नई दिल्ली । 46 वां सर्वोदय समाज, सम्मेलन 1 से 3 नवम्बर 2015 को गाँधी आश्रम, किंग्सवे कैम्प, दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है, विभिन्न गांधीवादी, रचनात्मक एवं समानधर्मी संस्थाओं के लगभग 4000 प्रतिनिधि मिलकर समकालीन चुनौतियों पर चर्चा करेंगे और उसका समाधान तलाश करेंगे। सर्वोदय समाज सभी रचनात्मक साथियों का एक बड़ा राष्ट्रीय मंच प्रदान करता है जहाँ विभिन्न लोग अपने विचार और अनुभव साझा करेंगे ताकि भविष्य के लिए उन्हें प्रेरणा और संदेश प्राप्त हो सके। यह सम्मेलन 65 वर्षों की एक परंपरा भी है और सभी गांधीवादी संस्थाओं का आधारभूत संगठन भी है जिसमें खादी, ग्राम स्वराज्य, प्राकृतिक चिकित्सा, हिंदी प्रचार, स्वच्छता, गौ सेवा, जैविक खेती, पर्यावरण, पारम्परिक ज्ञान, स्थानीय दस्तकरी, आदिवासी और न्याय आदि शामिल विषय चर्चा में लिये जाते हैं।
सर्वोदय आन्दोलन महात्मा गाँधी, आचार्य विनोबा भावे व जयप्रकाश नारायण के आदर्शों से प्रेरित है। इसने महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्यक्रम, विनोबा भावे के भूदान आन्दोलन तथा जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति को अपने आप में समाहित किया है, सर्वोदय सभी की भलाई, सभी के विकास की बात करता है। सर्वोदय अन्त्योदय (अंतिम आदमी की भलाई) से आरंभ होता है। इसको दृष्टि में रखते हुए सर्वोदय समाज की स्थापना सन् 1948 में आचाय विनोबा भावे के नेतृत्व में एक सभा में हुई जिसकी अध्यक्षता डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद ने की तथा उसमें जवाहर लाल नेहरू, जयप्रकाश नारायण, जे. बी. कृपलानी, सरोजनी नायडू, डाॅ. जाकिर हुसैन जैसे महानुभाव उपस्थित थे।
इस सभा में सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि सर्वोदय जिसमें गाँधीजी का बिम्ब है वही देश के विकास के लिए मार्गदर्शक होना चाहिये, सरकार और गाँधीजी के रचनात्मक कार्यों से जुड़े कार्यकर्ता एक साथ मिलकर सर्वोदय के सिद्धांतों के आधार पर नई सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करेंगे। यह एक ऐसा मंच होगा जहाँ लोग सत्य अहिंसा, सत्याग्रह, सर्वोदय, स्वदेशी आदि के मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे।
सर्वोदय इस मामले में व्यापक होगा कि इसमें महात्मा गाँधी के विचारों के आधार पर सामाजिक व्यवस्था होगी जिसमें अनेकता में एकता, समाज के सभी लोगों के बीच आपसी सम्मान और न्याय, विशेषकर समाज के अंतिम व्यक्ति को, अवश्य मिले। यह प्रेम और विश्वास के आधार पर एक ऐसा बहुलवादी समुदाय होगा जिसे अपने आप पर गर्व हो। इस प्रकार सर्वोदय समाज एक रूढि़वादी संस्था या संगठन नहीं होगा, यह एक ऐसा संगठन होगा जिसके नियम कठोर नहीं होंगे। यह किसी एक तकनीक के आधार पर नहीं चलेगी, मांग और चुनौतियों के आधार पर यह आदर्श तकनीक विकसित करती रहेगी। इसके मूल तत्व वहीं रहेंगे केवल कार्यप्रणाली समयनुसार बदलती रहेगी।
गाँधी आश्रम, हरिजन सेवक संघ दिल्ली, जहां यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है में सन् 1932 में महात्मा गाँधीजी ने स्वयं स्थापित किया था और वे यहाँ, 180 दिन तक रहे थे। यहीं रहते हुए उन्होंने राष्ट्रीय महत्व के कार्यो का संपादन किया था। अधिकतर कार्यों का संपादन किया। इस तरह दिल्ली के इस सम्मेलन में अन्य देशों से मित्रों की भागीदारी के माध्यम से विनोबा भावे का नारा जय जगत (वसुधैव कुटुम्बकम) स्पष्ट रूप से परिलक्षित होगा।
सर्वोदय समाज विश्व के लिए भी एक खुला मंच है जहाँ राष्टीय-अंतर्राष्ट्रीय संगठन विश्व शांति के उद््देश्य से भाग लेते हैं। भारत के उत्तरपूर्व, जम्मू-कश्मीर, उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के प्रतिनिधि वास्तव में यहाँ एक सम्पूर्ण भारत की छवि प्रस्तुत करेंगे। इन विभिन्न प्रान्तों के प्रतिनिधियों के साथ साथ जर्मनी, फ्राँस, मैक्सिको, बांग्लादेश, इंडोनेशिया आदि देशों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। सम्मेलन की अध्यक्षता सुश्री राधा भट्ट करेंगी। पद्मभूषण सेवानिवृत न्यायाधीश डाॅक्टर चंद्रशेखर धर्माधिकारी उद्घाटन भाषण प्रस्तुत करेंगे। सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डाॅक्टर विन्देश्वरी पाठक, फ्राँस से शांति वार्ताकार जीन लुइस बातों तथा अन्य कई समाज सेवक जैसे पी.वी. राजगोपाल, जल पुरुष राजेन्द्र सिंह, जाने माने गांधीवादी श्री बाल विजय जी इस सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लेंगे।
आदित्य पटनायक
संयोजक, सर्वोदय समाज
लक्ष्मी दास
अध्यक्ष, स्वागत समिति
अशोक शरण
संयोजक, दिल्ली सर्वोदय मण्डल
प्रेस नोट
WOW just what I was looking for. Came here
ReplyDeleteby searching for foot pain heel