22.5.14

ताकत

ताकत 

गाँव के पास तालाब के किनारे कुछ बच्चे खेल रहे थे तभी एक दौ मुँह वाला साँप
रेंगता हुआ आ गया। पहले तो बच्चे साँप -सांप चिल्ला कर भयभीत हुये फिर
कुछ दूर जाकर ध्यान से उसे देखा और उसके निकट आकर उसे मारने सताने
लगे। दौ मुँह वाले साँप को सताते बच्चों को देख पास की कुटिया से एक महात्मा
निकले और उन्होंने बच्चों से पूछा -क्या तुम लोगों को भय नहीं है इससे ?

बच्चों ने कहा -यह दौ मुँह वाला दोगला साँप है इसमें ताकत नहीं होती है इसलिए
इससे भय कैसा ?

कुछ दिन बाद बच्चे वहां खेल रहे थे तभी एक साँप का बच्चा वहां से रेंगता हुआ
जा रहा था ,बच्चे साँप -साँप चिल्लाकर भयभीत हुये ,सुरक्षित दुरी से उन्होंने
उस साँप के बच्चे को देखा और चिल्लाये -भागो ,कालिंदर नाग का बच्चा है।

बच्चों को भागते देख महात्मा ने उन्हें रोका और पूछा -क्यों भाग रहे हो ?

बच्चों ने समवेत स्वर से कहा -सांप का बच्चा है वहाँ।

महात्मा ने निकट जाकर साँप के बच्चे को देखा और बोले -कुछ दिनों पहले
बड़े साँप से नहीं डरने वाले बच्चे इस नन्हे सपोलिये से क्यों डर रहे है ?

बच्चो में से एक ने कहा -महात्माजी ,उस दिन वाला दोगला साँप था जिसमे
जहर की ताकत नहीं थी ,यह सपोलिया (बच्चा) जरूर है पर काले नाग की
प्रजाति वाला है इसमें जहर की ताकत है।

महात्मा ने कहा -बच्चो ,तुम भी जिंदगी में ऐसे ही बनो ,दुष्ट व्यक्ति यदि शान्त
हो तो उसे छेड़ो मत और दुष्ट यदि तुम्हे अकारण छेड़ रहा हो तो पूरी शक्ति से
आक्रमण कर दो मगर दोगली नीति कभी मत रखना।  

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