दिल्ली। कहानी लिखना एक साधना और एकाकी कला है। चाहे कितने आधुनिक साधन और संजाल आपके सामने बिछे हों, लिखना आपको अपनी नन्हीं कलम से ही है। कई कई दिन कहानी दिल दिमाग में पडी करवटें बदलती रहती हैं। अंतत: जब कहानी लिख डालने का दबाव होता है,अपने को अपने ही बहुरंगी घर-संसार से निर्वासित कर लेना पड़ता है। सुप्रसिद्ध कथाकार ममता कालिया ने विश्व पुस्तक मेले में राजपाल एंड सन्ज़ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम 'कालिया और कालिया' में अपने दिवंगत पति रवींद्र कालिया को याद करते हुए कहा कि जीवन संघर्ष ने उनकी रचनाधर्मिता को तीखी धार दी और रचनाकर्म कभी रुका नहीं।
इस अवसर पर राजपाल एंड सन्ज़ द्वारा सद्य प्रकाशित पुस्तकों 'मेरी प्रिय कहानियाँ - ममता कालिया' तथा 'मेरी प्रिय कहानियाँ -रवींद्र कालिया' का लोकार्पण भी हुआ। इस अवसर पर ममता कालिया ने कहा कि प्रतिनिधि और प्रिय कहानियों की अनेक शृंखलाएँ विभिन्न प्रकाशकों द्वारा संचालित हैं किन्तु राजपाल एंड सन्ज़ की शृंखला में अपनी किताब को देखना सचमुच सुखद और गौरवपूर्ण है क्योंकि यह इस तरह की पहली शृंखला थी जिसने व्यापक पाठकों तक पहुंच बनाई।
आयोजन में युवा आलोचक एवं बनास जन के संपादक पल्लव ने ममता कालिया तथा रवींद्र कालिया के कहानी लेखन के महत्त्व का प्रतिपादन करते हुए उन्हें हिन्दी कहानी के जरूरी हस्ताक्षर बताया। उन्होंने ममता जी की कहानी 'दल्ली' की चर्चा भी की। युवा कवि प्रांजल धर ने ममता कालिया से संवाद करते हुए उनकी रचना प्रक्रिया पर कुछ रोचक सवाल किये। उनके एक सवाल के जवाब में ममता कालिया ने रवींद्र जी की प्रसिद्ध कहानी 'नौ साल छोटी पत्नी' के लिखे जाने की कहानी सुनाई। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने रवींद्र कालिया की कहानी 'सुंदरी' तथा अपनी कहानी 'लड़के' को अपनी अब तक की सबसे प्रिय कहानियाँ बताया। ममता कालिया ने कहा कि अभी उनकी सबसे अच्छी कहानी लिखी जानी है और वही सबसे प्रिय कहानी भी होगी।
आयोजन में सुपरिचित कथाकार शिवमूर्ति, सुषम बेदी, प्रदीप सौरभ, हरियश राय, प्रेमपाल शर्मा, शरद सिंह, प्रभात रंजन,राजीव कुमार, उद्भावना के संपादक अजय कुमार सहित बड़ी संख्या में युवा लेखक, विद्यार्थी तथा पाठक उपस्थित थे। राजपाल एंड सन्ज़ की निदेशक मीरा जौहरी ने 'मेरी प्रिय कहानियाँ' शृंखला के बारे में बताते हुए अंत में सभी का आभार व्यक्त किया।
प्रेषक - प्रणव जौहरी
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