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स्टिंग ऑपरेशन और लोकमंगल-ब्रज की दुनिया

04-04-2014,ब्रजकिशोर सिंह,हाजीपुर। मित्रों,कभी तुलसी और सूर की कविताओं और उन दोनों के आराध्यों की समीक्षा करते हुए हिन्दी के सबसे बड़े आलोचक आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा था कि तुलसी लोकमंगल के कवि हैं और उनके राम के लिए भी लोकमंगल में ही अपना मंगल भी है। वहीं सूर के कृष्ण के लिए लोकमंगल प्राथमिकता नहीं है बल्कि आनन्द प्राथमिकता है। तुलसी के अनुसार आदर्श को सुधो मन,सुधो वचन,सुधो सब करतूती होना चाहिए।
मित्रों,आधुनिक युग संचार क्रांति का युग है। रोज-रोज नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। विज्ञान और तकनीक का सदुपयोग या दुरुपयोग स्वाभाविक रूप से मानव के स्वविवेक पर निर्भर करता है। आज इतने सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक यंत्र आ चुके हैं कि आपको इस बात का भान तक नहीं होता कि आपको कैमरे में कैद किया जा रहा है। प्रश्न उठता है कि क्या किसी को धोखा देकर बिना उसकी मर्जी के उसका वीडियो बनाना नैतिक रूप से उचित है? क्या यह सूधो मन,सूधो वचन,सूधो सब करतूती के मान्य सिद्धांत पर खरा उतरता है? क्या इस तरह से बनाए गए वीडियो को न्यायालय सबूत के रूप में स्वीकार करेगा? अगर न्यायालय ऐसा करता है तो उसे ऐसा करना चाहिए या नहीं?
मित्रों,सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कुकुरमुत्ते की तरह उग आई स्टिंग करनेवाली कंपनियों का उद्देश्य क्या है? क्या वे सिर्फ लोकमंगल के लिए स्टिंग करवाते हैं या फिर उनके भी निहित स्वार्थ हैं? इतिहास के पृष्ठों को अगर हम उलटें तो हम देखते हैं कि कभी तहलका ने स्टिंग करके तहलका मचा दिया था और बताया था कि एनडीए की सरकार में होनेवाली रक्षा खरीदों में कमीशनखोरी हो रही है। परन्तु उससे हजार गुना ज्यादा कमीशनखोरी परवर्ती कांग्रेस सरकार के समय में होती रही,स्थिति यहाँ तक बिगड़ी कि कोई नहीं कह सकता कि कौन-सी पनडुब्बी या युद्धपोत कब जल समाधि ले लेगा मगर तब तहलका ने कोई स्टिंग नहीं किया और मुंदहूँ आँख कतहुँ कछु नाहि को अपना मूलमंत्र बना लिया। सवाल उठता है कि क्या स्टिंग करनेवाले लोगों को निष्पक्ष नहीं होना चाहिए? अगर एनडीए का भ्रष्टाचार गलत था तो फिर गलत तो कांग्रेस का भ्रष्टाचार भी है। इसी तरह 2009 में 'नोट फॉर वोट' नामक स्टिंग आईबीएन 7 ने करवाया था। दिनभर 'खबर किसी भी कीमत पर' को अपना आदर्श माननेवाले इस चैनल पर घोषणा होती रही कि रात में स्टिंग को प्रसारित करके बताया जाएगा कि किस तरह कांग्रेस सरकार ने पैसे देकर सांसदों के मत खरीदे लेकिन न जाने किस चीज की कीमत पर स्टिंग को दबा दिया गया और प्रसारित नहीं किया गया। इसी प्रकार एक स्टिंग पिछले साल दिल्ली विधानसभा चुनावों के समय आया था जिसमें आप पार्टी के ढोंग की पोल खोली गई थी। हालाँकि इससे आप पार्टी को फायदा हुआ या नुकसान यह आज भी विवाद का विषय है लेकिन इस प्रयास की निश्चित रूप से सराहना की जानी चाहिए क्योंकि इसके पीछे निश्चित रूप से लोकमंगल निहित था।
मित्रों,कई बार देखा गया है कि स्टिंग ऑपरेशन करनेवाले निजी शत्रुता में स्टिंग करते हैं और तथ्यों को तोड़-मरोड़ देते हैं। उदाहरण के लिए वर्ष 2007 में एक स्टिंग में दक्षिण दिल्ली स्थित सर्वोदय कन्या विद्यालय की शिक्षिका उमा खुराना पर छात्राओं की अश्लील वीडियो बनाने का आरोप लगा था जो बाद में पूरी तरह से झूठा भी पाया गया था। लेकिन इस बीच अभिभावकों ने उमा के साथ मारपीट और बदसलूकी की,कपड़े तक फाड़ डाले थे। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को कई बार लाठीचार्ज करना पड़ा था और आँसूगैस के गोले भी छोड़ने पड़े थे।
मित्रों,आज कोबरा पोस्ट ने जो स्टिंग प्रसारित किया है उसमें कोई भी नया तथ्य या खुलासा नहीं है। पूरा भारत जानता है कि घटना पूर्वनियोजित थी। सवाल उठता है क्या कोबरा पोस्ट इस मामले में कांग्रेस के इशारे पर काम कर रहा है। क्या बाबरी के ढहाने की तरह इस स्टिंग का इस समय प्रसारण भी पूर्वनियोजित है? कल-परसों सोनिया ने बुखारी से भेंट की,आज बुखारी कांग्रेस के पक्ष में मुसलमानों से अपील कर सकते हैं ऐसे में अगर हम सारी बिखरी हुई कड़ियों को जोड़कर देखें तो इस समय इस स्टिंग के आने से सबसे ज्यादा लाभ कांग्रेस को होनेवाला है भले ही कोबरा पोस्ट की कांग्रेस से मिलीभगत हो या नहीं।
मित्रों,मैं यह नहीं कहता कि प्रत्येक स्थिति में स्टिंग करना गलत है। अनैतिक लोगों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने के लिए कभी-कभी अनैतिक कर्म करने पड़ते हैं लेकिन स्टिंग का एकमात्र उद्देश्य लोकमंगल होना चाहिए,देशोद्धार होना चाहिए। शुद्ध व्यावसायिक हित के लिए इसका दुरुपयोग करना निहायत गैरजिम्मेदाराना और गलत है। उस पर उनलोगों के पक्ष में इसका जाने-अनजाने में इस्तेमाल करना तो और भी गलत है जो देश को लगातार नुकसान पहुँचा रहे हैं और जिन्होंने घोटालों की वर्णमाला ही तैयार कर दी है। तुलसी के राम राज्याभिषेक के बाद प्रतिज्ञा करते हुए कहते हैं कि 'निशिचरहीन करौं महि हथ उठाई पण कीन्ह'। पृथ्वी को निशिचरहीन करते समय किसी तरह का भेदभाव नहीं किया था राम ने। उन्होंने केवल उनके कर्म देखकर उनको सजा दी थी न कि अपना-पराया के आधार पर उनमें भेदभाव किया था। अगर भाजपा का भ्रष्टाचार नुकसानदायक है तो कांग्रेस का भ्रष्टाचार भी नुकसानदेह होगा। अगर बाबरी मस्जिद को तोड़ना सुनियोजित था तो 2009 में वोट के लिए पैसे बाँटना भी सुनियोजित था। अगर भूतकाल में भाजपा की सांप्रदायिकता बुरी थी तो भूत और वर्तमान काल में कांग्रेस की सांप्रदायिकता भी उतनी ही बुरी है।
मित्रों,इसलिए स्टिंग करते समय एक तो स्टिंग करनेवाले लोगों को निष्पक्ष तो होना ही चाहिए और इसके साथ ही देशहित और लोकमंगल का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर इस स्टिंग से कांग्रेस को अप्रत्याशित लाभ हो जाता है और वह एक बार फिर से सत्ता में वापस आ जाती है तो निश्चित रूप से वह अपने उसी एजेंडे को आगे बढ़ाएगी जिस पर उसकी सरकार पिछले 10 सालों से काम करती रही है अर्थात् देश को लूटने की गति और तरीका और भी आक्रामक और निर्लज्ज हो जाएगा और इस प्रकार भारत वैश्विक और क्षेत्रीय विकास की दौड़ में क्रमशः काफी पीछे होता जाएगा। और यह तो आप भी जानते हैं कि इससे भारत की एकता,अखंडता और संप्रभुता निश्चित रूप खतरे में पड़ जाएगी क्योंकि निर्बल की पत्नी सबकी लुगाई हो जाती है। क्या स्टिंग करनेवाले कोबरा पोस्ट को सोंचना नहीं चाहिए था कि अगर ऐसा हुआ तो इस पाप में उसे भी हमेशा भागीदार माना जाएगा। 'राम की शक्ति पूजा' में निराला के राम इस बात पर क्षोभ प्रकट करते हैं कि 'जिधर अधर्म है उधर शक्ति'। क्या वर्तमान भारत में भी स्थिति ऐसी ही नहीं है? क्या कांग्रेस 10 साल की उत्तरोत्तर आक्रामक होती सतत लूट के बाद भी शर्मिंदा होने के बदले पहले से कहीं ज्यादा आक्रामक नहीं हो गई है जैसे कि रावण सीता-हरण के बाद होता गया था? (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)

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