18.10.15
पुलिस की करतूतों पर पर्दा डालती है कासगंज की मीडिया
अमन पठान, कासगंज
कासगंज कोतवाली प्रभारी के इशारे पर एसएसआई के द्वारा ली गई घूस का प्रकरण सार्वजनिक हो गया और एक ऑडियो टेप भी वायरल हुआ, लेकिन अफ़सोस मुख्यमंत्री के सजातीय पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कोई कार्यवाई नही की गई और न पीड़ित से ली गई घूस लौटाई गई। हर बार की तरह इस बार भी कासगंज की मीडिया ने पुलिस की करतूत पर पर्दा डाल दिया। क्या यही है पत्रकारिता का दायित्व?
तिराहे चौराहे पर पुलिसकर्मी घूस लेते देखे जा सकते हैं। वाहन चेकिंग के दौरान वाहन स्वामियों जबरन सुविधा शुल्क वसूली जाती है। पर्याप्त सुबूत पर ही खबर प्रकाशित की जाती है। एसएसआई के द्वारा एक बेकुसूर युवक को छोड़ने के एवज में ली गई 10 हजार रूपये की घूस का ऑडियो टेप वायरल होने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया। एसपी हिमांशु कुमार के तेवरों से लगने लगा कि दोषी पुलिसकर्मियों पर गाज गिरेगी। लेकिन मुख्यमंत्री के सजातीय पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कोई भी विभागीय कार्रवाई अमल में नही लाई गई। अगर यही हरकत किसी अन्य पुलिसकर्मी या आम नागरिक ने की होती तो वो आज सलाखों के पीछे होता। दोषी पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए कासगंज की मीडिया उनके समर्थन में उतर आई।
जब मीडियाकर्मी ही दोषियों का साथ देने लगेंगे तो आम नागरिक किस तरह पुलिस की रिश्वतखोरी से बचेगा। बताते चलें कि 7 फरवरी 2013 में कासगंज कोतवाली क्षेत्र के गांव नदरई में चार पुलिसकर्मियों ने साबिर के घर में घुसकर उसके साथ मारपीट की और घर में तोड़फोड़ भी की गई। पुलिस पर लूटपाट का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने पुलिस चौकी पर जमकर हंगामा भी किया। नतीजा अधिकारियों ने मामले में जाँच का कफ़न डाल दिया तो मीडिया ने मामले को दबा दिया। दूसरा घूसखोरी का मामला 15 सितम्बर 2013 को प्रकाश में आया और सीओ सिटी ने लुटेरी ट्रैफिक पुलिस का चेहरा बेनकाब किया। 15 सितम्बर 2013 को शहर में भीषण जाम लगा हुआ था और यातायात प्रभारी मिलाप सिंह यादव शहर से दूर काली नदी के निकट राजस्थान के वाहनों से वसूली कर रहे थे।
सीओ सिटी अशोक कुमार सिंह ने यातायात प्रभारी को शहर में लगे जाम को खुलवाने के लिए वायरलैस पर निर्देशित किया लेकिन यातायात प्रभारी को अवैध वसूली से फुर्सत नहीं मिली। इसी दौरान राजस्थान के एक पीड़ित वाहन चालक ने सीओ सिटी से अवैध वसूली की शिकायत कर दी। सीओ सिटी लोकेशन लेकर मौके पर पहुँच गए और ट्रैफिक हवलदार रवेन्द्र यादव की जेब से 20150 रूपये भी बरामद किये। मामले ने तूल पकड़ा तो कांस्टेबल रवेन्द्र यादव उन पैसों को समन शुल्क का सरकारी पैसा बता दिया। पत्रकार अमन पठान ने सीओ सिटी ने सवाल दाग दिया कि समन शुल्क प्रतिदिन जमा होता है ये सरकारी पैसा लेकर ड्यूटी क्यों कर रहे हैं। इस पर सीओ सिटी ने रटा रटाया बयान दिया इसकी जाँच की जा रही है।
पत्रकार अमन पठान को उनके ब्यूरो चीफ ने खबर नही लिखने दी, लेकिन पत्रकार ने आगरा से प्रकाशित एक अख़बार में खबर प्रकाशित करवा दी तो अमन पठान को संस्थान से निकाल दिया गया। इस कारण मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया। कासगंज की मीडिया हमेशा से पुलिस की करतूतों पर पर्दा डालती आ रही है। इस घूसखोरी के मामले में भी कासगंज की मीडिया ने पुलिस की करतूत पर पर्दा डालकर पुलिस अधिकारियों की वाह वाही लूट रही है। सबसे अहम बात तो ये कि मेरे संज्ञान में आये तीनों मामलों के दोषी मुख्यमंत्री के सजातीय पुलिसकर्मी ही निकले और आज तक उनके विरुद्ध कोई कार्यवाई नही हो सकी। इससे साफ जाहिर है कि वरिष्ठ अधिकारी मुख्यमंत्री के सजातीय पुलिसकर्मियो के आगे नतमस्तक हैं और साथ ही मीडिया भी अपने फर्ज को ठीक तरह से निभा नही पा रही है।
Amanpathan Kasganj
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