25.11.15

ये कौन सा मिशन है आमिर.....

रमेश कुमार ‘‘रिपु‘‘

पर्दे का ही नायक नहीं हो आमीर। दिल से करोड़ों हिन्दुस्तानियों के हीरो भी हो। यह कौन सा मिशन है जिमसें डर का प्रचार करने लगे। देश में रहने से डर रहे हैं या फिर देशवासियों की मोहब्बत से डरने लगे हैं। बच्चों की सुरक्षा के लिए देश छोड़कर किरण (पत्नी) जाना चाहती है। यह कहकर क्या बताना और जताना चाहते हैं। आपको किससे डर है। डर का प्रचार कर रहे हो या फिर डर बेच रहे हो। यह डर नायक का है या फिर एक मुस्लिम का? हिन्दुओं के देश में उनके धर्म की बखिया उधेड़ी पी.के. फिल्म में, तब तुम्हें डर नहीं लगा। हिन्दुस्तानियों ने तुम्हारे घर में पत्थर तक नहंी फेके। तुम्हारे चेहरे पर कालिख तक नहीं पोती। बावजूद इसके लोगों ने प्यार दिया। फिल्में देखी। मुस्लिम धर्म की बखिया उधेड़कर बताओ ? तब कहना डर लगता है। एक नायक सत्यमेय जयते में बड़ी बड़ी बातें करता है और फिर अचानक असहिष्ण्ुाता की बात करने लगे तो बात हजम होती नहीं।



पहले शाहरूख खान। फिर आमिर। आगे सलमान और फिर सैफ अली भी खलनायक की भाषा इस्तेमाल करेंगे तो देश के लोग ऐसी भाषा बोलने वालों के साथ असहिष्णु हो जाएं तो गलती किसकी? दुनिया में  हिन्दुस्तान ही एक देश है, जहां कट्टरता को तरजीह नहीं दी जाती है। आप को, आपके परिवार को, भारत में नहीं रहना है तो ऐसे ही देश छोड़ कर  चले जाइए, लेकिन तोहमत लगाकर हिन्दुस्तान के साथ जंगली बर्ताव तो कम से कम न करें। यदि इसके पीछे आपका कोई मिशन है तो उसका खुलासा जरूर कर दें। अन्यथा आपके बयान पर और आपकी इस नई राह पर देश हंसेगा। फिर ये भी न कहना कि मै तो ऐसा कहकर देख रहा था कि लोग क्या कहते है। आप के एक बयान से सारा देश अचंभित है। असुरक्षा की बात कहकर आप किसके साथ लड़ाई के लिए उद्वेलित करना चाह रहे हैं? देश के खिलाफ कौन सी फौज तैयार करना चाहते हैं। आपकी ही बिरादरी के लोग ‘‘ डरना मना है‘‘ फिल्म बनाते हैं और आप डरने की बात करते हैं।

डरना तो हिन्दुओं को चाहिए कि आप अपनी अगली फिल्म में, उनके धर्म पर और उनकी आस्था पर, मनोरंजन के नाम पर न जाने कौन सी चोट करें। इन सबके बावजूद, फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी। कुछ कहोगे। कुछ भी करोगे। माफ कर देंगे। क्यों कि हम हिन्दुस्तानी हैं। आपकी कौम को माफ ही तो करते आ रहे हैं। अलकायदा,मुजाहिदीन,आइएस ऐसे कई नाम हैं। चेहरे हैं। क्या इनसे आपको डर नहीं लगता? आपको भले डर न लगे लेकिन, हिन्दुस्तानी डरते हैं। इनकी ताकत से नहीं। इनकी हरकतों से भी नहीं। रहते हमारे दिल में हैं,घर में और पीठ में छुरा भोंकते हैं। डरते हैं बेवजह असहिष्णुता की हाई फाई वकालत करने वालों से। अच्छा होता कि आमीर, सहिष्णुता की बात करते। अपने आप असहिष्णुता की मौत हो जाती।

रमेश कुमार ‘‘रिपु‘‘
वरिष्ठ पत्रकार
मो. 08109949394
rameshripu@gmail.com

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