विकसित भारत के लिए वोट करो
भारत रुग्ण अर्थव्यवस्था वाला देश क्यों बन कर रह गया ?क्या यहाँ का नागरिक
बुद्धि बल में कमजोर है या फिर सही नेता के अभाव में निराश हो गया है,यदि नेता
के अभाव में निराश है तो आशा का दीप जलाना कहाँ मना है ,आप का एक वोट
भारत के सुन्दर भविष्य के लिए मूल्यवान है वह भी तब जब आप बुद्धि का इस्तेमाल
करके वोट डालते हैं
आश्चर्य भी और विडम्बना भी !! हम पढ़े लिखे लोग वोट करने के लिए निकलते
नहीं हैं और देश की बदहाली पर हर दिन घंटो भड़ास निकालते हैं ,क्या फायदा ?
घंटो बहस करने की जगह सही और योग्य व्यक्ति को वोट किया होता तो आप
की कार्य क्षमता में 365 *5 घंटे और देश की कार्य क्षमता 365 *5 *800000000
घंटे से बढ़ जाती।
इससे भी बड़ी विडंबना कि पढ़े लिखे लोग जब वोट नहीं करते हैं तब नेता चुनने का
सारा बोझ उन लोगों पर आ जाता है जो निरक्षर या मामूली पढ़े लिखे हैं। जब ये
लोग नासमझी से गलत व्यक्ति को संसद में भेज देते हैं तब पढ़े लिखे लोग अखबारो
में ,मीडिया में ,सार्वजनिक मंचो से उनके खिलाफ जागृति फैलाने का काम करते हैं
जब जागने का समय आया तो हम नींद ले रहे थे और नींद लेनी थी ,चैन से रहना
था तब हायतौबा मचाते हैं।
हम आरोप लगाते हैं कि गरीब और भूखे भारतीय वोट की ताकत नहीं समझते और
वोट बेचते हैं चन्द रुपयों के लालच में, मगर वोट नहीं देकर हम लोकतन्त्र का या
खुद का क्या भला कर पाये हैं ?
हम उम्मीदवार की जीत और हार के लिए जाति और धर्म को प्रधानता देते हैं क्योंकि
खुद को पंडित और त्रिकालदर्शी ठहराने वाले लोग मतदान केंद्र पर पहुँचना हीन काम
मानते हैं जबकि वो जानते हैं कि उनके वोट ना करने से देश की तस्वीर पर गर्त जम
गयी है।
हमारा कर्त्तव्य बनता है कि हम राष्ट्रवादी लोगों को चुनकर भेजे और वे चुने हुए योग्य
लोग देश के उत्थान के लिए काम करे। देश को भ्रष्टाचार से ,गरीबी से ,बेरोजगारी से ,
छद्म निरपेक्षता से ,धूर्त सियासत से बचाना है तो वोट देने के लिए मतदान केंद्र तक
जाना सीखो,उसके बाद जो परिणाम होगा उससे वंशवाद,तुष्टिकरण,भय,वोटबैंक ,
गरीबी,बेकारी,दंगे -फसाद,अशिक्षा,भ्रष्टाचार ,नौकरशाही जैसे भयंकर रोग खत्म
होते नजर आयेंगे।
भारत रुग्ण अर्थव्यवस्था वाला देश क्यों बन कर रह गया ?क्या यहाँ का नागरिक
बुद्धि बल में कमजोर है या फिर सही नेता के अभाव में निराश हो गया है,यदि नेता
के अभाव में निराश है तो आशा का दीप जलाना कहाँ मना है ,आप का एक वोट
भारत के सुन्दर भविष्य के लिए मूल्यवान है वह भी तब जब आप बुद्धि का इस्तेमाल
करके वोट डालते हैं
आश्चर्य भी और विडम्बना भी !! हम पढ़े लिखे लोग वोट करने के लिए निकलते
नहीं हैं और देश की बदहाली पर हर दिन घंटो भड़ास निकालते हैं ,क्या फायदा ?
घंटो बहस करने की जगह सही और योग्य व्यक्ति को वोट किया होता तो आप
की कार्य क्षमता में 365 *5 घंटे और देश की कार्य क्षमता 365 *5 *800000000
घंटे से बढ़ जाती।
इससे भी बड़ी विडंबना कि पढ़े लिखे लोग जब वोट नहीं करते हैं तब नेता चुनने का
सारा बोझ उन लोगों पर आ जाता है जो निरक्षर या मामूली पढ़े लिखे हैं। जब ये
लोग नासमझी से गलत व्यक्ति को संसद में भेज देते हैं तब पढ़े लिखे लोग अखबारो
में ,मीडिया में ,सार्वजनिक मंचो से उनके खिलाफ जागृति फैलाने का काम करते हैं
जब जागने का समय आया तो हम नींद ले रहे थे और नींद लेनी थी ,चैन से रहना
था तब हायतौबा मचाते हैं।
हम आरोप लगाते हैं कि गरीब और भूखे भारतीय वोट की ताकत नहीं समझते और
वोट बेचते हैं चन्द रुपयों के लालच में, मगर वोट नहीं देकर हम लोकतन्त्र का या
खुद का क्या भला कर पाये हैं ?
हम उम्मीदवार की जीत और हार के लिए जाति और धर्म को प्रधानता देते हैं क्योंकि
खुद को पंडित और त्रिकालदर्शी ठहराने वाले लोग मतदान केंद्र पर पहुँचना हीन काम
मानते हैं जबकि वो जानते हैं कि उनके वोट ना करने से देश की तस्वीर पर गर्त जम
गयी है।
हमारा कर्त्तव्य बनता है कि हम राष्ट्रवादी लोगों को चुनकर भेजे और वे चुने हुए योग्य
लोग देश के उत्थान के लिए काम करे। देश को भ्रष्टाचार से ,गरीबी से ,बेरोजगारी से ,
छद्म निरपेक्षता से ,धूर्त सियासत से बचाना है तो वोट देने के लिए मतदान केंद्र तक
जाना सीखो,उसके बाद जो परिणाम होगा उससे वंशवाद,तुष्टिकरण,भय,वोटबैंक ,
गरीबी,बेकारी,दंगे -फसाद,अशिक्षा,भ्रष्टाचार ,नौकरशाही जैसे भयंकर रोग खत्म
होते नजर आयेंगे।
No comments:
Post a Comment