कौन से युग ,किस सदी ,
किस कालखंड में ,सहिष्णु थे आप ?
देवासुर संग्राम के समय ?
जब अमृत खुद चखा
और विष छोड़ दिया
उनके लिए ,
जो ना थे तुमसे सहमत.
दैत्य ,दानव ,असुर ,किन्नर
यक्ष ,राक्षस
क्या क्या ना कहा उनको.
वध ,मर्दन ,संहार
क्या क्या ना किया उनका .
.......................
तब थे आप सहिष्णु ?
जब मर्यादा पुरुषोत्तम ने काट लिया था
शम्बूक का सिर .
ली थी पत्नी की चरित्र परीक्षा
और फिर भी छोड़ दी गई
गर्भवती सीता
अकेली वन प्रांतर में .
या तब ,जब
द्रोण ने दक्षिणा में कटवा दिया था
आदिवासी एकलव्य का अंगूठा .
जुएं में दांव पर लगा दी गयी थी
पांच पांच पतियों की पत्नि द्रोपदी
और टुकर टुकर देखते रहे पितामह .
...............
या तब थे आप सहिष्णु ?
जब ब्रह्मा ने बनाये थे वर्ण
रच डाली थी ऊँच नीच भरी सृष्टि.
या तब ,जब विषमता के जनक ने
लिखी थी विषैली मनुस्मृति .
जिसने औरत को सिर्फ
भोगने की वस्तु बना दिया था .
शूद्रों से छीन लिए गए थे
तमाम अधिकार .
रह गए थे उनके पास
महज़ कर्तव्य .
सेवा करना ही
उनका जीवनोद्देश्य
बन गया था .
और अछूत
धकेल दिये गए थे
गाँव के दख्खन टोलों में .
लटका दी गई थी
गले में हंडिया और पीठ पर झाड़ू
निकल सकते थे वे सिर्फ भरी दुपहरी .
ताकि उनकी छाया भी ना पड़े तुम पर .
इन्सान को अछूत बनाकर
उसकी छाया तक से परहेज़ !
नहीं थी असहिष्णुता ?
.................
आखिर आप कब थे सहिष्णु ?
परशुराम के क्षत्रिय संहार के समय
बौद्धों के कत्लेआम के वक़्त
या महाभारत युद्ध के दौरान .
लंका में आग लगाते हुए
या खांडव वन जलाते हुये .
कुछ याद पड़ता है
आखिरी बार कब थे आप सहिष्णु ?
..............................
अछूतों के पृथक निर्वाचन का
हक छीनते हुए ,
मुल्क के बंटवारे के समय
दंगों के दौरान ,
पंजाब ,गुजरात ,कश्मीर ,पूर्वोत्तर ,
बाबरी ,दादरी ,कुम्हेर ,जहानाबाद
डांगावास और झज्जर
कहाँ पर थे आप सहिष्णु ?
सोनी सोरी के गुप्तांगों में
पत्थर ठूंसते हुए .
सलवा जुडूम ,ग्रीन हंट के नाम पर
आदिवासियों को मारते हुए .
लोगों की नदियाँ ,जंगल ,
खेत,खलिहान हडपते वक़्त .
आखिर कब थे आप सहिष्णु ?
दाभोलकर ,पानसरे ,कलबुर्गी के
क़त्ल के वक़्त .
प्रतिरोध के हर स्वर को
पाकिस्तान भेजते वक़्त
फेसबुक ,ट्वीटर ,व्हाट्सएप
किस जगह पर थे आप सहिष्णु ?
......
प्राचीन युग में ,
गुलाम भारत में
आजाद मुल्क में
बीते कल और आज तक भी
कभी नहीं थे आप कतई सहिष्णु .
सहिष्णु हो ही नहीं सकते है आप
क्योंकि आपकी संस्कृति ,साहित्य ,कला
धर्म ,मंदिर ,रसोई ,खेत ,गाँव ,घर .
कहीं भी नहीं दिखाई पड़ती है सहिष्णुता
सच्चाई तो यह है कि आपके
डीएनए में ही नहीं
सहिष्णुता युगों युगों से ......
- भंवर मेघवंशी
(स्वतंत्र पत्रकार)
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