24.3.15

बहुमत के बाद भी जिला पंचायत अध्यक्ष ,उपाध्यक्ष का चुनाव हारने वाली कांग्रेस जयचंदों को दंड़ित कर पायेगी?
 जिला पंचायत के चुनावों में कांग्रेस को बहुमत होने के बाद भी शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। जिले के ग्रामीण मतदाताओं ने जिला पंचायत में कांग्रेस का जनादेश दिया था लेकिन अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर भाजपा की मीना बिसेन और चंद्रशेखर चर्तुवेदी चुनाव जीत गयें हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सिवनी में भाजपा का अध्यक्ष बिठाने के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था और ऐसे विचार उन्होंने जिले के कुछ विधायकों से भी व्यक्त कर सहयोग का अनुरोध किया था। जब प्रदेश का मुखिया ही जनादेश के विपरीत ऐसा प्रतिष्ठा का प्रश्न बना ले तो कुछ भी हो सकना संभव था। जब हर तरह के प्रयास के बाद भी बात नहीं बनी तो गोमती ठाकुर  बात मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से करायी गयी। विश्वसनीय सूत्र तो यहां तक दावा कर रहें हैं कि उन्हें महिला आयोग का सदस्य बना कर लाल बत्ती से नवाजने के लिये आश्वस्त कर दिया गया है। इस चुनाव में कांग्रेस का स्पष्ट बहुमत हाने के बाद भी कांग्रेस चुनाव हार गयी और भाजपा ने पहली बार बीस साल बाद जिला पंचायत में कब्जा कर लिया और उसकी मीना बिसेन अध्यक्ष बनीं। जबकि घंसौर से कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी घोषित किये गये चंद्रशेखर चर्तुवेदी भाजपा से उपाध्यक्ष चुने गये।कांग्रेस में हार का विश्लेषण किया जा रहा है और जयचंदों को तलाश कर उन्हें दंड़ित करने की बात की जा रही हैं। लेकिन क्या कांग्रेस जयचंदों को दंड़ित कर पायेगी?
जिपं में कांग्रेस की हार और भाजपा की जीत हुयी चर्चित-जिला पंचायत के चुनावों में कांग्रेस को बहुमत होने के बाद भी शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। जिले के ग्रामीण मतदाताओं ने जिला पंचायत में कांग्रेस का जनादेश दिया था लेकिन अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर भाजपा की मीना बिसेन और चंद्रशेखर चर्तुवेदी चुनाव जीत गयें हैं। हालांकि इस चुनाव में जिले के कांग्रेस के दोनों विधायक रजनीश सिंह और योगेन्द्र सिंह बाबा तथा भाजपा की ओर से कमल मर्सकोले और दिनेश मुनमुन राय सक्रिय थे। इस 19 सदस्यीय जिला पंचायत में कांग्रेस के 11 और भाजपा के 6 तथा दोनों ही पार्टियों के एक एक बागी चुनाव जीते थे। पंचायती राज लागू होने के बाद से लगातार चार बार कांग्रेस ने अपना कब्जा बनाये रखा था जो कि बीस साल बाद स्पष्ट बहुमत होने के बाद भी समाप्त हो गया। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के रणनीतिकार अपने क्षेत्र से निर्वाचित सदस्य को अध्यक्ष बनाने के मोह से परे नहीं रह पाये। इस कारण योग्यता की तुलना में क्षेत्रीयता हावी हो गयी और परिणाम विपरीत आ गये। यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सिवनी में भाजपा का अध्यक्ष बिठाने के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था और ऐसे विचार उन्होंने जिले के कुछ विधायकों से भी व्यक्त कर सहयोग का अनुरोध किया था। जब प्रदेश का मुखिया ही जनादेश के विपरीत ऐसा प्रतिष्ठा का प्रश्न बना ले तो कुछ भी हो सकना संभव था। जिले के प्रभारी मंत्री गौरीशंकर बिसेन और सांसदद्वय फग्गनसिंह कुलस्ते तथा बोधसिंह भगत भी इस प्रयास में जुट गये थे। अंततः भाजपा की मीना बिसेन को 10,कांग्रेस की केवलारी क्षेत्र से चुनी गयीं ऊषा दयाल पटेल को 8 तथा 1 वोट निरस्त हुआ जबकि उपाध्यक्ष पद में भाजपा के चंद्रशेखर चर्तुवेदी और कांग्रेस के अशोक सिरसाम को 9 9 वोट मिले और एक वोट इसमें भी निरस्त हुआ। इस तरह कांग्रेस के खेमे के अध्यक्ष पद में दो तथा उपाध्यक्ष पद में एक वोट बाहर गया और कहा जाता है कि प्रत्याशी चयन से नाराज एक सदस्य ने दोनों ही समय अपना वोट एक ही तरीके से निरस्त करवा दिया। कांग्रेसी खेमें में एक तरफ तो इस बात को लेकर खोज जारी है कि आखिर अपनें में ही जयचंद कौन हैं? तो दूसरी तरफ कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि कांग्रेसी सदस्य जयचंद क्यों बने? इसके कारणों को भी तलाशना चाहिये। चुनाव के बाद कुछ कांग्रेसी सदस्यों ने प्रत्याशी चयन के तरीके से भी नाराजगी जतायी हैं तो कुछ सदस्यों का यह भी कहना है कि सदस्यों की राय कुछ और थी और उन पर यह निर्णय थोपा गया था। इसीलिये कांग्रेस को हार का सामना पड़ा। कुछ राजनैतिक प्रेक्षक तो यह मान रहें कि जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इस चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था तो फिर कहीं भी कुछ भी हो जाना असंभव नहीं हैं?
शिवराज से बात करने के बाद मानीं गोमती?-जिले के भाजपा नेताओं ने जिला पंचायत की चार बार लगातार चुनाव जीतने वाली गोमती ठाकुर को इस बार टिकिट नहीं दी थी। लेकिन वो बागी होकर चुनाव लड़ीं थीं और एक ही क्षेत्र से लगातार पांच बार चुनाव जीतने का एक रिकार्ड बनाया था। वे भाजपा के स्थानीय नेतृत्व से बुरी तरह नाराज थीं। वे किसी भी कीमत पर भाजपा को अध्यक्ष उपाध्यक्ष पद के चुनाव में उस वक्त तक वोट देने को तैयार नहीं थीं जबकि उन्हें अध्यक्ष पद का उम्मीदवार ना बना दिया जाय। भाजपायी सूत्रों का कहना है कि जब हर तरह के प्रयास के बाद भी बात नहीं बनी तो उनकी बात मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से करायी गयी। विश्वसनीय सूत्र तो यहां तक दावा कर रहें हैं कि उन्हें महिला आयोग का सदस्य बना कर लाल बत्ती से नवाजने के लिये आश्वस्त कर दिया गया है। यदि ऐसा होता है तो जिले एक मात्र बरघाट क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीतने वाली भाजपा अब इसी क्षेत्र में मीना बिसेन के बाद दूसरी लाल बत्ती देने की तैयारी कर रही है। 
क्या जयचंदों को दंड़ित करेगी कांग्रेस?-अभी तक के जिला पंचायत अध्यक्ष उपाध्यक्ष चुनाव के बारे में देखा जाये तो पहली आदिवासी महिला अध्यक्ष गीता उइके सिवनी विस से थीं तो उपाध्यक्ष झुम्मकलाल बिसेन केवलारी से थे। दूसरी अनुसूचित जाति की महिला अध्यक्ष रैनवती मानेश्वर लखनादौन विस से थीं तो उपाध्यक्ष आलोक वाजपेयी घंसौर विस के थे। तीसरी पिछड़े वर्ग की किरार जाति की महिला अध्यक्ष प्रीता ठाकुर केवलारी क्षेत्र से थीं तो उपाध्यक्ष शक्तिसिंह घंसौर विस के थे। चौथे पिछड़े वर्ग के कुर्मी जाति के अध्यक्ष मोहन चंदेल नये परिसीमन के अनुसार बरघाट क्षेत्र के थे तो उपाध्यक्ष अनिल चौरसिया केवलारी विस के थे। इस तरह यदि देखा जाये तो कांग्रेस ने घंसौर विस को छोड़कर सभी क्षेत्रों से अध्यक्ष दिये थे तो घंसौर क्षेत्र को दो बार उपाध्यक्ष पद दिया गया था। केवलारी क्षेत्र कोे दो बार उपाध्यक्ष तो एक बार अध्यक्ष पद दिया गया था। घंसौर क्षेत्र परिसीमन में समाप्त कर दिया गया था। इस बार पुराने घंसौर क्षेत्र की दावेदार चित्रलेखा नेताम, जो कि पहले जिपं चुनाव में अध्यक्ष पद की दावेदार थीं, प्रबल दावेदार थीं लेकिन कांग्रेस ने केवलारी क्षेत्र की किरार समाज की ऊषा दयाल पटले को अध्यक्ष पद के लिये उम्मीदवार बनाया और सिवनी विकास खंड़ के अशोक सिरसाम को उपाध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया था जिनक क्षेत्र में केवलारी विस का भोमा सहित कुछ हिस्सा आता हैं।लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस का स्पष्ट बहुमत हाने के बाद भी कांग्रेस चुनाव हार गयी और भाजपा ने पहली बार बीस साल बाद जिला पंचायत में कब्जा कर लिया और उसकी मीना बिसेन अध्यक्ष बनीं। जबकि घंसौर से कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी घोषित किये गये चंद्रशेखर चर्तुवेदी उपाध्यक्ष चुने गये। इनके पिता जयंतकुमार चर्तुवेदी घंसौर क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता है और लंबे समय से कांग्रेस की राजनीति कर रहें है। कांग्रेस में हार का विश्लेषण किया जा रहा है और जयचंदों को तलाश कर उन्हें दंड़ित करने की बात की जा रही हैं लेकिन पिछले बीस सालों से जयचंदों को पुरुस्कृत करने का कांग्रेस में जो सिलसिला चला है उसे देखते हुये यह नहीं लगता कि जयचंदों के खिलाफ कोई कार्यवाही हो पायेगी। “मुसाफिर”     

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