षण | लोकतंत्र का करते भक्षण ||३||
कलि के कुटिल नराधम पापी | झाडू ले फिरते आआपी ||४||
कमल चिन्ह का बजा है डंका | मोदी भारत विमल मयंका ||५||
सुखी होय जग, खिले सरोजा | मोदी मोदी कहे मनोजा ||६||
राष्ट्र, धर्म, संस्कृति के साधक | जगदम्बा के श्रेष्ठ अराधक ||७||
नौ दिन निराहार व्रत रहते | भारत, भारत, भारत कहते ||८||
वन्देमातरम के अनुरागी | द्वेष, दम्भ, छल, छिद्र विरागी ||९||
अदना चाय बेचने वाला | संघर्षों ने जिसको पाला ||१०||
अब कहती है दुनिया सारी | राजनीति में यह अवतारी ||११||
खेले भारत माँ की गोदी | हर हर मोदी, घर घर मोदी ||१२||
आतंकी इण्डिया विरोधी | डर डर मोदी, थर थर मोदी ||१३||
संघ कार्य के राज्य प्रणेता | संत सदृश सज्जन जननेता ||१४||
दीन दशा जब भारत लख्या | सोमनाथ से चले अयोध्या ||१५||
जन्म लियो घर अति साधारण | उगा सूर्य जनु तम संहारण ||१६||
हीराबेन लला जनु मानिक | श्रद्धा भाव निखिल निगमादिक ||१७||
सादर है जन जन से नाता | मोदी भारत भाग्य विधाता ||१८||
कार्गिल जुद्ध कियो अरि भारी | प्रतिपक्षी दल बने मदारी ||१९||
भारत की प्रभुता संकट में | लख भारत माता सांसत में ||२०||
सेना के हित बने प्रवक्ता | गरज उठा शावक बन वक्ता ||२१||
पहना प्रलयंकर का चोगा | गोली का जवाब बम होगा ||२२||
आयो भुज भूकंप भयंकर | सवा साल में आठ लाख घर ||२३||
टाटा को गुजरात बुलायो | फ़ाइल में लाइफ ले आयो ||२४||
इधर धर्म अपनाने वाले | उधर देश को खाने वाले ||२५||
बहु विधि भारत के अपकारी | बहु प्रकार नर भ्रष्टाचारी ||२६||
सबके उर भय एक तुम्हारा | तुम नैया के खेवनहारा ||२७||
स्वयं साधना करके देखा | तुम भारत की जीवन रेखा ||२८||
बहुत दिनों से धरती बंजर | तुम छाये बन मेघ धुरंधर ||२९||
विश्वनाथ जी का अनुमोदन | राजनीति में हो संशोधन ||३०||
इसीलिये तुम काशी आये | धर्मप्राण हरिजन हर्षाये ||३१||
जय जय जय मोदी जन नायक | जड़ता हरो विकास प्रदायक ||३२||
कर्मकुशल संशाधन दोहक | रिपुजन दलन सर्वजन मोहक ||३३||
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा | तुमने एक रंग सब रंगा ||३४||
सबके दिल में कमल खिलाने | ऐक सूत्र जन सभी मिलाने ||३५||
पूरे सारे काज करेगा | यह दिल्ली में राज करेगा ||३६||
शुभ चुनाव का बिगुल बजा है | देवासुर संग्राम मचा है ||३७||
गूँज उठा है सारा अम्बर | यह अंतिम निर्णय का अवसर ||३८||
तैंतिस कोटि देव जागे हैं | देवसुतों से मत मांगे हैं ||३९||
जागो माता बहनों भाई | हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई ||४०||
सावधान मन कह रहा, पूरा भारत देश |
कमल बटन गंगा सदृश, कटे पाप अरु क्लेश ||  
                      

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