उत्तर प्रदेश मे पड़ने वाले सीतापुर जिले के महोली तहसील में शायद ही कोई अखबार न आता हो लेकिन वहाँ फिर भी खुले आम एलपीजी सिलेन्डर ब्लैक कर डाले गए। यह सिलसिला निर्भीकता से लंबे अरसे तक चलता रहा और चले भी क्यो न जब मीडिया भी एजेंसी मालिक के हांथ की कठपुतली बन गयी हो। अब तो सारे अधिकारी, नेता या यूं कह लें पूरा प्रशासनिक ढांचा जनता का खून चूसने लगा।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले मे एलपीजी के सिलेंडरों का खुलेआम ब्लैक किए जाने का ऐसा ही सनसनी भरा मामला सामने आया है। मामला न सिर्फ बेहद गंभीर है बल्कि सरकारी डकैतों ने इसे खौफनाक भी बना दिया। सीतापुर जिले के महोली मे एलपीजी की देवेन्द्र गैस एजेंसी नाम से अधिकृत गैस एजेंसी है। इसके डिस्ट्रीब्यूटर देवेन्द्र के खिलाफ कई शिकायते हुई लेकिन हर बार भ्रष्टता के चलते वह दबा दी गयी। जब यह एजेंसी दी गयी थी उस सामय कांग्रेस की सरकार थी। माना जाता है तत्कालीन कांग्रेस के एक सांसद और मंत्री से नज़दीकियों के चलते उन्हे यह एजेंसी डिफेंस कोटे के तहत दी गयी थी।
वर्तमान मे बीजेपी के कुछ सांसदो से भी देवेंद्र की अच्छी जान पहचान है और वह खुद को कुछ का रिस्तेदार भी बताता रहा है। उक्त एजेंसी पर शुरुआत से ही गैस को ब्लैक करने का धंधा शुरू किया गया। कस्टमरों को बिना जानकारी के उनके हिस्से के सिलेन्डर लिए जाते रहे। कुछ समय बाद नरेंद्र मोदी ने इस पर लगाम कसने के लिए सब्सिडी का नियम लागू कर दिया। देवेंद्र गैस एजेंसी ने उपभोक्ताओं को तब चौका दिया जब वह उसके बाद भी सिलेन्डर ब्लैक करते रहे। देवेंद्र गैस एजेंसी पर उपभोक्ताओं से हमेशा की तरह निर्धारित शुल्क से अधिक शुल्क वसूला जाता रहा। जब एक उपभोक्ता ने इसका विरोध किया तो मामला तूल पकड़ने लगा।
भड़के देवेंद्र ने निर्भीकता से उसे घसीट कर एसडीएम महोली के पास पहुंचा दिया। मामले की जानकारी होने पर जब पड़ताल की गयी तो मामला सच पाया गया। उपभोक्ताओं ने रोते हुए अपनी पीड़ा बयान की। एक उपभोक्ता ने बताया साहब नेता अधिकारी पुलिस सब उनके हैं हम गरीब अगर मुह खोलते हैं तो किताब रोड पर फेक डी जाती है। उपभोक्ताओं से यह भी पता चला कि अगर कोई जिम्मेदार शिकायत करने पर आता भी है तो वह एजेंसी का ही पक्ष लेता है। मीडिया कर्मियों पर एक उपभोक्ता ने गुस्सा उतारते हुए कहा कि पत्रकार हैं ही नहीं यहा सब हाकर हैं वह भी सिलेन्डर पा जाते हैं तो मुह बंद कर लेते हैं। स्थिति को देखने के बाद मे ऐसा लगता है जैसे माफिया राज में अधिकारी, मीडियकर्मी, पुलिस और नेता सब माफिया के चमचे हों और लोकतन्त्र की खुलेआम हत्या कर दी गयी हो।
फिलहाल खुलेआम हो रहे भ्रष्टाचार पर जनता का पक्ष लेने वाला कोई नहीं दिखाई पड़ रहा। इधर भारत सरकार द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए मामला जांच और कार्यवाही हेतु एक उच्च अधिकारी अरुणा भीसे को भेजा गया है। उक्त संबंध में जब एस डी एम अतुल कुमार से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होने कोई उत्तर ही नहीं दिया। अब आखिर जनता जाये भी तो कहाँ जाये। एजेंसी
मालिक के बोल
चार सौ उपभोक्ताओं के लिए टूटे पैसे नहीं थे इसलिए ऐसा हुआ। - देवेन्द्र (डिस्ट्रीब्यूटर महोली एलपीजी)
रामजी मिश्र 'मित्र'
Ramji Mishra
ramji3789@gmail.com
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