27.12.16

हाथरस : चुनावी हलचल (2017 विधानसभा उ0प्र0)

हाथरस तीन विधानसभा क्षेत्रों वाला जिला है।  1. सिकंदराराऊ (सामान्य) 2. हाथरस (सुरक्षित) 3. सादाबाद (सामान्य)। वर्तमान में सिकंदराराऊ बसपा के पास है । रामवीर उपाद्याय निर्वाचित ,विधान सभा सदस्य हैं।  हाथरस (सुरक्षित) बसपा के पास है । चौधरी गेंदालाल निर्वाचित विधानसभा सदस्य है। सादाबाद (सामान्य) सपा के पास है । देवेंद्र अग्रवाल निर्वाचित विधान सभा सदस्य है।  2017 में चुनावों की चौसर तमाम संदेहों की चादर के नीचे दबी हुई है । कब कौन अपने झंडे डंडे और निष्ठाओं को तिलांजलि दे अपने अतीत को इतिहास में दफन कर देगा , अभी कहना कठिन है।


हाथरस से चौधरी गेंदालाल दो बार लगातार 2007 और 2012 में  बसपा से विधायक चुने जाते रहे हैं । इस बार उनको बसपा का प्रत्यशी बना के न सिर्फ उनकी टिकट छीनली गयी , साथ में पार्टी की सदस्यता भी छिन गयी । चौधरी साहब अखबारों में पार्टी में अपने विरोधियों के सर पर तमाम आरोप लगा चुके हैं । पर कभी पार्टी पर अपनी कमजोर पकड़ होने को स्वीकार नही किया । उनके विरोधी ही उनपर हॉबी रहे उन्हें पूरी तरह सड़क पर ला पटका । अपनी धूल झाड़ फिलहाल उन्होंने येनकेन प्रकारेण बीजेपी के झंडे डंडे को पकड़ खुद को फिर जमीन पर खड़े होने लायक बना लेने के संकेत दिए हैं । पर चुनवों में खड़े रहने लायक बन पाएंगे लोग अभी सिर्फ कयास ही लगा रहे हैं ।

फिलहाल बसपा ने हाथरस से बृजमोहन राही को अपना टिकट दिया है । वे युवा वकील हैं । क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने को लालायित है । दौड़भाग कर रहे हैं । पर पकड़ बनाने के लिए पूरी तरह पार्टी में कद्दावर समझे जाने वाले रामबीर उपाद्याय पर आश्रित हैं , ऐसा क्षेत्र के लोग बताते हैं । लोगों का कहना है कि हाथरस के ब्राह्मण समाज पर उपाद्याय की मजबूत पकड़ है । इस पकड़ का लाभ खुद उठाना एक बात है , दूसरे को दिलाना तमाम सवालों के जबाब मांगता है ।

सपा ने हाथरस में मूलचंद निम् को प्रत्याशी बनाया है । उनपर रामनारायण काके की छायाँ मंडरा रही है । 2012 में काके सपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं और वे गेंदालाल के मुकाबले दूसरे नम्बर पर रहे थे । सपा की पारिवारिक उठापटक के चलते निम् को टिकट तो मिल गया है पर लोगों को अभी भी भरोसा है कि उनका टिकट कट जाएगा और काके को मिल जाएगा । चर्चाएं हैं कि सादाबाद विधायक देवेंद्र अग्रवाल काके के लिए मुलायम परिवार में अपने सूत्रों के सम्पर्क में हैं ।

बीजेपी में हाथरस से  टिकट मांगने वालों की लंबी लिस्ट है । हाथरस लोकसभा (सुरक्षित) से चुने हुए सांसद यूँ तो बीजेपी के राजेश दिवाकर हैं । पर स्थानीय संगठन में उनका भारी विरोध  है । चर्चा है कि वे अपनी पत्नी को टिकट दिलाने के लिए ऊपर ही ऊपर लगे हुए हैं । कुछ ऐसे भी टिकटार्थी हैं जिन्हे चूनावों में खर्च करने की अपनी सामर्थ और मोदी जी के नाम और काम का भरोसा है । तो ऐसे टिकटार्थी भी हैं जिन्हे आरएसएस के अनुषांगिक संगठनों में अपने परिवार की निष्कलंकित निष्ठाओं और सेवाओं के प्रतिफल में टिकट पाने का भरोसा है ।

सिकंदराराऊ (सामान्य) से सपा ने अपनी टिकट इस बार फिर यशपाल सिंह चौहान को दी है । चौहान 2007 में बीजेपी से विधायक चुने गए थे । लेकिन 2012 आते आते बीजेपी को धता बता सपा के  टिकट पर बसपा प्रत्याशी से कड़े मुकाबले में कुछ सैकड़ा वोट से हार गए थे । रामबीर उपाद्याय इस बार अपना जीता हुआ सिकंदराराऊ क्षेत्र छोड़ गए है । क्यों ? लोग कयास लगाते हैं कि इस बार उन्हें अपनी जीत का भरोसा नही रहा होगा । चौहान का अतीत और कार्य संस्कृति की पृष्ठभूमि आरएसएस से जुडी रही है । आरएसएस के अतिरिक्त बीजेपी में भी सभी बड़े छोटे नेताओं से उनके मधुर व्यक्तिगत पारिवारिक रिस्ते आज भी है । वे बिना झिझक ये स्वीकार भी करते हैं । परंतु साथ ही इन सम्बन्धों को बीजेपी में घर वापसी का आधार बनाने से वे दो टूक इंकार करते हैं । वैसे क्षेत्र में लोगों कहते हैं कि यदि बीजेपी यशपाल सिंह चौहान को प्रत्याशी बानाएँ ये सीट उसकी झोली में ही जायेगी ।

बसपा से बनीसिंह बघेल को टिकट मिला है । 2012 में भी बसपा ये सीट जीत चुकी है और उसीके पास है सिर्फ इस बार चेहरा बदला है । चर्चा है कि बनीसिंह को बसपा का टिकट दिलवा कर रामबीर ने 2012 के चुनावों में बघेल समाज को उनके पक्ष में वोट देने के लिए तैयार करने का कर्ज चुकाया है । बघेल की इस क्षेत्र में अपनी कोई पहचान और जमीनी पकड़ नही है । उन्हें ऊपर सिर्फ बहन जी के नाम और काम तथा क्षेत्र में रामबीर के चेहरे और दबदबे का भरोसा है ।

बीजेपी ने अपना कोई प्रत्याशी घोषित नही किया है । यहां भी टिकटार्थियों की लंबी लिस्ट है ।

सादाबाद में बसपा के प्रत्याशी रामबीर उपाद्याय खुद चुनाव लड़ेंगे इस पर क्षेत्र के लोगों को शतप्रतिशत यकीन नही है । लोगों में इस संशय का कारण खुद रामबीर की पार्टी में ब्राह्मण चेहरा और पार्टी में उनकी निष्ठा और सबसे बड़ा बहनजी के विश्वासपात्रता ही कारण है । लोग में ये धारणा घर कर गयी है कि बहन जी चाहती हैं कि रामबीर खुद अपने चुनाव में उलझे बिना पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी चुनाव संचालन पर ध्यान केंद्रित करें । हालांकि रामबीर ने खुद बहन जी की इस धारणा की कभी पुष्टि की है , ऐसा कोई बयान सामने तो नही आया है । बस एक हवा बह रही है । खुद रामबीर सोशल मीडिया पर इन चर्चाओं कि वे बीजेपी का दामन थाम सकते हैं से खासे परेशान हैं । इसका जोरदार खंडन तो वे करही चुके है और साथ ही उन चैट ग्रुप सदस्यों के विरुद्ध कानूनी कदम उठाने की बात भी करचुके हैं जिन्होंने बे सिर पैर के ऐसी चर्चाओं के पंख लगाए हैं । पर चर्चायें तभी थमेंगी जब रामबीर अपना पर्चा बीएसपी प्रत्याशी के बतौर भर चुकेंगे । दबदबे वाले व्यक्तित्व का ये एक स्वाभाविक स्याह पहलु भी है ।

सपा से देवेंद्र अग्रवाल वर्तमान में सादाबाद से विधायक हैं । पर सपा की ओर से इसबार वो ही चुनाव लड़ेंगे ऐसी आधिकारिक  घोषणा अभी नही हुयी है । शायद इस बात का इन्तजार है कि किसी दल जैसे आरएलडी आदि के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन होगा । अगर ऐसा हुआ तो मुमकिन है सादाबाद आरएलडी की झोली में चली जाए । तब डॉ0 अनिल चौधरी उसकी तरफ से एक साफ़ सुथरी छवि वाले दमदार प्रत्याशी होंगे ऐसी लोगों की धारणा है । वे पूर्व में भी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं । और विधायक रह चुके हैं ।

सादाबाद में भाजपा की स्थिति अन्य दोनों विधानसभा क्षेत्रों जैसी ही है । यहां भी टिकटार्थियों की लंबी चौड़ी लिस्ट हैं । पर मुख्य प्रतिद्वंदी सभी दलों के लिए रामबीर ही हैं । उनका मुकाबला और टक्कर वही दे सकता है जो हर फनमौला हो । धन बल बाहुबल और सबसे एहम चुनाव जीतने का तिकड़म बल उसके पास हो । वैसे बीजेपी को भरोसा है कि घाट घाट का पानी पी चुका एक चेहरा उसकी झोली में भी है ।

( ये रिपोर्ट बिना किसी जातिगत समीकरणों को सामने रख कर बनायी गयी है । जब तक सभी दलों के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा न हो जाए तब तक वो कसरत बेमानी ही होगी । हाँ , पूुरे जिले की तीनों सीटों पर वर्तमान स्थिति का एक साफ़ सुथरा नजरिया , आम वोटर के मन को टटोलने के बाद रखने का प्रयास भर है )

vinay oswal
vinayoswal1949@gmail.com

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