29.4.16
कर्मचारियों के धैर्य की परीक्षा कब तक लेगा सहारा
दावा : सहारा इंडिया विश्व का सबसे बडा परिवार (भावनात्मक) है। यह अपने आय का २५ फीसद कर्मचारियों के कल्याण पर खर्च करता है।
हकीकत : इस विश्व के विशालकाय परिवार में काम करने वाले कर्मचारी (इनके यहां कोई कर्मचारी नहीं सभी कर्तव्ययोगी होते हैं) को कभी भी निकाला जा सकता है वो भी बिना कारण बताये , बिना आरोप लगाये और बिना जांच कराये । जबकि इन्होंने कर्तव्य कांउसिल बना रखी है।
मुझे भी २४ साल की नियमित सेवा के अचानक हटा दिया वो भी बिना कारण बताये।
दावा : जनता का जमाधन और उसपर देय अर्जित ब्याज पूरी तरह (नौकरी की तरह)सुरक्षित है।
हकीकत : जनता का जमाधन छोडिए कर्मचारी को ही उनका बकाया नहीं मिल रहा है वो भी वेतन के मद का। २९ जनवरी को विश्व के इस विशाल परिवार ने मुझे नौकरी से निकाल दिया। फंड और ग्रेच्यूटी जाने दीजिए वेतन नहीं दिया है वो भी नौ माह का। फंड का यह हाल है कि २०१३ से इसे सरकारी खजाने में जमा ही नहीं किया है जबकि काटते हर महीना हैं। सूत्रों के अनुसार ग्रेच्यूटी वाली समिति ही भंग है।
दावा: सरकार द्वारा बनाये गए सभी नियमों के पालन का।
हकीकत : तीन साल से डीए शून्य है। १०_१०/१५_१५ लोगों का प्रमोशन नहीं हुआ है जबकि नियम १० साल बाद अनिवार्य प्रमोशन का है।
दावा : देनदारी से ज्यादा संपतियां/परिसंपत्तियां है।
हकीकत: कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे पा रहे हैं।
मित्रों, हडताल के अलावा कानूनी रास्ता भी अपनायें। कार्य बहिष्कार के अलावा धरना प्रदर्शन भी करें। आंदोलन हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है लेकिन इन सबमें भी नियमों का पालन जरूरी है। इसी नियम के तहत मैंने निकाले जाने पर नोटिस पीरियड का चेक वापस किया। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। वहां से खारिज होगा तो लेबर कोर्ट आऊंगा।
साथ में संलग्न पत्र समूह संपादक को भेजी गई नोटिस है। अभी मैंने भेजी है बाद में वकील से भिजवाउंगा।
अरुण श्रीवास्तव
राष्ट्रीय सहारा देहरादून से निकाला गया कर्मचारी
संलग्न :
१: हटाये जाने का पत्र
२:वापस किया गया चेक
३: रजिस्ट्री की प्रति
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