एक लड़की भीगी भागी सी,
सोती रातों में जागी सी,
मिली एक अज्ज ....।
क्या दिन भर गाना सुनती रहती हो कुछ अपने बारे में सोचो, एक्जाम सिर पर है। दादी के अचानक गाना बंद कर देने के बाद ,समृद्धि प्रतिरोध के रूप में अपनी किताबों का बंडल तेज से मेज पर पटकी और कुर्सी से तेज से उठी,जिससे कुर्सी के अगले दो पाये थोड़ा ऊपर उठे, फिर जमीन पर आ गये और समृद्धि तेजी से रूम से निकल गयी।
उस फ्लैट में सिर्फ समृद्धि और उसकी दादी ही रहा करतीं थीं। दादी समृद्धि से काफी परेशान रहा करती थीं,इसीलिए बात-बात पर समृद्धि डांट सुना करती थी।
समृद्धि पढने में काफी लापरवाह थी, पढ़ने में क्या वो सब चीजों में ही लापरवाह थी ‘फुल्की’ के मामले को छोड़कर। वो अपनी कालोनी से निकलते समय गेट की बांयी ओर वाली चाट की दुकान पर आते जाते समय फुल्की खाया करती थी ये काम वो एकदम नियम से किया करती थी। वो एक बार में दस फुल्कीयां खाया करती थी जिसमें पहली 6 सिर्फ जीराजल से फिर 3 जीराजल और मीठी चटनी के साथ और आखिरी सिर्फ मीठी चटनी से।
लेकिन इस बार समृद्धि पढ़ाई को लेकर कुछ गंभीर दिख रही थी और होती भी क्यों न उसकी दादी ने 12वीं में फस्र्ट डीवीजन पास होने पर स्कूटी दिलाने का वादा जो किया था। हालांकि उसकी दादी के इकोनामिकल कंडीशन उन्हे इस बात की इजाजत नहीं देते थे, पर कालोनी के 12वीं में पढ़ने वाले लगभग सभी स्टूडेन्टस के पैरेन्टस से अपने बच्चो से इसी प्रकार के वादे किये थे इसीलिए दादी ने भी ऐसा किया।
समृद्धि की दादी एक रिटायर्ड डाककर्मी थीं, उनकी पेंशन से घर आराम से तो चल रहा था परन्तु किसी भी प्रकार का अतिरिक्त खर्च उनके बस की बात नहीं थी क्यों कि उनकी अस्थमा की दवाईयों में पेंशन का एक बड़ा हिस्सा चला जाता था। और फिर आगे समृद्धि की शादी भी तो करानी थी। हमारे देश में शादी और त्योहार एक बड़े तबके के लिए खुशी और समस्या साथ लेकर आते हैं।
उसकी दादी इस वादे के बाद थोड़ा चिन्तित जरूर रहतीं थीं लेकिन समृद्धि का पुराना एकेडमिक रिकार्ड उनको ढंाढस दिलाने का काम करता था क्यों कि समृद्धि आज तक फस्ट तो दूर की बात सेकेण्ड डीवीजन भी बमुश्किल आ पायी थी। इसलिए दादी को लग रहा था कि उनकी इज्जत बच जाएगी।
समृद्धि कालेज और कोचिंग दोनो जगह ही दरवाजे के पास वाली सीट पर ही बैठा करती थी जिससे क्लास खत्म होते ही सबसे पहले वो निकल जाए। लेकिन वो अब पढ़ने की कोशिश कर रही थी क्यों कि उसके दिमाक में आलिया भट्ट और करीना कपूर के स्कूटी वाले विज्ञापन घूमते रहते थे। वो हेलमेट की दुकान पर रूककर हेलमेट बदल-बदलकर अपने को शीशे में देखा करती थी तथा एक्सीलेटर बढ़ाने की एक्टिंग भी करती थी।
समृद्धि ने अपनी पाकेटमनी से च्वींगम का व्यय कम करके दो धानी रंग के स्केच पेन खरीद लिये थे जिससे वो इंम्पारटेंट कंटेट को हाई लाईट किया करती थी। विलियम वर्ड्सवर्थ की पोयम के सेन्ट्रल आईडिया को उसने रट लिया था तथा ऐथेन बनाने कि विधि का चार्ट अपने पढ़ने की टेबल के सामने चिपका दिया था।
अपने मोटिवेशन के लिए करीना कपूर का हेलमेट वाला एक पोस्टर भी अपनी गोदरेज वाली अलमारी के अंदरूनी हिस्से में चिपका दिया था। लेकिन फुल्की के बजट में कटौती को वो अभी भी तैयार नहीं थी।
धीरे-धीरे परीक्षा का समय करीब आ रहा था। सिर्फ 15 दिन बचे रह गये थे। समृद्धि पहली बार पूरी गंभीरता से पढ़ाई में जुट गयी थी उसने बाहर निकलना बंद कर दिया था । यह देखकर दादी केा अच्छा तो लगता था पर वो अंदर ही अंदर घबड़ाने भी लगी थीं। सच बात तो यह थी कि वो घर के वर्तमान हालात को देखकर तय नहीं कर पा रही थीं कि समृद्धि का फस्र्ट डीविजन आना अच्छा रहेगा या बुरा। अब वो खुद ही कभी-कभी उसका ध्यान पढ़ाई से डायवर्ट कर कभी घर के किसी काम या अन्य कामों में लगाने का प्रयास करती थीं।
परीक्षाएं शुरू हो गयीं, दादी ने समृद्धि को टीका लगाया तथा डरते-डरते बेस्ट आफ लक भी बोला।
समृद्धि के सारे पेपर अच्छे गये थे सिवाय केमेस्ट्री के पर उसकेा लग रहा था कि पी0टी0 वाले माक्र्स उसको कवर कर लेगें। पेपर के आखिरी दिन समृद्धि अपने दोस्तों के साथ घूमने गयी और फिर रिजल्ट का इंतजार होने लगा।
15 तारीख को रिजल्ट आने की घोषणा की गयी। 14 तारीख की पूरी रात समृद्धि बेड पर बस करवट बदलती रही या फिर उठकर पानी पीती और फिर बेड पर चली जाती। दादी पानी पीने तो नहीं उठी पर रात भर सोईं भी नहीं।
15 तारीख की सुबह से ही सायबर कैफे में छात्रों का हुजूम इकट्ठा होने लगा। रिजल्ट हो दोपहर ढाई बजे आना था लेकिन सर्वर डाउन होने की वजह से शाम 5 बजे आना शुरू हुआ। एक लंबी लाइन के बाद कैफे में समृद्धि का नंबर आया समृद्धि को रोल नं0 कैफं संचालक ने भरा। रिजल्ट सामने आया । समृद्धि का 58 प्वाइंट 70 प्रतिशत नंबर मिले थे जो कि फस्र्ट डीवीजन से 1 प्वाइंट 30 प्रतिशत कम थे। समृद्धि ने कैफे वाले से बोला एक बार और देखिये, कैफे वाले ने बोला अरे एक बार और देखने से रिजल्ट थोड़ी बदल जाएगा। समृद्धि ने कहा प्लीज अंकल एक बार फिर देख लीजिए शायद रोल नं0 भरने में गलती हो गयी हो। कैफे वाले ने उसके कहने पर फिर एक बार देख लिया पर परिणाम वही था। हालंाकि समृद्धि का ये अभी तक सर्वाधिक अच्छा प्रदर्शन था पर इस बार वो सबसे अधिक दुखी थी। उसने फोन करके दादी को बताया। दादी को तत्कालिक रूप से बड़ी राहत प्राप्त हुयी उन्हे लगा कि उन्होने लड़ाइ 1 प्वांइट 30 प्रतिशत से जीत ली है। दादी ने बोला घर आओं बात करते हैं।
समृद्धि सिर झुकाकर जैसे ही घर में प्रवेश की दादी ने डांटना शुरू कर दिया और बोला ‘‘पता नहीं क्या पढ़ती रहतीं थीं पूरी काॅलोनी के सामने नाक कटा दी मेरी तुमको छोड़कर बाकी सब फस्र्ट आये हैं’’ समृद्धि मुंह नीचे किये हुये अपने कमरे में चली गयी। घर में लाईट नहीं आ रही थी। समृद्धि अपने बेड पर लेट गयी और कुछ देर में सेा गयी। लाइट आने पर पंखा चलने लगा जिससे समृद्धि को ठण्ड लगने लगी वो सोते-सोते अपने आप को सिकोड़ने लगी और लगभग हाफ सर्किल सा बनाकर सो रही थी। लाइट आने पर दादी हर कमरे की लाइट जलाने का क्रम शुरू करती हुयी समृद्धि के कमरे में आयीं उसको इस हालात में सोता देखकर एक चादर लाकर उसको उढ़ाने लगी और देखा कि उसके चेहरे पर आंसू के कुछ सूखे निशान थे, आई लाईनर भी आंसू के साथ बहकर कुछ दूर तक फैल गया था। दादी ने पंखे के रेगूलेटर को 5 से 3 पर किया। समृद्धि की फैली किताबों को समेटा। फिर उसकी गोदरेज की अलमारी का दरवाजा बंद करने गयी तो अंदर करीना कपूर के हेलमेट वाले पोस्टर को देखा।
फिर दादी कमरे से निकलकर बगल वाले अग्निहेात्री जी के यहां जाकर कुछ देर बात करने लगीं। अग्निहोत्री जी के यहां से निकलकर कुछ देर बाहर चलीं गयीं फिर घर आ गयीं। रात में समृद्धि थोड़ा सा खाना खाकर सो गयी।
अगले दिन सुबह समृद्धि को बाहर निकलना था। वो अपनी सायकिल की चाभी ढूंढ़ रही थी बहुत ढूंढने के बाद भी नहीं मिली। बार-बार कह रही थी यहीं तो रखे थे कहां गयी। थोड़ी देर बार दादी ने उसे उसकी सायकिल की चाभी वाला कीरिंग ढूंढ़ के दिया पर उसमें अब सायकिल की जगह स्कूटी की चाभी लगी हुयी थी।
उसने उसे लेते ही दादी को गले से लगा लिया और स्कूटी में बैठकार सबसे पहले फुल्की की दुकान पर ले गयी।
सक्षम द्विवेदी
रिसर्च आन इंडियन डायस्पोरा
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा,महाराष्ट्र।
20 नया कटरा, दिलकुशा पार्क, इलाहाबाद, मो0 7588107164
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