आज मेरी सहेली हिन्दी कुछ परेशान ,नाराज़,क्रोध मे नजर आ रही थी मेने जब उससे बात करनी चाही तो वो कुछ नहीं बोली बस आंखो से पानी निकल आया ओर मुह फेर लिया जब मेने उससे ज़ोर दिया की किया मुझ से कोई गलती हो गई हे तो माफ करदे इतना कहना था की वो गले से लिपट के जोर-जोर से रोने लगी जब मेने दिलासा दिया तो सिसक के उसने पाना हाल बयान किया !
बोली नहीं बहन में तो अपनी हालत पे रो रही हु ! पहले ही आज कल कोई मुझे पूछता नहीं ओर ये हिन्दी दिवस बना कर सब के आगे खबरो ने मुझे बदनाम कर दिया तुम्हें याद होगा की जब हिन्दी दिवस बनाने की तैयारी चल रही थी तो में फुली नहीं समा रही थी सोचा था की ये होगा वो होगा देश के अल्वा भी मुझे सम्मान की नजरों से देखा जाएगा पर जब सब होने के बाद पता चल की पेपर मे खबर आई की हिन्दी दिवस मे करोड़ रू* खर्च किये गए ओर ओर हर किसी ने सिर्फ अपना मतलब हाल किया तो ओर मे वही के वही खड़ी रह गई जहा थी किसी ने मेहंगा खाना खाया किसी ने सम्मान हासिल किया ओर सारी बुराई दिवस की हो गई की हिन्दी दिवस के नाम पर अधिकारी ओर लोगो ने घपला किया ओर मे बुराई की चपेट मे’ मे आ गई जितना मेरा सम्मान नहीं हुआ उतनी तो निंदा ओर खर्चा होगया ! अब लोग किया कहेगे किया कभी फिर हिन्दी दिवस मे किसी को दिल चस्पी होगी कभी नहीं ! इससे तो अच्छा था की मे बिना दिवस के ही ठीक थी ! ओर वो रोने लगी उसकी हालत देख कर मुझे भी रोना आ गया ओर मे उसे नहीं सम्हाल पाई ओर घर चली आई पर दिल मे एक ही बात आ रही थी की किया हर कोई अपना मतलब हाल करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता हे !
अशफाक केप्टन
Ashfaque Captain
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