22.6.16

सेबी को गरियाने और बड़ी बड़ी फेंकने से फिर चूक नहीं रहे सुब्रत रॉय

बेसहारा से सहाराश्री का शाही स्वागत और कवरेज...

भोपाल : सहारा के बेसहारा से सहाराश्री सुब्रत राय को तीन एक साल पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने तिहाड़ जेल भेजा तो उन्होने गिरफ्तारी से बचने और बाद मे रिहाई के लिए बीमार माँ की सेवा-सुश्रुषा का बहाना बनाया। इसके बावजूद अदालत नहीं पिघली और लम्बे समय तक उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी। वे अब भी जेल की शोभा बढ़ा रहे होते पर बक़ौल सुप्रीम कोर्ट उनकी माँ मरते-मरते बेटे की मदद कर गईं।


सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अंतिम संस्कार के लिए वे सीमित समय को जेल से बाहर हैं। अब भी यदि उन्होंने बकायादारों की मोटी रकम जमा नहीं की तो फिर जेल जाना पड़ेगा। इसलिए वे जमीन-जायदाद बेचने मे लगे हैं लेकिन अपनी दौलत के बारे मे अनाप-शनाप दावे करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं।

सुब्रत राय अपने सियासी ताल्लुकातों के लिए मशहूर रहे हैं। इन दिनों वे किसी नायक की मानिंद सूबों की राजधानियों में तशरीफ ले जा रहे हैं। इसी कड़ी मे भोपाल भी पधारे जहां अखबारों ने उनका शाही कवरेज किया। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी उनसे बेहद गर्मजोशी से मिले। सुब्रत राय आजकल भारत सरकार की संस्था सेबी पर जमकर भड़ास निकाल रहे हैं जिसने उन्हें जेल की हवा खिलाने मे खास भूमिका अदा की है। सो भोपाल में भी उन्होंने सेबी को खूब कोसा। पेरोल पर रिहा आरोपी के ये जलवे कई सवाल खड़े करते हैं।

दैनिक भास्कर और नईदुनिया अखबार की कतरनें पेश हैं...

भोपाल से श्रीप्रकाश दीक्षित की रिपोर्ट. 

3 comments:

  1. सहारा प्रमुख के बारे में आपने सही कहा है. रस्सी जल गयी पर बल नहीं गया.

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  2. सही कहा आपने. रस्सी जल गयी पर बल नहीं गया.

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  3. रस्सी जल गयी पर बल नहीं गया | सुब्रत राय में अगर इतनी सामर्थ्य होती तो वह कभी के पैसे देकर जेल से बाहर आ जाते |

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