भदोही । 17 अप्रैल । उत्तर प्रदेश की भदोही पुलिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं । यह गलत है । हम कुछ लोगों की गलती की सजा पूरी पुलिस पर नहीँ मढ़ सकते । इसके लिए कहीँ न कहीँ से हमारी व्यवस्था भी जवाबदेह और ज़िम्मेदार है । भदोही पुलिस तमाम घटनाओं को खुलासा करने में कामयाब रही है । विशेष रुप से क्राइम ब्रांच की उपलब्धि हमारे लिए खास है । हम पूरी पुलिस व्यवस्था पर सवाल नही खड़ा कार सकते।
एसपी पीके मिश्र ने जिले की जब से कमान सम्भाली है। पुलिस ने अच्छा काम किया है। हमारा अनुरोध अपने पत्रकार साथियों से है। भदोही में मऊ के युवक की हत्या और पुलिसिया प्रणाली बहस का मसला बन गयी है। सवाल उठता है की पुलिस इतना अमानवीय कार्य करने के लिए क्यों ऊतारू हो गयी। चालक ओम प्रकाश राय के शव का अंतिम संस्कार करने के बजाय गंगा में क्यों डाल दिया।
परिजनों से झूठ क्यों बोला गया। बहस का मसला यह है की क्या पुलिस दूसरे अज्ञात शवों के मामले में भी क्या अब तक यहीं करती चली आ रही है। अगर ऐसा रहा है तो बेहद शर्मवनाक है। सवाल उठता है की पुलिस यह सब करने को मजबूर क्यों है? हमारे मन में कुछ सवाल है जिससे बहस की दिशा तय हो सकती है। आखिर चुनावों में यह सम्वेदन हीनता सवाल क्यों नहीँ बनती। हालांकि इस शर्मनाक अमानवीयता और अपराध के लिए सम्बंधित पुलिस कर्मियों को निलम्बित जरूर कर दिया गया है। लेकिन इससे बदलाव नहीँ होगा। इसे बहस के केंद्र में लाना होगा।
व्यवस्था के चुभते सवाल....
अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार के लिए पुलिस को पैसे मिलता है।
विभाग की ओर से कितना पैसा मिलता है
मिलने वाला पैसा क्या पर्याप्त होता है
शव के अंतिम संस्कार के लिए
शवों के संस्कार में कम से कम 3000 से 5000 का खर्च आता है
पुलिस को क्या इतना पैसा मिलता है ?
यह पैसा क्या तत्काल उपलब्ध कराया जाता है ?
मिलने वाले पैसे में क्या शव को सम्बंधित धार्मिक स्थान तक ले जाने के लिए कोई अधिकृत वाहन पुलिस के पास हैं?
बीमारों के लिए अम्बुलेस सुविधा है फिर मृतकों के लिए क्यों नहीँ?
शवों का संस्कार क्या धर्मिक विधान से किया जाता है
सड़क हादसों के शिकार शवों के लिए क्या फ्रीज़र सुविधा है
लावारिश शवों को कितने दिन तक रखने की अनुमति है
उसके लिए क्या उस तरह की सुविधाएँ हैं?
गंगा में शवों का विसर्जन प्रतिबंधित है फिर क्या दूसरी सुविधा है?
इस तरह के शवों के ससम्मान धर्मिक आधर पर निस्तारण के लिए सुविधा होनी चहिए। क्या है?
शवों का निस्तारण नियमों के तहत किया जाता है?
अज्ञात शवों के संस्कार के लिए सरकार अलग सेल बनाए।
सेल में कम से कम तीन व्यक्तियों की नियुक्ति की जाय।
शव वाहन के साथ चालक और फ्रीज़र की सुविधा उपलब्ध होनी चहिए।
गंगा घाटों पर शवदाह केन्द्र बनाए जाएं।
हमारे मीडिया के साथियों से निवेदन है कि इस पर मुहिम चलाएं जिससे चालक राय के परिजनों को जो दुख पहुँचा और हमारी भदोही पुलिस की जो जगहंसाइ हुई वह दूसरी बार न हो।
धन्यवाद!
आपका साथी
प्रभुनाथ शुक्ला
Prabhnath Shukla
पत्रकार
pnshukla6@gmail.com
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