इधर कुआं उधर खाई, कुछ ऐसी ही स्थिति से गुजर रहे हैं, सहारा मीडिया के कर्मचारी। एक तो जबसे समूह के मुखिया जेल में हैं तबसे उन्हें बराबर वेतन नहीं मिल रहा है। जो मिल भी रहा है वो आधा अधूरा दूसरे मजीठिया वेजबोर्ड कोढ में खाज बन गया है। चूंकि वेतन आयोग सिर्फ प्रिंट मीडिया के लिए ही है इसलिए इलेक्ट्रॉनिक वाले कर्मचारी इस लडाई में रुचि नहीं ले रहे हैं। ऐसे में सहारा प्रबंधन के लिए और भी आसान हो गया है मीडिया को दो फाड़ करना।
ताजा मामला जुलाई 15 में हुई हड़ताल को समाप्त करवाने के बाद कर्मचारियों की एकता को तोड़ने का है। हर संस्थान की तरह मुख्यालय नोएडा में भी दो गुट हैं। एक उपेंद्र राय गुट दूसरा रणविजय सिंह गुट। हालांकि श्री राय अब संस्थान में नहीं हैं फिर भी अभी उनके लोग हैं। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि दूसरे गुट ने हड़ताल का नेतृत्व कर रहे बृजपाल को किनारे लगा दिया। अब उनकी जगह समूह संपादक के करीबी को लाया जा रहा है। यह सब सोची समझी साजिश के तहत किया जा रहा है।
बताते चले कि २ सितंबर को श्रम विभाग में वेतन और अन्य मामले को लेकर सुनवाई है। यदि नोएडा के कर्मचारी इस लड़ाई को जीत जाते हैं या आगे बढाते हैं तो अन्य यूनिटों में भी विरोध के स्वर उठेंगे। यही नहीं यदि नोएडा के कर्मचारी श्रम विभाग तक जा सकते हैं तो वे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं भविष्य में यूनियन भी बना सकते हैं और यदि वे बना सकते हैं तो और क्यों नहीं।
वेतन को मुद्दा बनाकर राय गुट उस समय हड़ताल कराने की सोच रहा है जब सुप्रीम कोर्ट में सहारा सेबी मामले की सुनवाई होने वाली हो। ये गुट चाहता है कि उस समय हडताल इतने पीक पर रहे ताकि इसका बुरा असर पडे और कोर्ट संस्था पर रिसीवर बैठा दे। दूसरा गुट चाहता है एक ऐसा नेता जो कर्मचारियों को शांत रखे। इस समय प्रबंधन एम ओ यू की दुहाई दे रहा है वह एक ही बात प्रचारित करा रहा है कि कर्मचारी ऐसा कुछ न करें कि विदेशी पार्टी से करार न होने पाए।
इन सबके बीच अफवाहों का बाजार गर्म है। कुछ लोगों का मानना है कि किसी विदेशी पार्टी को लीज पर मीडिया देने की रणनीति के तहत फैलाई गई है। बेचने की स्थिति में मिलने वाला पैसा सेबी के खाते में जाता फिर लेने मूर्ख है क्या कि १५ फीसद हिस्सा लेगा सिर्फ कर्मचारियों के वेतन और खर्चे के लिए? यह सब दिखावा है। कुछ लोगों का कहना है कि यदि लीज पर देने की बात सही है तो अभी तक डील अस्तित्व में आई क्यों नहीं? कहां है वह पार्टी? रोज नए नए किस्से कहानी गढ रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि ३१ सितंबर को सभी यूनिट हेड/ संपादकों की सुब्रतो राय ने बैठक ली। बैठक के दो तरह मैसेज प्रचारित कराया जा रहा है। एक वेतन कब और कितना दिया जाएगा, यह चार सितंबर के बाद बताया जाएगा। दूसरा ३५ हजार वालों से कम वाले का वेतन चार तारीख को आ रहा है। वैसे अफवाहों का दौर अभी थमा नहीं हैं।
एक सहाराकर्मी के पत्र पर आधारित.
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