लापरवाह डाक्टर, क्लीनिक में घूमते बीमार कुत्ते...
मऊ। जिले में उस दौरान हड़कम्प मच गया जब जिले के बच्चों के डाक्टर के यहा जिले के ही एक वरिष्ठ पत्रकार अपने संबंधित ब्यक्ति द्वारा अस्पताल में भर्ती बच्चों को देखने पहुचे। मामला नगर क्षेत्र के नरई बाध स्थित डाक्टर राजकुमार सिंह के यहाँ राविवार सुबह करीब दस बजे भर्ती बच्चे को देखने जब वरिष्ट पत्रकार पहुचे तो देखा कि वार्ड के पास में ही एक कुत्ता शो रहा था जो तेज गति से हाफ रहा था। इसकी सुचना पास में ही बैठे एक वार्ड व्याय को पत्रकार द्वारा दिया गया तो वार्ड व्याय ने कहा कि कुत्ते के बैठने से क्या मतलब , लेकिन एक जिम्मेदार नागरिक होते हुये और कुत्ते से कही इंफेक्शन संबंधी रोग और न बढ़ जाय । इस भय से इसकी सुचना डाक्टर राजकुमार सिंह को देना उचित समझते हुये देना चाहे कि कुत्ते की बात सुनते ही डाक्टर ने उल्टे पत्रकार पर ही भड़क गये कि कुत्ते को भगाना नगर पालिका का काम है हमारा काम नही है आपको भागना है तो भगाइये मैं क्यों भगाउ। अभी इतनी बात कह ही रहे है थे कि उसी दौरान पत्रकार के हाथ से डाक्टर ने मोबाइल छीन लिया। और कहा कि जाओ जो करना हो करिये।
डाक्टर द्वारा पत्रकार की मोबाइल छीनते ही पत्रकार तुरंत अपनी दुसरी मोबाइल से बाहर निकलकर सबसे पहले जिलाधिकारी को सारी घटनाक्रम की सुचना दिये।इसके उपरांत एसपी को सुचना दिये। जिलाधिकारी नगर मजिस्ट्रेट को मौके पर जाकर मामले को देखने की बात कहे नगर मजिस्ट्रेट अतिरिक्त मजिस्ट्रेट के चार्ज में रहे मजिस्ट्रेट को मौके पर जाने की बात कही तब तक कुछ ही देर बाद मजिस्ट्रेट मौके पर पहुच गये।
मामला बढ़ता देख डाक्टर ने अपने संगठन के डाक्टरों को मौके पर बुला लिया। जिसमे सबसे पहले चर्म रोग के डाक्टर उस्मानी आते ही पत्रकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिये और चिल्ला चिल्ला कर कहने लगे कि तुम डीएम एसपी को बता रहे हो पता नही कितने डीएम और एसपी आये और चले गये। हमलोगो का आज तक कुछ नही विगाड़ पाये । लेकिन वही पत्रकार ने डाक्टर को ज्यादा चिल्लाता देख कहा आपका लग रहा है BP बढ़ गया है। डीएम एसपी के बारे में इस तरह नही कहना चाहिये। तो कहा कि हाँ BP बढ़ गया है।
डाक्टर उस्मानी चिल्ला कर यह भी यह भी कहने लगा कि यहाँ के डाक्टर पत्रकारो का मन बढ़ा दिया है अपने अस्पताल का प्रचार करवाने के चक्कर में इनसे अपने अस्पताल की खबरे छपवाने व् विज्ञापन देकर मन बढ़ा दिया है जिसमे सबसे पहले डाक्टर संजय सिंह का नाम भी ले लिया। डाक्टर राजकुमार अपने चेम्बर से बाहर निकलकर आते है और मजिस्ट्रेट के सामने ही चिल्ला - चिल्ला कहने लगे कि हमने मोबाइल लिया है कोई क्या करेगा । लेकिन मजिस्ट्रेट के सामने डाक्टर राजकुमार उल्टा अपने को फसता देख मोबाइल को मजिस्ट्रेट के हाथो सबके सामने सौप कर अपना पिंड छुड़ा लिया।
जब स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी से इनके अस्पताल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इनके अस्पताल का नरसिंग होम के नाम से कोई रजिस्ट्रेशन नही है केवल इनका क्लीनिक के नाम से रजिस्ट्रेशन बताया । साथ यह बताया कि क्या होता है क्लीनिक का मतलब? क्लीनिक में केवल दो मरीजो को देखरेख में रख सकते है लेकिन कई मरीजो को भर्ती नही कर सकते है। अर्थात यह क्लीनिक के नाम पर फर्जी अस्पताल चला रहा है। जो मरीजो के जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कुछ वर्ष पूर्व इनके तथाकथित अस्पताल में बच्चे के गलत इलाज के दौरान मौत हो गयी थी, मृतक बच्चे के परिजनों द्वारा जब तोड़ फोड़ शुरू किया गया तो डाक्टर और कर्मचारी कमरे में जाकर दुबक गये थे।
जब एक वरिष्ट डाक्टर से कुत्ते से होने वाली बीमारी के बारे में पूछा गया तो अपना नाम न छापने की बात कहकर बताया कि... कुत्ते चाहे घरेलू हो या बाहरी हो कुत्तो से तमाम तरीके के रोग फैलते है, खासकर तब जब कि डायरिया व कई तरह के रोगों से ग्रसित बच्चे अस्पताल में भर्ती है। तब रोगों से बढ़ने की शंका और बढ़ जाती है। कुछ पत्रकारो के चलते डाक्टरों की नजर में गिरता जा रहा है डाक्टरों की नजर में ये है पत्रकारो की औकात।
Vivek Kumar Singh
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