18.6.14

अपरिग्रह से महँगाई मुक्ति

अपरिग्रह से महँगाई मुक्ति 

बढ़ती हुई महँगाई से गरीब और मध्यम वर्ग तो चिंतित होता ही है परन्तु शासक
दल भी परेशान रहता है। भारत की सरकार एक तरफ पर्याप्त खाद्य भंडार का दावा
करती है फिर भी महंगाई काबू में नहीं आ पाती है,क्यों ?

महँगाई के काबू में ना आने का कारण सरकार के पास वास्तविक आंकड़ों का
अभाव और जनता द्वारा आवश्यक पदार्थों को विकट परिस्थितिके भय से बिना
आवश्यकता के संग्रह करने की प्रवृति है। देश में महँगाई दर और उपभोक्ता सूचकाँक
का आधार वास्तविकता से कोसों दूर है ,हम गरीबी ,महँगाई के मानक वास्तविक आधार
पर तय क्यों नहीं करते हैं?क्या वास्तविकता छिपाने से गरीबी उन्मूलन हुआ है ?हमारे
पास अनाज, दाल,चावल के भण्डार के आँकड़े हो सकते हैं परन्तु किस राज्य को कितनी
मात्रा में और किस समय किस वस्तु की आवश्यकता है,के आँकड़े नहीं है और ना ही
उचित भंडारण और वितरण की व्यवस्था है। भारत में हर साल विपुल मात्रा में धान,
दालें,फल और सब्जियाँ की पैदावार होती है परन्तु उचित भण्डारण व्यवस्था ना तो किसान
के पास है और ना ही सरकार के पास। कंही पर अनाज सड़ रहा है तो किसी जगह फाके
पड़ रहे हैं उचित भंडारण व्यवस्था के अभाव में किसान को पैदावार कम दाम में बेचनी
पड़ती है और सरकार भी भंडारण व्यवस्था के अभाव में हाथ खड़े कर देती है।

जो काम साठ साल में नहीं हुआ या किया गया उसे तुरंत कैसे दुरस्त किया जाये यह एक
यक्ष प्रश्न है जिसका हल खोजने की जिम्मेदारी प्रशासन की है।

जब -जब भी देश में किसी खाद्य सामग्री की कमी होती है तब सबसे पहले उसी वस्तु की
अनावश्यक रूप से जनता द्वारा माँग बढ़ा दी जाती है। जैसे ही जनता किसी वस्तु की
कमी देख अनावश्यक घर में संग्रह करती है तो उस वस्तु से लाभ पाने की आशा में
मौजूदा व्यापारियों के अलावा कई पूँजीपति भी उस वस्तु की जमाखोरी में लग जाते हैं
नतीजा उस वस्तु के भाव अनावश्यक रूप से बढ़ जाते हैं। सरकार के पास जब यह खबर
चींटी की चाल से चलती हुयी पहुँचती है तब वह समीक्षा करने बैठती है और उस वस्तु की
पूर्ति बाजार में बढ़ाने के लिए ऊँचे दाम पर आनन -फानन में आयात करती है ,नतीजा
यह आता है कि देश का धन अनावश्यक रूप से खर्च होता है और नए पुराने जमाखोर
कमा लेते हैं।

अपरिग्रह का सिद्धांत यह सिखाता है कि हमें अनावश्यक रूप से किसी भी वस्तु के संग्रह
से बचना चाहिये क्योंकि वास्तव में उस वस्तु पर उस जरूरतमंद का अधिकार था जिसके
पास ऊँचे भाव में उस वस्तु को क्रय करने की क्षमता नहीं है।  धनी व्यक्ति उस वस्तु को
अनावश्यक रूप से संग्रह करके महँगी और आम आदमी की पहुँच से बाहर करके समस्या
को विकराल बना देता है। हमने देखा जापान में भूकम्प की भयावह आपदा आयी परन्तु
जापानी लोगों ने अपरिग्रह के सिद्धांत का आचरण करके व्यवस्था को सुव्यवस्थित रूप
से चलने दिया,सरकार आपदा निवारण के काम में लगी थी और नागरिक सुव्यवस्था बना
कर सरकार का सहयोग कर रहे थे। हमने अपरिग्रह का सिद्धांत दिया पर आचरण में
नहीं ला रहे हैं यह निकृष्ट आदत ही मुनाफाखोरों को जन्म देती है और महँगाई के रूप को
ज्यादा भयावह बनाती है।                  

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