हे प्रभु
ये कैसी लीला है
नोट खातिर ठेलम-ठेला है।
कब सोते हैं, कब जाग जाते हैं
ये मेरे बच्चे भी नहीं जान पाते हैं।
मोदीजी दिल्ली में गरजते हैं ढ़ाई लॉंख मिलेंगे
मेरे गॉंव में तो दो हजार दे के बाहर कर देते हैं।
नोट खातिर मरने की खबर सुन-सुन कर
मेरे बीबी-बच्चें भी डरने लगे हैं।
अब की खेत बंजर रहेंगे
बिटिया के हाथो की मेंहदी भी छूट जायेंगी।
क्या करें?
हे प्रभु!
रोना तो हमारी किस्मत है
रो-रो के ये दिन भी कट जायेगा.., कट जायेगा।
-प्रवीण कुमार सिंह
संपर्क : 9968599320
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