-------- आधा हमारा-आधा तुम्हारा --------
है कालेधन का नियम पुराना
आधा तुम्हारा-आधा हमारा
ये कल्लू जन्मा है जिस गुनाह से
आधा तुम्हारा-आधा हमारा
चले है मिलकर गुनाह छिपाने
इसे सियासी कफन पहनाने
सफेद करके, कलंक छिपाके
कबर बनाके, दफन कराके
गुनाहो को दे खिराजेअकीदत
निभा रहे हैं वो दोस्ताना
वो चुपके-चुपके तय कर चुके हैं
सियासी रहबर ये कह चुके हैं
तुम्हारी दौलत-हमारा रुतबा
आधा तुम्हारा- आधा हमारा
गरीब जनता को बलगला दो
फिर ख्वाब उसको नया दिखा दो
उसे थका दो, उसे डरा दो
उसे नचा दो, उसे छका दो
जो खत्म न हो वहाँ लगा दो
उसे कतारो मे ही फंसा दो
तुम अपने कल्लू की कालिखो के
कलंक गरीबों पर ही लगा दो
सियासतदाओँ- भ्रष्ट अमीरो
बिके कलमकारो और वजीरो
तुम्हारे नाटक की औडियन्स है
ये आम जनता तो कमअक्ल है
हो तुम अदाकारी का खजाना
इसे ही उल्लू सदा बनाना
तुम्हारे सपनों से थक चुके हैं
तुम्हारी चालो मे फँस चुके हैं
तुम्हारी बातों मे आ गये थे
तुम्हारे झाँसो को सच समझकर
पीएम बनाने का ये गुनाह है
आधा हमारा-आधा तुम्हारा ।।
रचनाकार - नवेद शिकोह
08090180256
NAVEDSHIKOH84@REDIFFMAIL. COM
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