17.11.15

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर उपजा ने मनाया समारोह, पत्रकार सुरक्षा कानून और मीडिया काउंसिल को जरूरी बताया

लखनऊ। वरिष्ठ पत्रकार दादा पी0के0राय ने मीडिया जगत, खासकर अखबारों में काम करने वाले पत्रकारों का आह्वान किया है कि वे अच्छी खबरें लिखकर समाज में सकारात्मक सोच पैदा करें। उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ने पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने तथा मीडिया काउंसिल की पुरजोर वकालत की। सोमवार को राजधानी में राष्ट्रीय प्रेस दिवस समारोह का आयोजन उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) और इसकी स्थानीय इकाई ‘लखनऊ जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन’ ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर पत्रकारिता में विश्वसनीयता का संकट, पेड न्यूज के बढते चलन, संपादक की बदलती परिभाषाओं, इलेक्ट्रानिक एवं सोशल मीडिया के बढते वर्चस्व, पत्रकारों की सुरक्षा, पेशन, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।




कैसरबाग स्थित जयशंकर प्रसाद सभागार में आयोजित समारोह की अध्यक्षता करने वाले वरिष्ठ पत्रकार पी0के0राय ने अपने सारगर्भित सम्बोधन में कहा कि लोकतंत्र में ‘पब्लिक ओपिनियन’ का बहुत महत्व होता है। इस प्रणाली में विशेष रूप से प्रिण्ट मीडिया जनता की राय बनता है। लिहाजा उसके पत्रकारों को चाहे वे संवाददाता हों, अथवा डेस्क पर कार्यरत सम्पादक, उन्हें बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि उनकी लिखी और सम्पादित खबरें सनद व दस्तावेज बन जाती हैं। उन्होने  कहा कि खबरों, पत्रकारों और मीडिया मालिकों पर भी अंकुश रखने तथा उन्हें मार्गदर्शित करने के लिए प्रेस परिषद की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है किन्तु इसका विस्तार किया जाना चाहिए ताकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा खबरिया चैनल भी इसकी परिधि में आ सकें। इस सम्बन्ध में उन्होंने मीडिया काउंसिल बनाये जाने की पुरजोर वकालत की।

पूर्व सूचना आयुक्त वीरेन्द्र सक्सेना, ‘उपजा’ के प्रदेश अध्यक्ष रतन कुमार दीक्षित, महामंत्री रमेश चन्द्र जैन आदि ने निडर एवं फ्री प्रेस की महत्ता पर अपने गम्भीर विचार रखे और प्रेस की मजबूती तथा स्वतंत्रता के अलावा पत्रकारों के आर्थिक हितों व उनकी सुरक्षा पर जोर दिया। उपजा ने पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने तथा मीडिया काउंसिल की स्थापना हेतु  पत्रकारों द्वारा आगामी 7 दिसम्बर को दिल्ली में संसद भवन घेरने की घोषणा की है।  कार्यक्रम का संचालन लखनऊ जर्नलिस्ट्स एसोसिशन के अध्यक्ष अरविन्द शुक्ल ने किया।

उपजा के प्रान्तीय अध्यक्ष रतन कुमार दीक्षित ने समाज को दिशा तथा निर्देशन में मीडिया की अहमियत को रूपांकित करते हुए लोकतंत्र में इसकी भूमिका पर जोर दिया । उपजा के प्रदेश अध्यक्ष रतन कुमार दीक्षित ने मीडिया पर शासन प्रशासन तथा मीडिया पर कारपोरेट घरानों के बढते प्रभुत्च वर चिंता व्यक्त की। महामंत्री रमेश चन्द्र जैन ने कहा कि प्रेस काउंसिल के दायरे में अभी सिर्फ प्रिण्ट मीडिया है, इसके स्वरूप में परिवर्तन कर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को भी इसकी परिधि में ले आया जाना चाहिए। उन्होने पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किये जाने हेतु एक ज्ञापन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री सहित लोकसभा व विधानसभा के नेताओं को भेजने की बात कही है।

वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने इस अवसर पर अत्यन्त विस्तार से पत्रकारिता के स्वरूप व इसकी महत्ता की विवेचना की। उन्होने पत्रकारों में विश्वसनियता के संकट पर विस्तार से चर्चा की। उन्होने कहा कि स्वतंत्र प्रेस, लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण अंग, घटक तथा कडी है। उन्होने आजादी से पूर्व से लेकर अब तक मीडिया के बदलते स्वरूप तथा संपादक की बदलती प्राथमिकताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होने समय समय पर पत्रकारों को प्रशिक्षण देने की भी बात कही। पूर्व सूचना आयुक्त व पत्रकार वीरेन्द्र सक्सेना ने समाज के अन्य वर्गो में आयी गिरावट से पत्रकारों को अछूता नही बताया। उनका कहना था कि पत्रकारों पर ही सबकी निगाहें क्यों, नेता, अधिकारियों पर क्यों नही। उन्होने कहा कि जिलों,तहसीलों के पत्रकारों की हालत सबसे खराब है। उन्होने अखबारों में अंग्रेजी के बढते प्रयोग को गलत बताया और कहा कि हिन्दी बहुत समृद्ध भाषा है। उन्होने व्यवसायिकता की अंधी दौड में पेड न्यूजपर अंकुश लगाने की वकालत की।

वरिष्ठ पत्रकार वीर विक्रम बहादुर मिश्र ने कहा कि अच्छे पत्रकारों को चाहिए कि वे अपनी बौद्धिकता तथा साधनों का इस्तेमाल उन लोगों के विरुद्ध करें जो अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए समाज तथा जन के हितों पर कुठाराघात कर रहे हैं। उपजा के प्रान्तीय उपाध्यक्ष निर्भय सक्सेना ने अपने सम्बोधन में मजीठिया वेतन आयोग द्वारा की गयी सिफारिशों को समाचार पत्र मालिकों द्वारा ंवेजबोर्ड लागू न किये जाने का मुद्दा बडी शिद्दत से उठाया। उन्होने कहा कि अखबार मालिकान सुप्रीमकोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं और सरकारें चुप्पी साधे हैं। अन्य प्रान्तीय उपाध्यक्ष डाॅ0 राधेश्याल लाल कर्ण ने पत्रकारों के संकल्प तथा विजन पर जोर दिया, साथ ही कहा कि केवल लोकतंत्र में प्रेस की स्वतंत्रता सम्भव हैय लिहाजा प्रेसकर्मियों, कर्मचारियों और नियोक्ताओं में बेहतर समझ होनी चाहिए। उन्होने क्षेत्रीय पत्रकारों, जिला, तहसील, ब्लाक एवं गाव स्तर के पत्रकारों की स्थित पर विस्तार से चर्चा कर उनकी सुरक्षा तथा अन्य सरकारी सुविधाए दिलाये जाने की मांग की।

लखनऊ इकाई के अध्यक्ष अरविन्द शुक्ला ने पत्रकारों की शरीरिक सुरक्षा के साथ ही पत्रकारों की आर्थिक सुरक्षा बढाये जाने की जरूरत पर बल दिया। पूर्व में एक बार विधानसभा में  पत्रकारों के लिए  पेंशन विधेयक के  पूर्ववर्ती एक सरकार द्वारा वापस ले लेने पर अफसोस जताते हुए कहा कि पत्रकारों के लिए वर्तमान सरकार को पेंशन स्कीम का लाभ देना चाहिए। अरविन्द शुक्ला ने सूचना के अधिकार अधिनियम को पत्रकारों के लिए ब्रम्हास्त्र बताया और कहा कि आरटीआई के प्रयोग से पत्रकार पारदर्शी शासन व्यवस्था कायम करने की दिशा में काम कर सकता है।

राज्यसभा टीवी के पत्रकार डा0 अशफाक अहमद ने सोशल मीडिया, प्रिण्ट मीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दायित्व की चर्चा करते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सक्रियता ने अखबारों पर दबाव बढा दिया है। पत्रकार पी0एन0द्विवेदी ने पत्रकारों के प्रोफेशनल होने के पीछे संचार क्रांति और तत्काल समाचार प्रेषण का दबाव होना बताया। उन्होने कहा कि पत्रकारों से भूखे पेट ईमानदार पत्रकारिता करने की बात कल्पना से परे बताई। विनय जोशी ने पेशेवर पत्रकारिता पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रेस की भूमिका समाज हितैषी बातों तथा सुझावों को नीति निर्माताओं तक पहुंचाना और उनकी पैरोकारी करना होनी चाहिए। प्रेस के लोग शासन के कार्यों की सही मॉनिटरिंग करें। उन्होने पत्रकार एकजुटता पर बल दिया। भरत सिंह ने पत्रकारिता को कम्युनिकेशन का जरिया बताया और सोशल मीडिया के विस्तार और उसकी स्वच्छंदता पर चिंता व्यक्त की। नीरजा मिश्रा ने पत्रकारिता मिशन,प्रोफेशन और सेंन्सेशन क्यों बनी इस पर विस्तार से चर्चा की। उन्होने कहा कि शब्द ब्रम्ह है वह तारक भी हैं और मारक भी उन्होने संतुलित पत्रकारिता पर बल दिया और कहा कि वे लिंगभेद नही मानती। पत्रकार पद्मकांत शर्मा सहित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे।

सूचना विभाग के विशेष कार्याधिकारी राजेश राय ने कहा कि आवश्यक है कि पत्रकार नैतिक मूल्यों पर ध्यान दें। उन्होने समूची मीडिया में बढते व्यवसायीकरण को चिन्ताजनक बताया तथा कहा कि इससे पत्रकार जगत को भारी क्षति हो रही है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि तथा अध्यक्ष पी0के0राय को प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया।  इसके पहले कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि व अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इस मौके पर सुनील त्रिवेदी ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन भी सुनील त्रिवेदी ने किया। इस अवसर पर अनेक वरिष्ठ पत्रकारों सर्वश्री वीर विक्रमबहादुर मिश्र,  मंत्री सुनील त्रिवेदी, एलजेए के उपाध्यक्ष भारतसिंह, सुशील सहाय, मंत्री अनुराग त्रिपाठी, विकास श्रीवास्तव, शैलन्द्र श्रीवास्तव,अनुपम चैहान,राजेश सिंह,समेत अनेक गणमान्य लोगों के आलावा प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये पत्रकार इस समारोह में बडी तादाद में जिलों से आये पत्रकार आदि उपस्थित रहे।            

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