9.9.14

तेज धार



हम में से अधिकांश व्यक्ति काफी मेहनत करते हैं और मेहनत के अनुपात में कम
फल प्राप्त करते हैं इसका मतलब यह नहीं होता है कि मेहनत करने से ऊर्जा ज्यादा
खत्म होती है और फल थोड़ी मात्रा में मिलता है और हम में से कुछ व्यक्ति कम
मेहनत करते दिखाई देते हैं तो ज्यादा फल की प्राप्ति होती है। जब भी इस विषय पर
वाद प्रतिवाद होता है तो लोग "किस्मत" कह कर मन को तसल्ली दे देते हैं। क्या
आप भी इस बात को किस्मत में खपाना चाहते हैं ? या फिर आगे की कहानी पढ़
कर तय करना चाहेंगे !!

एक दिन एक बूढ़े लकड़हारे ने अपने जवान पुत्र को कुल्हाड़ी देकर जँगल में लकड़ी
काटने को भेजा। युवक कुल्हाड़ी लेकर जंगल में गया और एक मोटे तने के सूखे पेड़
को काटने में लग गया। लड़का कुल्हाड़ी चलाते -चलाते थक गया मगर वह तना
उससे कटा नहीं। अत्यधिक श्रम करने के कारण पूरा शरीर थक कर चूर हो गया था
मगर लकड़ी बटोर नही पाया। आखिर थक हार कर बैठ गया और पिता के आने का
इन्तजार करने लगा। कुछ समय बाद बूढ़ा लकड़हारा जँगल में आया ,उसने देखा
उसका पुत्र थक कर विश्राम कर रहा है।

लकड़हारे ने पूछा -पुत्र,काफी थके हुए लग रहे हो ,लगता है बड़ा परिश्रम किया है।

युवक बोला - मेने परिश्रम तो बहुत किया है ,मोटे तने के ठूँठ को काटने में पूरी
ताकत झोंक दी मगर वह कट नहीं पाया।

लकड़हारे ने कहा -पुत्र,तू कुछ समय तक विश्राम कर ले बाद में काट लेना,तब तक
मैं उस तने को काटने की कोशिश करता हूँ ।

 पुत्र विश्राम करने लगा और बूढ़ा लकड़हारा उस दरमियान कुल्हाड़ी को पत्थर पर
घिसता रहा। कुल्हाड़ी की धार चमकने लगी और काफी तेज हो गयी। लकड़हारे का
पुत्र विश्राम करके पेड़ के पास में आया तो देखा उसके पिता ने अभी तक पेड़ काटने
का प्रयास तक नहीं किया है इतने समय तक बैठे बैठे कुल्हाड़ी को पत्थर पर घिसते
जा रहे हैं।
युवक ने पिता को उलहाना देते कहा -आपने तो मेरी मदद करने की बात कही थी
मगर आपने तो कुछ काम किया ही नहीं। इतना कहकर उस युवक ने पिता के हाथ
से कुल्हाड़ी ले ली और पूरी ताकत से तने पर वार करने लगा,कुछ ही देर में तना
कट गया।

लकड़हारा अपने पुत्र के पास आया और बोला -पुत्र, अब समझ में आ गया होगा कि
मैं तेरे विश्राम के समय खाली नहीं बैठा था,तेरे काम में मदद कर रहा था। केवल
परिश्रम से ही काम नहीं बनता है अपनी धार को तेज बना कर काम हाथ में लेने से
व्यक्ति सफल बनता है।

हम विषय की उचित जानकारी लिए बिना ही काम करने में लग जाते हैं तब आंशिक
सफलता ही प्राप्त होती है या नहीं भी होती है,विषय वस्तु की सम्पूर्ण जानकारी से
सफलता सहज ही मिल जाती है।             

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