सांस्कृतिक भड़ैंती, फूहड़पन के विरुद्ध, जनसंस्कृति के संवर्द्धन के लिए आठवां ‘लोकरंग (2016) 07-08 मई को गांव- जोगिया जनूबी पट्टी फाजिलनगर कुशीनगर में लोकरंग सांस्कृतिक समिति के तत्वाधान में आयोजित होने जा रहा है। लोकरंग सांस्कृतिक समिति विगत नौ वर्षों से लोकसंस्कृतियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य कर रही है।
यह संस्था जनसहयोग से पूर्वांचल की लोक संस्कृतियों के समाजिक पक्ष को आगे लाने के साथ-साथ हिन्दी प्रदेशों की कुछ महत्वपूर्ण लोक संस्कृतियों से भी परिचय करायेगी। कार्यक्रम निःशुल्क होता है और इसमें देशभर के सैकड़ों साहित्यकार / सांस्कृतिक कर्मी भाग लेते हैं। इस वर्ष अन्य प्रांतों की अनेकों सांस्कृतिक टीमें शामिल हो रही हैं जैसे कि...
सरायकेला, झारखंड का छऊ नृत्य
राजस्थान का तमाशा-राजा गोपीचंद भरथरी
मध्यप्रदेश का गुदुम्ब बाजा नृत्य और शैला नृत्य
सोनभद्र का करमा नृत्य
गाजीपुर का गोड़ऊ नृत्य
इस आयोजन में कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर की टीमें भाग ले रही हैं . सरायकेला छऊ नृत्य की पहचान विदेशों में भी है जो वहां के राजघराने के संरक्षण में १९३८ से विदेशों में धूम मचाता रहा है. राजस्थान का तमाशा, जिस घराने से सम्बन्ध रखता है, उसकी परंपरा २०० वर्ष पुरानी है और राजस्थान का एकलौता घराना है जो इस परंपरा को जिन्दा रखे हुए है. सोनभद्र का करमा आदिवासी नृत्य और मध्य प्रदेश का गुदुम्ब बजा नृत्य, शैला नृत्य पहली बार प्रस्तुत किये जा रहे हैं
इस आयोजन देश के चोटी के साहित्यकार पधार रहे हैं जिसमें प्रो. मैनेजर पाण्डेय, आनद स्वरुप वर्मा, सुधीर विद्यार्थी, योगेन्द्र आहूजा, राज्य सभा टीवी के संसदीय मामलों के प्रमुख अरविन्द कुमार सिंह, रवि भूषण, पंकज चतुर्वेदी, शिवमूर्ति, हृषिकेश सुलभ, आद्य प्रसाद द्विवेदी, जीतेन्द्र भारती आदि.
08 मई पूर्वाह्न 11 से अपराह्न 2 बजे तक विचार गोष्ठी होगी जिसका विषय है - लोक संस्कृति और समाज के संदर्भ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रश्न’. संभावना कला मंच के चित्रकार पूरे गाँव को कला ग्राम के रूप में संवारने के लिए एक सप्ताह पूर्व पधार रहे हैं साथ ही साथ प्रसिद्ध रंगकर्मी अभिषेक पण्डित, १५ अप्रैल से ही गाँव में डेरा जमा रहे हैं और गाँव के बच्चों को रंगकर्म की बारीकियां सिखायेंगे. पूरा आयोजन जनसहयोग से किया जा रहा है.
सुभाष चन्द्र कुशवाहा
subhash chandra Kushwaha
अध्यक्ष
संपर्क : sckushwaha@gmail.com
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