मध्यप्रदेष मे नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में सक्रिय नक्सलियों की गतिविधियों पर अंकुष लगाने के आषय से जहां विभिन्न चौकी और थानों में भारी भरकम सषत्र बल तैनात है वहीं भारतीय रिजर्व बटालियन के स्थापना की कवायद भी चल रही है। बावजूद इसके नक्सलियों की गतिविधियों में काफी इजाफा हुआ है और वे लोग बकायदा प्रभावित क्षेत्र के गांव में ग्रामीणों के साथ बैठकें भी ले रहे हैं जिससे पुलिस के सूचना तंत्र की धज्जियां उड रही है।
विष्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार माओवादी नक्सलियों के द्वारा अभी हाल ही में छत्तीसगढ सीमा से लगे बालाघाट जिले के एक गांव में कैंप भी संचालित हुआ था जहां करीब 150 माओवादी नक्सलियों की उपस्थिति रही। घनघोर जंगलों और चारों तरफ पहाडियों से घिरे सुलसुली पुलिस चौकी के अंतर्गत आने वाले माताघाट, आराघाट एवं धीरीमुरूम के जंगलों में हुई करीब तीन दिनों की बैठक में महाराश्ट के गढचिरोली और छत्तीसगढ के राजनांदगांव जिले में सक्रिय विभिन्न नक्सली संगठनों के पदाधिकारियों और सदस्यों की उपस्थिति रही जिसमें सीमावर्ती राजनांदगांव और बालाघाट जिले के ग्रामीणों की भी उपस्थिति रही, हांलांकि पुलिस अधीक्षक नक्सलियों के द्वारा आयोजित की गई एैसे कैम्प से इंकार किया है। उस क्षेत्र से जुडे ग्रामीणों के अनुसार उस क्षेत्र में पुलिस की सर्चिंग कभी कभार होती रहती है। घनघोर जंगलों नदी नालों और पहाडियों की वजह से उन स्थानों पर पहुंच नही पाती है।
इसी तरह की एक जानकारी पितकोना चौकी के अंतर्गत आने वाले ग्राम केरेझरी की प्राप्त हुई है जहां माओवादी नक्सलियों ने ग्रामीणों के साथ बैठकें ली जिनमें इस क्षेत्र के काफी ग्रामीण उपस्थित थे जबकि केरेझरी गांव पितकोना पुलिस चौकी से कुछ फासले पर ही है और पितकोना चौकी में बीएसएनएल की मोबाईल सेवा का टावर भी संचालित हो चुका है और बातचीत भी हो रही है बावजुद इसके इस गांव में हुई नक्सलियों के बैठक की सूचना पुलिस को ना मिलना उनकी सूचना तंत्र पर सवालिया निषान खडा करता है जबकि सूचनातंत्र के नाम भारी भरकम राषि आ रही है जिससे यह स्पश्ट हो रहा है कि उक्त राषि का सदुपयोग नही हो रहा है। पुलिस अधीक्षक बालाघाट गौरव तिवारी का कहना है कि नक्सलियों की गतिविधियों की जानकारी मिलने पर पुलिस बल पहुंच जाता है वर्तमान में उनकी गतिविधियों की जानकारी मिलती रहती है आपके द्वारा जो बताया जा रहा है वह मेरे संझान में नही है।
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