9.10.16

खून की दलाली बनाम राजनीतिक स्यापा

अर्पण जैन 'अविचल'

दिल्ली से लेकर दंतेवाड़ा, मुंबई से लेकर मीरपुर और बंगाल से बारामूला तक हिंद के जनमानस में केवल और केवल 'सर्जिकल स्ट्राइक' ही बसा हुआ है| कुछ समय पहले सर्जिकल स्ट्राइक जिसकी परिभाषा से भी देश का वास्ता नहीं रहा उसी परिभाषा ने आज देश को सेना के प्रति ज़िम्मेदार बनाया है| सन 1971-72 के बाद और कारगील युद्ध के समय सेना के प्रति राष्ट्रवासियों का प्रेम उमड़ा था, वही हाल आज सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी देश की जनता के है वही प्रेम, वही अपार स्नेह| किंतु जब राष्ट्रवासी सीमा के रक्षकों के त्याग का महिमामंडन कर रहे हो, उसी दौर में ज़िम्मेदार राजनीतिक दल के युवराज का बचकाना बयान कही ना कही उस दल के मानसिक अपरिपक्व होने का प्रमाण भी देता है|


आज देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल होने का दंभ भरने वाली कांग्रेस के युवराज और कहें 'पीएम इन वेटिंग" की बदजुबानी सेना की सफलता के प्रचार को 'खून की दलाली' मान रहे हैं और खून के पीछे छिपे होने की बात कर, अमूल बेबी की भाँति ही व्यवहार कर रहे है | सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधने वाले राहुल गांधी ना केवल अपनी अल्पबुद्धि का परिचय दे चुके बल्कि विरोधियों द्वारा दिए नाम पप्पू की भी सार्थकता सिद्ध कर दी | सन 2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम आने के साथ साथ ही देश में गैर ज़रूरी मुद्दो की राजनीति शुरू हो गई थी, बिहार चुनाव के पूर्व अवॉर्ड वापसी और विधवा विलापी गेंग सक्रिय रही|

यूपी में ढाई दशक बाद सत्ता वापसी की कोशिश में जुटी कांग्रेस के युवराज कुछ दिन पहले देवरिया से शुरू हुई किसान यात्रा पूरी कर दिल्ली पहुंचे थे. लेकिन राजधानी पहुंचते ही उन्होंने यह बयान देकर सब कुछ गुड़ गोबर कर दिया है. यूपी में सभाओं के दौरान सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सेना और केंद्र सरकार की तारीफ करने वाले राहुल गांधी का नया अपरिपक्व दांव कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकता है. बीजेपी ने कांग्रेस को याद दिलाया कि पूर्व में उसके नेताओं के ऐसे बयानों के बाद उनका क्या हश्र हुआ है | बेहद संगीन मुद्दो पर कांग्रेस नेता संजय निरूपम  और आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सेना से सबूत माँगना और युवराज का इस तरह की राजनीतिक बयानबाजियाँ करना केवल दुश्मन देशों में किरकिरी कराने से ज़्यादा कुछ नज़र नहीं आ रहा|

विगत वर्षों में राजनीति केवल दोहरे चरित्र वाली ही मानी जा रही है, जैसे कुछ दिनो पूर्व ही युवराज ने सर्जिकल स्ट्राइक पर मोदी की भरसक तारीफ की थी, कहा था की ढाई साल में पहली बार मोदी ने प्रधानमंत्री लायक कोई काम किया है, वहीं केजरीवाल भी खुले मन से सेना के समर्थन में आए थे , ना जाने एसा क्या हुआ इन नेताओ को जो हफ्ते भर में ही पलटी मारते हुए एक और केजरीवाल सेना से स्ट्राइक के सबूत माँगने लग गये और पाकिस्तानी मीडिया के सिरमौर बन गये वही दूसरी और राहुल गाँधी को मोदी खून के दलाल नज़र आने लग गये | वैसे इतिहास की राजनीति में दलाली शब्द के जन्मदाता भी इसी गाँधी परिवार से निकले हैं , बोफोर्स कांड इसका प्रमाण है , फिर ना जाने कितनी खूनी मंज़र, सन 1986 का सिख नरसंहार भी शायद इसी श्रेणी में माना जाए | किंतु इतिहास की किताबों से दूर राहुल की रणनीति केवल बौखलाहट ही नज़र आरही हैं|

1960 में, "पंचशील" की खुमारी के तहत, नेहरू ने साफ कह दिया था कि  "हमको सेना नही पुलिस चाहिए", और सेना की 4th. Division (about 32000 officers & men) को, पटियाला में, नागरिक आवास बनाने में लगा रखा था, इतना ही नही, फौज के तीनों अंगों को Joint Command करने वाले, Commander-Chief of Armed Forces) को हटा कर, आर्मी, नेवी, एयर फोर्स के लिए अलग अलग Chief of Staff नियुक्त कर दिया |

1947 - 48 में, कश्मीर एक्शन के दौरान, UNO में जाकर, फौज की जीती बाज़ी को नेहरू ने हार में बदल दिया और POK बनवा दिया, जो आज हमारा सर दर्द बना हुआ है |  1962 में, नेफा और हिमालय की ऊंची पहाड़ियों पर, भारतीय फौज को चीन का सामना करना पड़ा और बुरी हार हुई, क्योंकि उस समय फौजियों के पास जूते और कपडे भी नही थे, गोल बारूद की बात तो छोड़िये|
1965 में, सैकड़ों सैनिकों की शहादत के बाद हमारी फौज ने, "हाजीपीर पास" को पाकिस्तानियों से जीता था, जिसको किसी भी कीमत पर लौटाया नही जा सकता था, क्योंक़ि इसी के पास से सारे आतंकी भारत में घुसते है, इतने महत्वपूर्ण "हाजीपीर पास" को इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को लौटा दिया, जो सेना की कुर्बनियों का सरासर अपमान ही था, और उसी इंदिरा गांधी का पोता आज कहता है कि भाजपा "खून की दलाली" कर रही है |   अब इस अपरिपक्व अमूल बेबी से घृणा करे या दया.....?

जिसे इस राष्ट्र का भूगोल, इतिहास नहीं मालूम, जो किसानों के हितार्थ यात्रा निकालने का ड्रामा कर रहा हो और आलू की फैक्ट्री लगाने की बात करता हो उससे इससे ज़्यादा उम्मीद भी क्या की जा सकती है | समय परिवर्तन का हैं किंतु परिवर्तन कांग्रेस में इस तरह से आएगा सियासी पंडितों के भी समझ से परे है | युवराज का जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी को खून की दलाली में लिप्त कह कर भारतीय सेना को अपमान अर्पण करना केवल राजनीतिक स्यापा ही है समय रहते कांग्रेस ने यदि इस भूल को नहीं संभाला तो दहाई के अंको में सिमटी कांग्रेस के बुरे दिन फिर कोई रोक नहीं सकता |

अर्पण जैन 'अविचल'
पत्रकार एवम् स्तंभकार
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