priyank dwivedi
आखिरकार पाकिस्तान जो चाहता था वही हुआ। भारत-पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बीच होने वाली मीटिंग रद्द हो ही गई। पाकिस्तान ने इस मीटिंग को रद्द करने के कई असफल प्रयास किए जिसे वो कर सकता था और अपनी इज्जत भी बचा सकता था। लेकिन उसकी हर एक चाल पर भारत ने भी नई चाल चल दी और पाकिस्तान को उसके ही जाल में फंसा दिया। आखिर थक हारकर पाकिस्तान ने अपने एनएसए सरताज अजीज को भारत जाने से मना कर दिया।
पहले तो पाकिस्तान ने पिछले साल की ही तरह जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को न्योता भेजा ताकि भारत पिछले साल की तरह इस साल भी बात करने से मना करदे। भारत ने इस बात का विरोध तो किया लेकिन बात करने पर अडा रहा। पाकिस्तान की ये चाल तो उल्टी पड गई। अब उसने आतंकवाद और सीजफायर जैसे सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर बात करने की बजाय कश्मीर मुद्दे पर ही बात करने की शर्त या जिद रखी। इस पर भी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान को सशर्त बातचीत करने की चेतावनी दे डाली। पाकिस्तान ने शर्त के साथ बातचीत करने का कोई मतलब नहीं बताते हुए एनएसए लेवल की मीटिंग रद्द कर दी।
पाकिस्तान ने मीटिंग रद्द करके अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। उसकी इस हरकत से यही संदेश जाएगा कि पाकिस्तान ही आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और वो इसका उपयोग भारत में अशांति पैदा करने के लिए करता आ रहा है। और इससे अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में पाकिस्तान की एक नकारात्मक छवि बन जाएगी। अगर वो भारत की शर्तें मानकर आतंकवाद पर बात करने को तैयार हो जाता तो वो बता सकता था कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों को अपने देश में पनाह देकर कितनी बड़ी गलती की थी और वो भी आतंकवाद से पीड़ित है।
पाकिस्तान चाहता तो वो भी बाकि देशों की तरह भारत से हाथ मिलाकर आतंकवाद से निपटने का प्रस्ताव रख सकता था। और भविष्य में उसे कश्मीर मुद्दे पर बातचीत करने का मौका भी मिल जाता।और पाकिस्तान की जो छवि अभी भारत और बाकी अन्य देशों में है उसे वो काफी हद तक बदल सकता था लेकिन उसने ऐसा न करके अपनी छवि को बद से बदतर कर लिया है। पाकिस्तान की इस हरकत के बाद तो नहीं लगता कि अब कोई बातचीत हो पाएगी। लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है। वो इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाएगा और इस बातचीत के रद्द होने पर भी वो भारत को ही जिम्मेदार ठहराएगा।
पाकिस्तान से बात करते का वाकई अब कोई मतलब नहीं है क्योंकि शिमला समझौते में दोनों देशों की बीच इस पर सहमति हुई थी कि यदि भविष्य में दोनों के बीच बातचीत होगी तो उसमें कोई मध्यस्थ या तीसरा पक्ष शामिल नहीं होगा। उसके बावजूद पाकिस्तान बार बार इस तरह की हरकतें करके सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है और वो दुनिया को ये संदेश देना चाहता है कि वो एक दम पाक और शांतिप्रिय देश है। वो दुनिया में भारत की नकारात्मक छवि बनाना चाहता है।
प्रियंक द्विवेदी
भोपाल
priyank.kumar.dwivedi@gmail.com
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