जबलपुर। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रचारक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बना चुके संजय जोशी को जब भारतीय जनता पार्टी का संगठन महामंत्री बनाया था उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि श्री जोशी अपनी ही पार्टी में इस कदर उपेक्षित हो जायेंगे कि राष्ट्रीय नेता तो दूर स्थानीय नेता भी उनसे अपनी दूरी बना लेंगे। उक्त स्थिति संस्कारधानी जबलपुर में देखने को तब मिली जब संजय जोशी का शहर में एक कार्यक्रम हुआ और स्थानीय भाजपा नेताओं ने उनसे दूरी बनाकर रखी।
उल्लेखनीय है कि संघ से लेकर भाजपा में भी पूर्व संगठन महामंत्री संजय जोशी एक बड़ा ब्रांड माना जाता था। प्रख्यात विचारक एवं चिंतक श्रीजोशी के देश भर में चाहने वाले हैं, यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी में बैठा शीर्ष नेतृत्व में भी उनके चाहने वालों की कमी नहीं है, परंतु खुलकर कोई सामने आने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है। इसका कारण यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मतभेद जग जाहिर हो गये हैं, ऐसे में कोई नेता यह नहीं चाहता कि श्री जोशी के कारण उनकी पार्टी में छवि धूमिल हो या फिर उनको पार्टी विरोधी समझा जाये।
उच्च स्तर पर जब कोई हवा चलती है तो इसका असर निचले तबके पर भी पड़ता है, यही कारण रहा कि गत दिवस भारतीय विकास परिषद द्वारा छोटी लाईन फाटक के समीप स्थित समन्वय सेवा केन्द्र में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान नगर प्रवास पर आये तो उनका स्वागत करने में भाजपा का कोई ऐसा बड़ा नाम नहीं था जिसे लिया जाये। यहां तक कि उनकी ट्रेन एक घंटा अधारताल स्टेशन पर खड़ी रही परंतु किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली। स्थानीय भाजपा नेताओं द्वारा बनाई गई दूरी से जाहिर हो गया कि किसी भी पार्टी में संगठन बड़ा होता है, आदमी नहीं लेकिन जहां तक संस्कारधानी की बात करें तो यहां पर हर किसी को तवज्जो मिली है फिर संजय जोशी को क्यों नहीं यह एक ऐंसा सवाल है जिसका जबाव प्रत्यक्ष तो दिखाई दे रहा है किन्तु नेता बोलने से कतरा रहे हैं।
संजय जोशी के आगमन से लेकर उनके नास्ता चाय पानी तक की व्यवस्था की जिम्मेदारी पूर्व केबिनेट मंत्री अजय विश्नोई द्वारा निभाई गई, जबकि महापौर ने भी संस्कारधानी में आये एक बड़े नेता के मान-सम्मान में कोई कसर नहीं छोड़ी। कार्यक्रम में उपस्थिति के बहाने ही सही महापौर डॉ स्वाति गोडबोले न केवल कार्यक्रम में पहुंची बल्कि संजय जोशी का स्वागत भी किया जिससे यह संदेश गया कि संस्कारधानी के प्रथम नागरिक ने स्वागत किया समझो पूरे जबलपुर ने कर लिया।
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