तेल लेकर घूमने वाले पत्रकारों की बाढ़ आ गई है... फूंक मार-मार कर छाती को चौड़ा करके 56 तक पहुंचाया जा रहा... किसी पत्रकार की इतनी औकात नहीं है कि वो एक सवाल उस आदमी से पूछ सके... जो सर्वशक्तिमान बनकर बैठा हुआ है... जो कहा, वो मानो... जो नहीं कहा, वो मत मानो... फिर भी हमारे दिग्गज पत्रकार तेल का कटोरा साथ में लेकर चाटने में जुटे हुए हैं... अगर एक छोटी सी बात भी हो जाती है.. तो सीधे मोदी से जोड़ कर माहौल टाइट कर दिया जाता है... टॉप बैंड में चाहे जितनी ख़तरनाक लाइन लिख दो... आखिरी में विस्मयादीबोधक (!) चिह्न लगा दो... आप पास हो जाते हो...
अगर ख़बर सरकार से नहीं जुड़ रही... तो मज़ा आने का सवाल ही नहीं है... सरकार ने एक योजना पर काम किया नहीं... कि बनारस को क्योटो बना देंगे... और फरीदाबाद को पेरिस.... मानकर चलिए कि जनता को चूतिया बनाने के अलावा अब पत्रकारों के पास कोई काम नहीं बचा है... स्वच्छता ऐसे दिखाएंगे... जैसे न्यूयॉर्क वाली फिलींग आएगी... क्रोमा काट कर ऐसे ऐसे सीन बनाए जा रहे.. और जनता को बरगलाया जा रहा... जो पत्रकारिता की हत्या समान है... बेहूदियत इतनी है कि नार्थ कोरिया के तानाशाह के पाप का घड़ा फोड़ने के लिए भी मोदी का नाम हमारा भारतीय मीडिया आगे कर रहा...
कुल मिलाकर दिखाया वही जा रहा... कि जो असंभव हो.. क्योंकि हमारे दर्शक वही देखना चाहते हैं... पत्रकारिता का मतलब होता था... सरकार पर दबाव बनाकर रखना... लेकिन आप दो चैनल्स के नाम नहीं बता सकते... जो किसी भी बात को लेकर सरकार पर दबाव बनाना चाहते हों... क्योंकि सबकी नज़रों में अब सीधा-सीधा सतयुग आ गया है... कोई अपराध नहीं, कोई महंगाई नहीं, कोई भ्रष्टाचार नहीं, पूरी तरह से राम राज है... पिछली सरकार ने 6 बार सर्जिकल स्ट्राइक कर दी... लेकिन कहीं सुगंध तक नहीं उठी... यहां एक ही स्ट्राइक के बाद उस ‘हगे’ हुए को... इतना ‘गंधवाया’ जा रहा... जैसे आज से पहले ऐसा हुआ ही नहीं... वाह से भारतीय मीडिया... तुम्हारी महानता की पराकाष्ठा है...
ये लिखा पत्रकार संजय सिंह की फेसबुक वॉल से लिया गया है. संपर्क : sanjaysingh27sept@gmail.com
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