अब आते हैं मूल मुद्दे परः सालों-साल तक आपने जिस काम को किया है और एकाएक आपको उस काम से हटा दिया जाए तो सँभल पाना जरा मुश्किल होता है। संपादकीय टीम के वरिष्ठ साथी जो काम किया करते रहे हैं, उस काम को साल-छह महीने के प्रशिक्षण के बाद कोई युवा भी करने लगता है। तो ऐसी सूरतेहाल में अगर आपको अपनी प्रासंगिकता बनाये रखनी है, जिससे कि आपका अगला नियोक्ता आपको अपने यहाँ नौकरी पर रखे तो कलम उठाइये, लिखना शुरू कीजिए। आदत पड़ते-पड़ते पड़ जाएगी। इससे एक फायदा यह भी होगा कि दफ्तरी कुकुर-झौं, अहं के टकराव, क्षुद्र स्वार्थ को चालाकियों से ऊपर आसान हो जाएगा और आप सोचने-समझने वाले नागरिक के रूप में स्वयं का विकास कर सकेंगे। यह ललकार-आह्वान, चुनौती-धिक्कार सब कुछ है। साबित करो कि अखबार मालिक तुम पर कोई अहसान नहीं कर रहे थे, तुम इस लायक थे। मैं भी आप लोगों जैसा ही हूँ और आपको एक मंच प्रदान करने जा रहा हूँ। इसी हफ्ते एक समाचार पोर्टल www.translationcascade.com री-लाँच करने जा रहा हूँ। सहयोग अपेक्षित है। कवरिंग लेटर वेबसाइट पर दिया हुआ है तो सुविधा के अनुसार आप अपनी भूमिका तय कर सकते हैं। 1993 से अखबारी जीवन में हूँ तो हो सकता है कि आप लोगों से सीखने के साथ-साथ आपको कुछ बता भी सकूँ। मेरे पास आइडियाज हैं पर मैं अकेले तो उन सभी पर काम नहीं कर सकता। भौगोलिक दूरी भी तो मायने रखती है।
सादर
कामता प्रसाद
संपर्कः info@translationcascade.com
kp1153@hotmail.com
No comments:
Post a Comment