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दादरी में अखलाक की मौत के बाद फिर सुलग रहा है बिसाहड़ा, दस को महापंचायत

अजय कुमार, लखनऊ
       
चुनावी वर्ष में उत्‍तर प्रदेश के नोयडा के दादरी स्थित बिसाहड़ा गांव एक बार फिर से सुलगने लगा है। वजह कोई खास नहीं है, लेकिन उसे खास बनाया जा हा है। बीफ खाने की अफवाह में मारे गये अखलाक के घर से मॉस के जो टुकड़े बरामद हुए थे उसे मथुरा की फरेंसिक लैब में जांच के लिये भेजा गया था। लैब ने मॉस के टुकड़े की जांच करके दिसंबर में ही रिपोर्ट तैयार कर ली थी, लेकिन नोयडा पुलिस ने यह जरूरी नहीं समझा की जांच रिपोर्ट को लैब से मंगा लिया जाये ताकि मॉस के टुकड़े की हकीकत का पता चल सके। पुलिस द्वारा जांच रिपोर्ट मंगाने में की जा रही लापरवाही से अखलाक की हत्या के आरोप में जेल के पीछे गये युवक और उनके समर्थक नाराज हैं।


अखलाक की हत्या के आरोपियों को लगता है कि उन्हें राजनैतिक मोहरा बनाया जा रहा है।  इसी लिये ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ करने के लिये गॉव वाले दादारी कांड की सीबीआई र्जाच और मीट के टुकड़े की फरेंसिक रिपोर्ट के खुलासे की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हें,  जिसकी वजह से क्षेत्र में तनाव बढ़ता जा रहा है। मामला गरमाता देख सतर्कतावश यहां पुलिस तैनात की गई तो गांव की महिलाएं नाराज होकर सड़क पर निकल आई हैं। इन महिलाओं का कहना है कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं की गई तो 10 अप्रैल को गांव में साठा-चौरासी की सर्वजातीय महापंचायत होकर रहेगी। वहीं स्थानीय प्रशासन महापंचायत नहीं करने देने की बात पर अड़ा हुआ है। आंदोलन चला रही महिलाओं का कहना है कि उनके बच्चे छह माह से जेल में बंद हैं। पुलिस ने जिसकों चाह जेल की सलााखों के पीछे भेज दिया, यहां तक की एक नाबालिग लड़के को बालिग साबित कर गिरफ्तार कर लिया गया। यह सब तब हो रहा है जबकि अखलाक के परिवार वालों ने इन बच्चों को शिनाख्त के दौरान पहचानने से ही मना कर दिया था। पुलिस ने इन बच्चों को उस समय घर से उठाया था जब वह अपने घरों में सो रहे थे। इन्हीं वजहों से पुलिस पर से यहां की जनता का विश्वास उठता जा रहा है और पूरे मामले की सीबीआई जांच कराये जाने की मांग तेज हो रही है।

गांव वाले एक तरफ मांस के टुकड़े की फरेंसिक रिपोर्ट के खुलासे की मांग कर रहे है तो दूसरी तरफ एसपी देहात अभिषेक यादव का साफ कहना है कि न तो रिपोर्ट सार्वजनिक होगी और न ही महापंचायत की इजाजत दी जायेगी। गॉव वाले चाहें तो कोर्ट जा सकते हैं। कानून हाथ में लेने वालों से सख्ती से निपटा जायेगा। गॉव वालों का दावा है कि 10 अप्रैल को पंचायत होगी और इसमें हजारों की संख्या में लोग भाग लेंगे। मांस के टुकड़े फरेंसिक जांच की रिपोर्ट सावर्जनिक करने की मांग को लेकर आंदोलनरत महिलाओं ने 29 मार्च को तीन सरकारी स्कूलांें मे ताला जड़ दिया। यहां सरकारी सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं। न मिड डे मिल बंट रहा है,  न राशन की दुकाने खुल रही है।  इससे माहौल और गरमा रहा है। गांव की आंदोलनरत महिलाओं का कहना था कि न्याय मिलने तक उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजना मंजूर नहीं है। स्कूल में ताला बंद किये जाने की घटना  सामने आने के बाद पुलिस ने करीब दो दर्जन अज्ञात लोंगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।  इस बीच फॉरेसिक लैब में कार्यरत रहे एक डॉक्‍टर (जो हाल ही में रिटायर्ड हुए हैं) ने यह खुलासा कर दिया कि 31 अक्‍टूबर को रिटायर होने से पहले ही उन्‍होंने मीट के उस टुकड़े की जांच करके रिपोर्ट तैयार कर दी थी,  लेकिन वह फाइल दो महीने तक ऑफिस में ही धूल खाती रही।

दूसरी ओर मांस के टुकड़े की जांच‍ रिपोर्ट के बारे में लैब से संपर्क नहीं किए जाने के बारे में नोएडा पुलिस के सर्किल ऑफिसर अनुराग सिंह का कहना था कि अगर रिपोर्ट तैयार है तो हम जिले के वेटरनरी ऑफिसर से कहेंगे कि वह लैब से संपर्क करके रिपोर्ट मंगवा लें और बाद में हम रिपोर्ट कोर्ट में जरूरत पड़ने पर पेश कर देंगे। बता दें कि हाल ही में उत्‍तर प्रदेश सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि मोहम्‍मद अखलाक के घर में फ्रिज में जो मांस रखा था वह बीफ नहीं,  मटन था।  दादरी के अखलाक की हत्‍या इस अफवाह के बाद कर दी गई थी कि उसने बछड़े का मांस खाया और घर में रखा।  उसके बेटे को भी भीड़ ने बुरी तरह घायल कर दिया था।  यह घटना 29 सितंबर 2015 की थी।  भीड़ ने अखलाक को उसके घर से घसीट कर इतना पीटा था कि उसकी मौत हो गई थी। पुलिस ने अखलाक की हत्या के अरोप में 18 लोंगो को पकड़ा था। हाल ही में पुलिस द्वारा इस मामले की चार्जसीट कोर्ट में पेश किये जाने के बाद गांव में तनाव का माहौल है। इससे नाराज ग्रामीण 23 मार्च से आंदोलन कर रहे हैं और 10 अप्रैल को सर्वजातीय महापंचायत बुलाई गई है।

लेखक अजय कुमार लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं.

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