दिल्ली। दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा कन्नड़ के सुप्रसिद्ध लेखक, कन्नड़ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रह चुके और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रो. एम.एम. कालबुर्गी की हिंदुत्ववादी फासिस्टों द्वारा की गयी निर्मम हत्या की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। एम.एम. कालबुर्गी ने हमेशा अपने लेखन के ज़रिये समाज में फैली रूढ़ियों, अंधविश्वासों और हिंदुत्वववादी कट्टरपंथ को अपना निशाना बनाया। भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से जनपक्षधर लेखकों, साहित्यकारों, कलाकारों पर फ़ासीवादी हमले तेज़ हो गए है। अभिव्यक्ति की आज़ादी पर मंडरा रहे फ़ासीवादी खतरे और धार्मिक कट्टरपंथ की खि़लाफ़ उठ रही हर आवाज़ भारत के फ़ासीवादियों के लिए खतरा है।
यही कारण है कि ये कायर और बुज़दिल भगवा फ़ासीवादी दाभोलकर, पानसारे, कालबुर्गी जैसे बुद्धिजीवियों की आवाज़ों को हमेशा के लिए चुप कराना चाहते हैं। एम.एम. कालबुर्गी की कायराना हत्या महज एक बुजुर्ग, सम्मानित और मुखर लेखक की हत्या नहीं है, उससे भी बढ़कर यह एक चेतावनी है उन सभी बुद्धिजीवियों, लेखकों, कलाकारों के लिए जो इन फ़ासीवादियों का प्रतिरोध कर रहे हैं और आम जनता के सामने इनकी घृणित राजनीति की पोल खोल रहे हैं। यह चेतावनी है - जो सच-सच बोलेंगे, मारे जायेंगे! ना ही यह कोई एकाकी घटना है। यह फ़ासीवादी एक-एक करके हर उस आवाज को चुप करा रहे हैं जो इनके फासिस्टि मंसूबों को अंजाम तक पहुँचने के रास्ते में रुकावट पैदा कर रहे हैं। और अब तो ये खुलेआम चुनौती दे रहे हैं, बजरंग दल के एक नेता भुवित शेट्टी ने तो सोशल मीडिया पर कालबुर्गी की हत्या के बाद यह लिख डाला की जो हिंदुत्व का मज़ाक बनाएगा वो कुत्ते की मौत मारा जाएगा और कालबुर्गी के बाद इनका अगला निशाना कन्नड़ लेखक के.एस भगवान हैं। एक 77 वर्षीय बुजुर्ग की कायरतापूर्ण हत्या को यह फ़ासीवादी अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं।
वे जानते हैं कि उनका फासिस्ट एजेंडा जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा, प्रतिरोध की आवाजें भी तेज होती जायेंगी। इसलिए सत्ता के वरदहस्त तले उनके हमले और ज्यादा जुनूनी, और ज्यादा जघन्य, और ज्यादा पागलपन भरे होते जायेंगे। एक तरफ सत्ता में बैठकर यह फ़ासीवादी सरकार श्रम कानूनी को और लचीला कर मज़दूरों और मेहनतकशों का खुला शोषण कर रही, किसानों को उजाड़ उन्हें आत्महत्या करने की कगार पर ला खड़ा कर रही है, महंगाई, बेरोज़गारी, कुपोषण ने हमारे देश की आवाम की कमर तोड़ रखी हैं और वही दूसरी ओर ये फ़ासीवादी हर उस आवाज़ को चुप करा देना चाहते हैं जो आम मेहनतकश जनता का ध्यान इनके असली इरादों की और केंद्रित कर रही हैं। कालबुर्गी जैसे बुद्धिजीवियों की हत्या कर ये फ़ासिस्ट सोचते है कि यह जनता की आवाज़ को दबा पाने में कामयाब हो जायेगे। कॉलेजों के कैम्पसों में सुकुड़ता जनवादी स्पेस और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर रोक, भगवाकरण की अपनी मुहीम से कला और शिक्षा के संस्थानों की स्वायत्तता को छीनने की इनकी कवायदें, हमारे जनवादी अधिकारों पर चौतरफ़ा हमला हैं। फ़ासीवादियों द्वारा किया जा रहा दमन चाहे वह कलाकारों का हो, आम मेहनतकश जनता का, छात्रों का यह सभी एक दूसरे से जुड़े हैं।
ये फ़ासिस्ट अपने इतिहास को भूल बैठे हैं, न तो मुसोलिनी लोर्का की हत्या कर उनकी आवाज़ को दबा पाया और न ही हिटलर अपने फ़ासीवादी षड्यंत्र में कामयाब हो पाया। कालबुर्गी जी की निर्मम हत्या की हम कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करते है और सभी जनपक्षधर नागरिकों, बुद्धिजीवियों से यह अपील करते हैं कि फ़ासीवाद को मुहतोड़ जवाब देने के लिए व्यापक जन एकजुटता कायम करे। जिस तरह इन फ़ासीवादियों का हमला हम सब पर चौतरफ़ा हैं ठीक उसी तरह इनके खि़लाफ़ संघर्ष भी अलग थलग रह कर नहीं किया जा सकता। दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा सभी न्यायप्रिय और इन्साफपसंद नागरिकों से यह अपील करता हैं कि वे कालबुर्गी जी जैसे बुद्धिजीवियों की हत्या के प्रतिरोध में मुखर रूप से शामिल हो और फ़ासीवाद के खि़लाफ़ व्यापक जन एकजुटता स्थापित करे।
कृते
दिशा छात्र संगठन
नौजवान भारत सभा
9873358124
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