भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
27.4.14
कविता: लम्हों में जीती रही....
कविता: लम्हों में जीती रही....
: पत्तों के हिलने मे तेरे आने की आहट सुनूँ तुम मेरे शहर मे आये तुमसे मिलने का ख्वाब बुनूं || शाम ढलने लगी चिरागों से ब...
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