8.9.16

जिम्सी के सभी मित्रों और अध्यापकों से माफी चाहता हूं....


माफी चाहता हूँ अपने सभी अजीज मित्रों से और जिम्सी के सभी अध्यापकों से माफ़ करना या मत करना ये आपकी स्वतंत्र मानसिकता है .. मै इसके सिवा आपसे कुछ और नही कह सकता हूँ क्यों मुझे माफ़ी मागने अलावा कोई दूसरा अधिकार मेरे पास नही है .......कालेज के दिनों में जो सीखा पढ़ा लिखा वो सब मेरे साथ ही शायद समाप्त होजायेगा ,,, मेरा परिवार किसी को भी दोषी नही ठहरायेगा ,,,क्योंकि उनको कोई जानकारी ही नही है ,,,,,,,,,


शायद रोहित वेमूला सही कहते थे की गलती किसी की नही है गलती हमारी हैकि इस संस्थान में पढने क्यों आया मै ... बहुत कुछ हासिल कर लिया लेकिन अब और कुछ नही चाहता ..... नौकरी करूँ या आत्महत्या मैंने अगर आत्म हत्या की तो इसके पीछे सीधे जिम्सी संस्थान का हाँथ होगा मेरी मौत के कारण का ........ मीडिया संस्थान जिम्सी ने मुझे गुमराह करके धोके में रख रहा था ,,,,गलगोटिया से पेपर कापी जिम्सी में चेक होती है और मन मुताबिक नम्बर दिए जाते है ,,,,,,,,मुझे ४महीने से परेशान किया जा रहा है...... एक बैक पेपर आज चार महीने से कराया जा रहा है ...रोज कह दिया जाता है कि आज नही कल पेपर है और वो नही होता है पूरे महीने भर की कमाई लखनऊ से नॉएडा में आने जाने के साथ ही खत्म हो जाती है मेरे अख़बार का संपादक कहता है कि तुम्हारी नौकरी ऐसे कैसे चलेगी,,,,,, आपको छोड़ना पड़ेगी ,,,,,आपका का एक पेपर का एक्सजाम ख़त्म ही नही हो रहा है,,,,,

अब मेरे पास आत्महत्या करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नही बचा है शायद ,,,,, आखिरकार क्यों ऐसा किया जा रहा है मेरे साथ जिम्सी के डारेक्टर मोहंती उनकी कार्यकारणी को देख रेख करने वाली महिला जी से मै एक दम परेशान हो गया हूँ ....... मैंने एजुकेशन लोन ले रखा है जिसके चलते बैंक से दबाव बनाया जा रहा कि पैसा ले गए प्रत्येक समेस्टर का रिजल्ट की कापी कंहा है ,,,,,, सुप्रीम कोर्ट ने साफ कड़े शब्दों कहा था कि पढाई छोड़ने के बाद ६महीने के अंदर डिग्री मिल जानी चाहिए लेकिन पढाई छोड़े आज मुझे ४ महीने हो गए है अब तक एक्सजाम नही हुआ है मेरा तो डिग्री कब मिलेगी.......भगवान जाने मौत के बाद......आज पता चला जो लोग अपना कहते कभी आज वो ही कालेज के लोग बेगाने नजर आने लगे है बच्चा कह कर बच्चे की गर्दन काट दी गयी ....मेरे विश्वास को चकनाचूर कर दिया इस जिम्सी संस्थान ने ,...... जब तक पैसा नहीं मिला तब तक अच्छा व्यहार हुआ जिस दिन से पैसा मिला उसी दिन से नाजायज व्यहार किया जाने लगा. डिप्लोमा में एक्सजाम नही दिया हमने उसमें बड़ी होशियारी से नम्बर दे दिये गए .....जब मैंने खुद पूंछा डारेक्टर मोहंती से .....तो उनका सीधा जवाब था आप नुवीना जी से बात करो .....ऐसे मोहौल में कैसे निपटे हम अकेले नौकरी करें या लखनऊ से आकर रोज पेपर दें, कंहा से इतना पैसा लाऊं ....

मीडिया में सब अपने को टीवी स्क्रीन पर देखने के लिए उत्साहित होते है आप लोग इस सिस्टम में मत आओ बड़ा डरावना है यहां का मोहोल था मुझमें वोआज सब बेकार हो गया है जोकंही एक पत्रकार दफ़न होगया हैआज आज अपने को हम ठगा महसूस कर रहें है ,फीस की मोटी रकम वसूलने के बाद को संम्बंधित गलगोटिया यूनीवर्सिटी जो की जिम्सी के बच्चों को पत्रकारिता का ढोंग रचने वाली डिग्री देने का दावा करता है लेकिन अब तक किसी को भी डिग्री नसीब नहीं हुई है , जिम्सी में लेब्रेरी के अलावा कुछ भी नही है जो कि छात्रों को मिल सके उसका लाभ. एक साल का १५० लाख रुपये वसूले जा रहे है , डिप्लोमा में मनमाने नम्बर दे दिया जाते है चाहें छात्र एक्सजाम दें या ना उनको डिप्लोमा मिल जाता है...

आधी अधूरी मेरी डिग्री जाने कब पूरी होगी

सुधीर बाबू
लेखक और पत्रकार
sudhir.babu.jimmc@gmail.com

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