16.9.14

मान ना मान मैं तेरा मेहमान की तर्ज पर समन्वयक बने मुनमुन की बैठक में पार्षदों का ना आना सियासी हल्कों में हुआ चर्चित 
इन दिनों चाहे सोशल मीडिया की हो या मीडिया दोनों पर ही नगरपालिका की राजनीति गर्मायी हुयी है। पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी और उपाध्यक्ष राजिक अकील के बीच नवीन जलावर्धन योजना को लेकर द्वंद छिड़ा हुआ है। तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ ने अपने सिवनी प्रवास के दौरान जिले की नगरपालिका और नगर पंचायतों के लिये सौ करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी। पालिका के इस विवाद में “मान ना मान,मैं तेरा मेहमान ”की तर्ज में सिवनी के विधायक दिनेश मुनमुन राय ने इस विवाद को सुलझाने और नगर विकास को लेकर पार्षदों की एक बैठक बुला ली। लेकिन इस बैठक में पार्षद आये ही नहीं। घटिया निर्माण कार्य के कारण चालू होते ही शहर की वर्तमान भीमगढ़ जलावर्धन योजना विवादों के घेरे में रही है। यह योजना शुरू से ही दुगनी बिजली खपत के बाद भी आधा पानी देती रही है जिसके कारण पालिका पर अक्सर ही करोड़ों रुपयों का बिजली बिल बकाया रहता रहा है। शहर में प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी प्रतिदिन दिया जायेगा जिसमें 85 लीटर प्रति व्यक्ति नयी योजना से और 50 नीटर प्रति व्यक्ति पुरानी विवादित सफेद हाथी साबित हो चुकी योजना से प्रदाय किया जाना प्रस्तावित है। ऐसे हालात में नगरपालिका को इस योजना के भारी भरकम बिल के अलावा नयी जलावर्धन योजना का बिजली का बिल भी भरना होगा।
मुनमुन की बैठक में नहीं आये पार्षदंः-इन दिनों चाहे सोशल मीडिया की हो या मीडिया दोनों पर ही नगरपालिका की राजनीति गर्मायी हुयी है। पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी और उपाध्यक्ष राजिक अकील के बीच नवीन जलावर्धन योजना को लेकर द्वंद छिड़ा हुआ है। यहां यह विशेष् रूप से उल्लेखनीय है कि तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ ने अपने सिवनी प्रवास के दौरान जिले की नगरपालिका और नगर पंचायतों के लिये सौ करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी। इस संबंध में मुख्यनगरपालिका अधिकारी द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि केन्द्रसरकार, राज्य सरकार और स्थानीय निकाय के द्वारा दिये जाने वाले अंशदान से कुलराशि 47 करोड़ 36 लाख रु. की राशि इस हेतु स्वीकृत की गयी है। साथ ही यह भी बताया गया है कि राज्य तकनीकी समिति द्वारा 62 करोड़ 55 लाख रु. की निविदा लागत स्वीकृत की गयी है। इसमें वर्तमान तथा नवीन जलावर्धन योजना के पांच साल के रख रखाव और संचालित करने का व्यय भी ठेकेदार द्वारा किया जाना प्रसतवित है। इस योजना हेतु स्वीकृत राशि और निविदा की राशि को लेकर ही विवाद प्रारंभ हुआ है। इससे यह सवाल उठना स्वभाविक ही है कि आखिर 15 करोड़ 19 लाख रु. की अतिरिक्त राशि निविदा में कैसे आयी और अंतर की यह राशि पालिका को मिलगी कहां से? आम तौर पर यह माना जा रहा है कि ये अंतर की राशि की बंदर बांट करनंे के लिये ही बढ़ायी गयी है। इसे लेकर पालिका के कांग्रेसी पार्षद लामबंद हो गयें हैं वहीं पालिका के भाजपा पार्षदों का भी अपने अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी को समर्थन नहीं है। बीते कई दिनों से दोनों पक्षों का यह विवाद सुर्खियों में बना हुआ है। यह भी सही है कि जब किन्हीं दो पक्षों के बीच विवाद हो जाता है तो उसे सुलझाने के लिये दोनों ही पक्ष अपने किसी विश्वास प्राप्त व्यक्ति को पंच बनाकर उसे सुलझाने का काम करते है। लेकिन पालिका के इस विवाद में “मान ना मान,मैं तेरा मेहमान  ”की तर्ज में सिवनी के विधायक दिनेश मुनमुन राय ने इस विवाद को सुलझाने और नगर विकास को लेकर पार्षदों की एक बैठक बुला ली। लेकिन इस बैठक में पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के अलावा भाजपा पार्षद श्याम शोले के अलावा कोई भी पार्षद उसमें नहीं आया। कुछ अखबारों में यह भी छपा कि कांग्रेस पार्षद दल के नेता शफीक पार्षद भी उसमें उपस्थित थे। इसके बावजूद भी विधायक मुनमुन राय ने अपनी निधि से नगर विकास के लिये 25 लाख रु. की राशि देने की घोषणा की जो कि शायद इस बैठक का मुख्य उद्देश्य था। हालांकि यह कहना भी गलत होगा कि मुनमुन को नपा के मामलो से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि यह उनके विस क्षेत्र के मुख्यालय की पालिका है लेकिन नपा चुनाव के दो तीन महीने पहले ही नगर की सुध लेना कुछ और ही कहानी कहती नजर आ रही है। राजनैतिक विश्लेषकों का यह मानना है कि नपा में चुनावों में भाजपा की जीत हार में मुनमुन की भूमिका ही निर्णायक रहने वाली है। इसमें उन्हें अपने चुनाव में नगर में मिली भारी बढ़त और मुस्लिम वार्डों में मिले वोटों को कारण बताया जा रहा है। इसमें उनकी क्या रणनीति होगी? यह तो वक्त आने पर ही पता चलेगा।
भाजपा राज में वेदसिंह और इंका राज में आशुतोष भी नही करा पाये थे जांचः- घटिया निर्माण कार्य के कारण चालू होते ही शहर की वर्तमान भीमगढ़ जलावर्धन योजना विवादों के घेरे में रही है। यह योजना शुरू से ही दुगनी बिजली खपत के बाद भी आधा पानी देती रही है जिसके कारण पालिका पर अक्सर ही करोड़ों रुपयों का बिजली बिल बकाया रहता रहा है।शहर के लिये सफेद हाथी साबित हो चुकी इस योजना की जांच के लिये कांग्रेस शासनकाल में सिवनी विस के इंका प्रत्याशी रहे आशुतोष वर्मा ने इस मुद्दे पर जांच की मांग तो कांग्रेस शासनकाल में जरूर उठायी लेकिन कोई कारगर जांच नहीं हो पायी। इसके बाद जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तो उमा भारती के शासनकाल में जिला भाजपा अध्यक्ष रहे वेदसिंह ठाकुर ने फिर एक बार इस मामले में शिकायत की लेकिन इस परियोजना की फिर भी जांच नहीं हो पायी। इसमें घपले करने वाले हाथ काफी ताकतवर थे। इस योजना के क्रियान्वयन के दौरान सिवनी में पदस्थ पी.एच.ई. के कार्यपालन यंत्री जोशी जबलपुर संभाग के संघ के प्रमुख स्तंभ रहे स्व. बाबूराव जी परांजपे के निकट रिश्तेदार थे और उस विभाग के मंत्री उस दौरान स्व. हरवंश सिंह थे। उस वक्त इस योजना के घटिया काम को लेकर एक दुर्गा मंड़प में झांकी भी लगायी गयी थी। तकनीकी लोगों का यह मानना है कि इस योजना में निर्धारिम मानदंड़ों के पाइप नहीं लगे है। जितनी रफ्तार और मात्रा में पानी फेंकने के लिये मोटर पंप लगाये लगाये हैं उसकी लगभग आधी क्षमता के पाइप का उपयोग किया गया है। इसीलिये टेस्टिंग के समय जब पूरी रफ्तार से पानी छोड़ा गया था तो छोटे मिशन स्कूल के पास एक जमीन से उखड़कर लगभग खड़ा हो गया था और एक बड़ी दुर्घटना होने से बच गयी थी क्योंकि कुछ समय पहले ही स्कूल की छुट्ठी हो चुकी थी। उसके बाद से मोटर पंपों से लगभग आधी मात्रा ममें नियंत्रित करके पानी छोड़ा जाता है जिसके कारण पंप अपनी क्षमता से दुगने समय तक चलने के बाद भी शहर की स्ीाी टंकियशें को दिन में एक बार भी पूरा नहीं भर पाते थे जबकि तकनीकी स्वीकृति के अनुसार दिन में दो बार में 12 एमएलडी पानी टंकियों में भरा जाना चाहिये था। दुगने समय तक पंपों को चलाने कारण प्राकल्लन में किया गया विद्युत खपत का आकलन फेल हो गया और लगभग दुगनी बिजली की खपत होने लगी जिसका बोझ नगरपालिका आज भी नहीं झेल पा रही है। हाल ही में जो प्रस्ताव जलावर्धन योजना को लेकर सामने आयें हैं उसके अनुसार शहर में प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी प्रतिदिन दिया जायेगा जिसमें 85 लीटर प्रति व्यक्ति नयी योजना से और 50 नीटर प्रति व्यक्ति पुरानी विवादित सफेद हाथी साबित हो चुकी योजना से प्रदाय किया जाना प्रस्तावित है। ऐसे हालात में नगरपालिका को इस योजना के भारी भरकम बिल के अलावा नयी जलावर्धन योजना का बिजली का बिल भी भरना होगा। ये कैसे संभव होगा? इसे लेकर नगर के सभी कर्णधार फिलहाल तो मौन ही है। “मुसाफिर”
साप्ता. दर्पण झूठ ना बोले, सिवनी
16 सितम्बर 2014 से साभार 

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