17.11.15

हिन्दू महासभा ने संघ विचारक वैद्य पर बोला हमला, गांधी की हत्या को जायज ठहराने के लिए गिनाए कारण

मुंबई । अखिल भारत हिन्दू महासभा ने आज यहां नथूराम गोडसे के बलिदान दिवस की तीखी निन्दा कर गांधी को देशभक्त बताने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के व्योवृद्ध विचारक एमजी वैद्य सहित अपने को गांधीवादी बताने वाले कांग्रेस सहित विभिन्न राजनैतिक दलों को आड़े हाथों लिया है। हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पण्डित बाबा नन्द किशोर मिश्र ने कहा कि आज उसी गांधी को देशभक्त बता रहे है जिनकी नीतियों के कारण लाखों हिन्दुओं को काट दिया गया, लड़कियों और महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और करोड़ों को बेघर कर दिये गये।



यही नहीं अपनी लाश पर भारत के विभाजन की बात करने वाले गांधी ने ही कांग्रेस के तैयार किये गये भारत विभाजन के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किये थे। बल्कि गांधी ने मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए १९२१ में गान्धी ने खिलाफत आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग १५०० हिन्दू मारे गये व २००० से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गान्धी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया। हिन्दू महासभा नेता पण्डित बाबा नन्द किशोर मिश्र ने संघ विचारक वैद्य पर तीखे वार करते हुये कहा कि आज गांधी वध करने वाले नथूराम गोडसे के बलिदान दिवस को महिमामंडन बताकर चिन्ता जताने वाली संघ जब जलियावाला काण्ड के सूत्रधार ब्रिटिश कर्नल बाईली को मारने वाले मदन लाल धींगरा का सम्मान करता है तो गांधी की नीतियों से लाखों हिन्दुओं के कटने पर स्वाभाविक प्रतिक्रिया में गांधीवध करने वाले नथूराम गोडसे से संघ दूरी क्यों बना रहा है।

श्री मिश्र ने कहा कि अब समय आ गया है कि देश के सामने गांधीवध से जुड़े पूरे तथ्यों और गोडसे के बयानों को सामने लाया जाये और जिसके लिये हिन्दू महासभा पूरी तरह कृतसंकल्प है और नथूराम गोडसे जीवन पर हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता और निर्माता डा0 संतोष राॅय फिल्म तैयार कर रहे है वह भी जल्द ही भारत के बड़े पर्दे पर दिखायी देगी। श्री मिश्र ने गोडसे के बलिदान दिवस को महिमामंडन बताने वाली कांग्रेस और संघ विचारक एम0जी0 वैद्य ने सवाल किया कि अगर गोडसे गलत थे तो न्यायालय में दिये गये उनके बयानों को पचास वर्षों तक क्यों दबा कर रखा गया क्यों नहीं देश की जनता के सामने उनके बयानों को प्रसारित किया गया।

इसके साथ ही श्री मिश्र ने संघ पर निशाना साधते हुये कहा कि संघ यदि गांधी को देशभक्त और गोडसे को हत्यारा मानता है तो संघ को तत्काल प्रभाव से अपनी लाइब्रेरियों से नथूराम गोडसे से जुड़ी पुस्तकों खासतौर से गांधी वध क्यों को हटा दे। उल्लेखनीय है कल गांधीवध करने वाले नथूराम गोडसे को फांसी दी गयी थी, जिनकी पुण्यतिथि के मौके पर देशभर में हिन्दू महासभा व अन्य हिन्दू संगठनों के द्वारा नथूराम गोडसे को बलिदान दिवस मनाया गया और उनके नाम से एक वेबसाईट का शुभारम्भ किया गया जिसके जरिये गोडसे के द्वारा उठाये कदमों और गांधी वध से जुड़ी समस्त जानकारियां लोगों को आसानी के साथ उपलब्ध कराना है। इसी कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस सहित विभिन्न संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और संघ विचारक एमजी वैद्य ने चिन्ता जाहिर की थी।

गांधी वध के कुछ कारण
 अमृतसर के जलियाँवाला बाग गोली काण्ड (१९१९) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के नायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाये। गान्धी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से स्पष्ठ मना कर दिया।
  भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व गान्धी की ओर देख रहा था, कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचायें, किन्तु गान्धी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग को अस्वीकार कर दिया।६ मई १९४६ को समाजवादी कार्यकर्ताओं को दिये गये अपने सम्बोधन में गान्धी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी।
 मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए १९२१ में गान्धी ने खिलाफत आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग १५०० हिन्दू मारे गये व २००० से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गान्धी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया।
 १९२६ में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द की अब्दुल रशीद नामक मुस्लिम युवक ने हत्या कर दी, इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गान्धी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिये अहितकारी घोषित किया।गान्धी ने अनेक अवसरों पर शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोबिन्द सिंह को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।
 गान्धी ने जहाँ एक ओर कश्मीर के हिन्दू राजा हरि सिंह को कश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निजाम के शासन का हिन्दू बहुल हैदराबाद में समर्थन किया।
 यह गान्धी ही थे जिन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आजम की उपाधि दी।
 कांग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिये बनी समिति (१९३१) ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गान्धी की जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।
 कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से कॉंग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गान्धी पट्टाभि सीतारमय्या का समर्थन कर रहे थे, अतरू सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण पद त्याग दिया।
 लाहौर कांग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु गान्धी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया।
 १४-१५ १९४७ जून को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी ने वहाँ पहुँच कर प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।
 जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थेय ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और १३ जनवरी १९४८ को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
  पाकिस्तान से आये विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली तो गान्धी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।
 २२ अक्टूबर १९४७ को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउण्टबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को ५५ करोड़ रुपये की राशि देने का परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी।

भवदीय
पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र 
कार्यकारी अध्‍यक्ष
अखिल भारत हिन्दू महासभा
पेशवा रोड, महेश्‍वर आश्रम
नई दिल्ली - 110001
दूर ध्‍वनि: 09868077753
abhindumahasabha@gmail.com

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