गुरूवार को साहित्यकार प्रभात सरसिज के काव्य-संग्रह ‘लोकराग’ का लोकार्पण हुआ. लोकार्पण खगेन्द्र ठाकुर, रामवचन राय, शिवानन्द तिवारी, हृषिकेश सुलभा और शेखर ने समवेत रूप से की. कवि खगेन्द्र ठाकुर ने कहा कि कवि प्रभात सरसिज में एक श्रेष्ठ कवि कि सम्भावना है. उनके काव्य-संकलन में प्रछन्न रूप से मनुष्यता को व्यक्त करने कि कोशिश कि गई है. काव्य के साथ व्यक्त होने वाली इस पुस्तक कि भाषा भी बहुत समर्थ है.
कवि एवं आलोचक श्रीराम तिवारी ने अपने बीज वक्तव्य में कहा कि कविता में मानसिक अपंगता के अंत का नाम है ‘लोकराग’. उन्होंने कहा की प्रभात सरसिज हमारे बीच मुक्तिबोध कि भूमिका में हैं. उनका काव्य-संकलन कविताओं कि नाभि पकड़ने वाला संकलन है. डॉ रामवचन राय ने कहा कि चूँकि प्रभात सरसिज के इस संकलन की ज्यादातर कविताएँ कवीन्द्र रवीन्द्रनाथ टैगोर की कर्मभूमि शान्तिनिकेतन में लिखी गई है, इसलिए स्वाभाविक रूप से उनकी कविताओं की प्रकृति स्मृतिगंधा है. उन्होंने कहा कि प्रभात बहुत मितव्ययी, संकोची और कम शब्दों को खर्च करने वाले दुर्लभ कवि हैं. उन्होंने माना कि काव्य प्रतिभा का जो शीर्ष होता है, वह बात प्रभात की कविताओं में देखने को मिलती है.
शिवानन्द तिवारी ने कहा कि प्रभात ने कविता में संघर्ष के स्वर को बुलंद किया है. हृषिकेश सुलभ ने चंडीदास और उनकी प्रेमिका पर लिखी गई कविता का खास तौर पर जिक्र करते हुए कहा कि प्रभात में एक अव्वल कवि की तमाम संभावनाएं मौजूद हैं. इनकी कविताओं में आने वाले कल की चिंता बहुत बारीकी के साथ अभिव्यक्त हुई है. कथाकार शेखर ने कहा कि प्रभात सरसिज जनांदोलनों से कविता को जोड़ने वाले अपने तरह के अनूठे कवि हैं. उन्होंने ‘कवि जगपति’ नामक कविता को हिंदी की एक बड़ी सम्भावना वाली कविता के तौर पर रेखांकित किया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार खगेन्द्र ठाकुर ने किया. सञ्चालन अनीश अंकुर एवं धन्यवाद ज्ञापन अरुण नारायण ने किया. इस अवसर पर श्रीकांत, संतोष दीक्षित, प्रवीण मिश्र, अरुण शाद्वल, नरेंद्र कुमार आदि कई लोग उपस्थित थे.
अभिषेक कुमार सिन्हा
सचिव, रुक्मिणी मेमोरियल एजुकेशनल ट्रस्ट
निदेशक, टैगोर एडूकांस एवं टेक्नो हेराल्ड, मो. 9708036208
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