2.9.15

प्रेम और सम्मान से पानी की लड़ाई को शांति में बदलना मुमकिन


कुमार कृष्णन

जल संरक्षण, संवर्धन एवं नदी पुर्नजीवन हेतु दो दिवसीय जल सुरक्षा अधिनियम के राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन के दिन देश के बाहर राज्यों से आये पानीदारों और जलयोद्धाओ ने जल सुरक्षा अधिनियम को लागू करवाने के ​लिए जहां देश के विभिन्न हिस्सों में नदी यात्रा के आयोजित कर जनसंवाद के माध्यम से सरकार पर दवाब बनाने की रणनीति तय की। साथ ही नदी, झील और तालावों को बचाने का संकल्प ​लिया ताकि जलसुरक्षा को सुनिश्चत किया जा सके। 


वहीं स्टॉकहोम वाटर प्राइज से सम्मानित जलपुरूष राजेन्द्र सिंह नेे 5 सितम्बर 2015 को राष्ट्रपिता बापू की समाधि से विश्व जल शांति यात्रा आरंभ किए जाने की घोषणा की।

समापन के अवसर पर राजेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रेम, विश्वास और विश्वास के सहारे पानी का काम करना होगा, तभी दुनिया में पानी की लड़ाई को शांति में बदल सक​ते हैं। प्रेम और सम्मान से ही इस लड़ाई को शांति में बदल सकते हैं। प्रेम और सम्मान के बिना प्रकृति और पानी का काम नहीं हो सकता है। प्रकृति का सम्मान करने के साथ—साथ उस भाव से काम करने ही से ही समुदाय को पानी का हक मिलेगा। समुदाय के काम नहीं करने से सरकारें यह कहती रहेंगी  कि समुदाय काम नहीं करता है और लोकतांत्रिक सरकारें अपने ढंग से काम करेगी। सरकार तो पानी नहीं बनाती है। सवालिया लहजे में कहा कि क्या सरकारें पानी बना सकती हैं? पानी का काम राज,समाज और संतों का साझा काम है। तीनो मिल कर यदि काम करते हैं परिणाम बेहतर होगा।

उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों से जल जन जोड़ो अभियान ने देश के सभी राज्यों में एक ज्योति जलायी है, इसे व्यवहार में बदलना होगा। जल के उपयोग का अनुशासन बनाना है। लोगों को जल साक्षरता के लिए प्रेरित करना होगा। जल की साक्षरता स्वच्छता के बिना नहीं टिक सकती है। स्वच्छता के बिना जल नहीं टिक सकता है। जल और जल की स्वच्छता तभी मुमकिन है जब हमारे मन में जल का प्रेम और सम्मान होगा।

उन्होंने कहा कि  5 सितम्बर से विश्व जल शांति यात्रा राजघाट स्थित महात्मा गांधी के समाधि से आरंभ होगी। यह यात्रा पूरी दुनिया में होगी। यह यात्रा दुनिया में जल पर काम करनेवालें के साथ मिलकर काम करने की यात्रा है। जीवन के आखरी पांच सालों में लोगों के दिमाग में पानी लाना चाहते हैं। इस देश के नेताओं, उद्योगपतियों का, अमीरों का, गरीबों का सबका पानी सूख रहा है। अभी तक धरती पर पानी रोकने के लिए फाबड़ा चलाया है, अब दिमाग के पानी को रोकने के लिए फाबड़ा चलाएंगे। यह यात्रा सुख और उपभोग की नहीं त्याग और तपस्या की यात्रा है।

उन्होंने मीडिया की भूमिका चर्चा करते हुए कहा कि मीडिया को महात्मा गांधी के पत्रकारिता के नजरिए को समझना होगा और उनके प्रकृति के प्रेेम और मानवीय रिश्ते को देखना होगा। ऐसा यदि होता है प्राकृतिक संसाधन के रक्षण के सिलसिले में मीडिया अपनी साकारात्मक भूमिका ​निभा सकता है।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव  दीपक सिंधल ने कहा कि हिंडन नदी को ठीक करने का काम प्रदेश में किया जा जा रहा है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत पूरे प्रदेश में व्यापक स्तर पर तालाव खुदबाने का काम किया जा रहा है। यह काम पांच हजार करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में जल शोघ संस्थान आरंभ करने की दिशा में पहल की जा रही है।

रामधीरज भाई ने जलसंसाधन विभाग के प्रधान ​सचिव को सुझाव दिया ​कि वे उत्तर प्रदेश में

वहस मे हिस्सा लेते हुए दैनिक भास्कर के मेट्रो संपादक अनिरुद्ध शर्मा ने कहा कि पानी का सवाल सिर्फ गांबों का नहीं  बल्कि पूरे विश्व का है। हवा, पानी, प्रदूषण की खबर मुख्य घारा की मीडिया से गायब है। उन्होंने कहा कि शीला दीक्षित द्वारा 400 करोड़  रुपये घोटाले की खबर भी राजधानी दिल्ली के खबर की सूर्खियां नहीं बन पायी। मुख्य धारा की मीडिया में पानी के मूल मसले को नजरअंदाज किया जाता रहा है। सिर्फ इस तरह की सूचनात्मक खबरें दी जा रही हैं कि आज अमूक इलाके में पानी नहीं आएगा या फिर अमुक इलाके की पाइप लाइन फटी हुई है। यमुना विषवाहिनी हो गयी है। यह खबर का मसला नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि वाबजूद इसके मीडिया में  इनोवेशन यानी नवोन्मेष की हमेशा गुजांइस है और रहेगी। सामाजिक सरोकारों से जुड़ी खबरों को भी इसी नजरिए से देखने की आवश्यकता है। उन्होनें देश के मीडिया संस्थानों की गुणवत्ता और पत्रकारों के प्रशिक्षण पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सामाजिक सरोकारों के विषय पर पत्रकारों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।

वहीं  बासंती बहन ने सोशल मीडिया के द्वारा मुहिम को अंजाम तक पहुचाने का सुझाव दिया। जनरल ए.के सिंह ने कहा कि हरियाणा की सावी नदी पुर्नजीवित करने का  काम एनआईटी ने लिया है। जगह—जगह अतिक्रमण है। शराब की फैक्ट्री ने जल को वर्बाद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।

लोकसंग्राम मोर्चा महाराष्ट्र की महासचिव प्रतिभ सिंदे ने महाराष्ट्र की स्थिति को रेखांकित करते हुए किसानों की आत्महत्या और सूखे की स्थिति को रेखांकित किया और पानी के सवाल को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि पानी के मसले को हल करके इन सवालों का हल तलाशा जा सकता है। हरियाणा से आए इब्राहिम भाई ने वहां के सुखाड़ की स्थिति को रखा। जीडी तिवारी ने जलसंरक्षण के अहमियत को बताया।

जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक संजय कुमार सिंह ने कि अभियान को अंजाम देने के लिए देश के विभिन्न् हिस्सों में नदी यात्रा आरंभ की जाएगी। बिहार के कमला और कोशी नदी की यात्रा 15 सितम्बर से होगी। इसके अलावा ​हरियाणा में भी नदी यात्रा का कार्यक्रम तय किया गया है। उत्तर प्रदेश के अमरोहा, गोरखपुर, गाजीपुर बनारस और मथुरा में नदियों को बचाने के लिए यात्राएं की जाएंगी। राष्ट्रीय कार्यशाला में वरिष्ठ पत्रकार प्रसून लतांत, जल जन जोड़ो अभियान के सलाहकार अशोक कुमार जनक भाई, विश्वविजय, इंदिरा खुराना, संजय राणा, विजय आर्य विद्यार्थी, भगवान सिंह परमार  के साथ—साथ बिहार, कर्नाटक, गुजरात, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र,हरियाणा, त्रिपुरा सहित देश के 12 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

journalist kumar krishnan की रिपोर्ट. संपर्क: mob. 09304706646

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