6.10.16

भास्कर की इस घटिया पत्रकारिता से आसाराम बापू के चाहने वाले दुखी

Lokesh Mahawar : पेज ले-आउट के दोयम दर्जे के पैंतरों, भ्रमित हेड-लाइन्स लगा देने के हुनर से तडकामार टाइप की खबरें छापने में माहिर दैनिक भास्कर जिस घटिया स्तर पर उतर आया है, देश के प्रिंट मीडिया में फिलहाल जारी ‘येलो-जर्नलिज्म’ के चलन में यह अव्वल दर्जे का कहा जा सकता है। कुछ दिनों पहले रांची के एक बड़े अस्पताल में एक महिला को जमीन पर खाना परोसने वाले करुणाजनक दृश्य का फोटो छापकर मुद्दे की अधूरी जानकारी देकर अखबार ने जो अपनी ‘बुलंद पत्रकरिता’ का जो बौड़म मचाया उसका कहना ही क्या? अगले दिनदैनिक जागरण द्वारा उसी खबर का विस्तृत विवरण देने के बाद हल्ला-गुल्ला अभी थमा भी नहीं था कि भास्कर अपनी नयी करतूत के साथ आ खड़ा हुआ। इस बार संत आसाराम बापू पर ऐसी सनसनीखेज मसालेदार न्यूज के चक्कर में बनावटी खबर लगा डाली कि बवाल खड़ा हो गया है. बेशक संत आसाराम बापू के समर्थक गुस्से में है और इस बार वे दैनिक भास्कर के संपादकों की बखिया उधेड़ने के लिए उतारू हैं।




मामला संत आसाराम बापू को दिल्ली के एम्स अस्पताल में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक स्वास्थ्य जाँच करवाने से सम्बंधित है। पिछले दिनों संत आसाराम बापू को कड़ी चाक-चौबंद सुरक्षा के बीच निजी कंपनी के विमान से मेडिकल जांचे करवाने के लिए राजस्थान पुलिस दिल्ली लेकर आयी और लगातार तीन दिन एम्स के विभिन्न विभागों में जाँच होती रही लेकिन इस दौरान भास्कर के ‘सुपर ह्युमन’ रिपोर्टर ने ऐसा वाकया कवर कर लिया और उसे छाप डाला जो कभी हुआ ही नहीं। और तो और इससे भी आगे बाकि के अख़बार और पोर्टल्स खबरिया अंधी भेड़ें ही साबित हुए जो भास्कर की कोरी-काल्पनिक खबर की वास्विकता भी न परखते हुए इसे अंधाधुंध छापते गए और फैलाते गए।

गौरतलब है कि दैनिक भास्कर ने 25 सितम्बर 2016 को “नर्स नाश्ते में बटर-ब्रेड लाई तो तिहाड़ से एम्स पहुंचा 80 साल का आसाराम बोला- तुम खुद मक्खन जैसी, गाल कश्मीरी सेब जैसे”की हैडलाइन से खबर प्रकाशित करते हुए लिखा कि संत आसाराम बापू को जांच से पहले डॉक्टरों ने नाश्ता कराने को कहा तो एक नर्स बटर और ब्रेड ले आई। बापू उसे देखते ही बोले- "तुम तो खुद मक्खन जैसी हो, ब्रेड के साथ मक्खन लाने की क्या जरूरत है? तुम्हारे गाल भी सेब जैसे लाल हैं। तुम कश्मीर की होगी। तभी तुम्हारे गाल वहां के सेब-टमाटर जैसे हैं।

"दैनिक भास्कर के इस ‘सुपर ह्युमन रिपोर्टर’ की छिछोरे शब्दों से भरी इस मनगढ़ंत रिपोर्टिंग की सच्चाई, आईये हम तार-तार करके दिखलाते हैं -

गौरतलब है कि जोधपुर प्रकरण में संत आसाराम बापू की याचिका सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए विचाराधीन है। कोर्ट ने राजस्थान पुलिस को दिल्ली लाते वक्त और एम्स अस्पताल मेडिकल जाँचों के दौरान कड़ी से कड़ी सुरक्षा मुहैय्या कराने का आदेश दिया हुआ था क्यूँ कि इससे पहले भी जब बापू को एम्स लाया गया था, समर्थकों की भीड़ ने बाधा पहुँचाने की कोशिश की थी। यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में जमानत की पिछली सुनवाईयों के दौरान उठा था. तो इस बार पुलिस ने कड़ी सुरक्षा का इंतजाम रखा और विभिन्न विभागों में ले जाते वक्त दस से भी ज्यादा लोगों के पुलिस स्टाफ ने बापू हमेशा घेरे रखा। गजब बात है कि दैनिक भास्कर के इस‘सुपर ह्युमन’ रिपोर्टर ने इस पुलिसिया घेरे को तोडा और जांचों के दौरान संत आसाराम बापू के हर क्रियाकलापों पर सर्विलेंस करता रहा।

एकबारगी मान भी लें, ये ‘सुपर ह्युमन’ रिपोर्टर वहां नहीं था, नर्स ने उसे बताया होगा. लेकिन बात करने पर एम्स के पीआरओ ने बताया कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। ना ही किसी नर्सिंग स्टाफ ने ऐसी घटना की शिकायत की है। ना ही पुलिस ने भी ऐसी कोई घटना दर्ज की है या फिर रिकॉर्ड पर ली है।

संत आसाराम बापू मामले में खबरों को कुरेद-कुरेदकर निकालने वाले और उसे तड़का मार स्टाइल से बताने और लिखने वाले रिपोर्टर्स जो बापू दीखते ही टूट पड़ते हैं, जब दिल्ली में बापू को लाया जाये तो कवर करने के लिए इकठ्ठा न हो, संम्भव ही नहीं है। हुआ ऐसा भी,सभी मीडिया ग्रुप्स के रिपोर्टर्स जमा थे तो केवल दैनिक भास्कर को यह बात कैसे मालूम हुई। ये हुई ना सुपर ह्युमन की रिपोर्टिंग वाली बात!

अधूरी पत्रकारिता के झंडबरदार ‘दैनिक भास्कर’ का ‘सुपर ह्युमन’ रिपोर्टर क्यूँ पूरी जानकारी जुटाने में असफल रहा। संत आसाराम बापू का स्वास्थ्य लगातार ख़राब चल रहा हैऔर कोर्ट ने डाक्टरों की हिदायतों के अनुसार हल्का और सुपाच्य भोजन उनके आश्रम से उपलब्ध कराये जाने का निर्णयदे रखा है और सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली लाये जाने के लिए बापू के भोजन आदि की व्यवस्था करने और व्हील चेयर चलाने के लिए उनके साथ एक सेवाकर्मी लाने की इजाजत दी थी, बापू और सेवाकर्मी की यात्रा का खर्चा उनकी संस्था ने उठाया था। ये एक निरा कोरी बात है कि बापू को नर्स द्वारा भोजन दिया गया। उनके खाने पीने का सामान उनका सेवाकर्मी ‘विमल' लेकर आया था।

गौरतलब है कि दैनिक भास्कर ने संत आसाराम बापू पर पिछले कुछ दिनों से निरर्थक और तथ्यों रहित खबरें प्रकाशित करने का अभियान छेड़ रखा है जिसके चलते जमानत की कानूनन प्रक्रिया को प्रभावित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। बात और भी है, हाईकोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई केदौरान भी जब मेडिकल बोर्ड द्वारा सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा करायी गयी थी इसी अख़बार ने अपनी ‘पहुँच’ के जरिये उस रिपोर्ट को हासिलकिया और कोर्ट में पेश होने सेपहले अपने अख़बार में छाप दिया. दिल्ली लाये जाने के दौरानबापू के जेल से निकलते वक्त, प्लेन मेंसवार होने से लेकरएम्स तक पिछलग्गू होकर एक से बढ़कर एक झूठी खबरें छापी और मनगढ़ंत कयासों को हवा दी। कुल मिलाकर भास्कर के खालिया-दिमाग वाले संपादकों के ऐसे कदम अपने हुक्मरानों के इशारों ‘सुपारी जर्नलिज्म’ करने के लिए सोच बैठे हैं?

आये दिनों सीख और एथिक्स की दुहाई देने वाली जज्बाती कैम्पेंस की आड में हिन्दू उत्सव-त्यौहारों को निशाने परलेने वाले संपादक यदि क्रन्तिकारी पत्रकारिता की मिसाल रखना चाहते हैं तो अपने मालिक डीबी कार्प के चेयरमैन रमेश चन्द्र अग्रवाल के ऊपर लगे रेप के आरोपों पर भी लिखकर दिखाओ। संत आसाराम बापू पर लगे रेप केस की कवरेज में मुस्तैद रहने वाले संपादकों क्यूं तुमने और तुम्हारी बिरादरी ने रमेश अग्रवाल इस कांड को राजनैतिक रसूख से दबा दिया? पीडिता को डरा धमकाया गया। गौरतलब है कि2014 में रमेश चन्द्र अग्रवाल के खिलाफ रेप करने का मामला सामने आया थाजिसमें पीडिता का कहना था कि रमेश चंद्र अग्रवाल ने उसे शादी का झांसा देकर वर्षों तक उसके साथ बलात्कार किया था. लेकिन क्या खबरिया बिरादरी मुंह पर टेप लगाकर बैठ गयी।
यदि और आगे बढ़ सको तो हाल ही में पनामा पेपर लीक में अपने डायरेक्टर्स द्वारा विदेशों में छुपायी गयी काली कमाई पर कुछ लिखने-छापने की हिम्मत है? या फिर सिर-फुटव्वल बनाने के लिए सिर्फ संत आसाराम बापू मिल रहे हैं?

Lokesh Mahawar
lokeshmahawar11@gmail.com

2 comments:

  1. iska matlab aap asaram ke samarthak hain...tabhi aap inko abhi bhi sant keh rahe hain...

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  2. Denik bhasker is a family of prostitute's.

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