लखनऊ। एक तरफ तो प्रदेश में भ्रष्टाचार करने वालों की खैर नही का ढोल पीटा जा रहा है वही भ्रष्टाचारियों की अभी तक किसी भी तरह से चाबी पान्ना लगाया ही नही जा रहा है पिछली तीन सरकारों से मलाई काट रहे आईएएस अफसर अपने अपने जुगाड़ तलाश करने में लगे हुए है खबरें आ रहीं है कि कुछ का जुगाड़ हो गया है और कुछ अभी भी लगे हुए है उनकों भी उम्मीद है कि जुगाड़ बन ही जाएगा। अब ऐसे अफसरान योगी की स्वच्छ छवि को कलंकित करने का प्रयास बड़ी शिद्दत से कर रहे हैं।
सदाकान्त ने पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव की हैसियत से सुप्रीम कोर्ट के हाइवे के किनारे शराबबंदी के फैसले की काट निकाली है, वहीं चुगलखोर आईएएस नवनीत सहगल भी अपने ताने बाने को बुनने में लगा हुआ है नवनीत सहगल इस समय प्रमुख सचिव सूचना के पद का लाभ उठा रहें है उनके तलवे चाटने वाले पत्रकार संघ के लोगों में जाकर उनकी पैरोकारी कर रहे.. देखते हैं वह किस हद तक कामयाब होते हैं...खबरें तो यह भी मिल रही है कि चुगलखोर नवनीत सहगल आज कल भग्वा कलर के वस्त्रों का उपयोग कर तिलक लगाना नही भूल रहें है।
अब बात प्रमुख सचिव PWD की करते है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ही जुगाड़ निकाल लिया है ऐसे में करीब 500 शराब की दुकानें और खुल जाएगी।फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मंशा पर पूरी तरह से पानी फिर जायेगा।ये वही आईएएस सदाकान्त हैं जिन्होंने आवास विभाग में महाभ्रष्ट आईएएस पंधारी यादव संग हज़ारों करोड़ की लूट दोनों हाथों से की है।सदाकान्त को प्रमुख सचिव और पंधारी को सचिव आवास सिर्फ बड़े बिल्डरों के इशारे पर बनाया गया। नतीजतन पूरे प्रदेश में दागियों को अहम् तैनातियां और घोटालों का इतिहास रचा गया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार के दौरान कहा था कि प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार की जांच कराएँगे। इस भ्रष्टाचार के जिम्मेदार सदाकान्त पंधारी और एलडीए के वीसी सत्येंद्र सिंह जैसे दागी अफसर हैं।
सदाकान्त वही अफसर हैं जिनके खिलाफ 200 करोड़ के बॉर्डर एरिया घोटाले में सीबीआई ने 2012 से अभियोजन मंजूरी केंद्र से मांग रखी है फिर भी अपर मुख्य सचिव का पदनाम और महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी देकर अखिलेश ने खुद को यूपी की सत्ता से दूर कर दिया।पधारी यादव तो पहले से मनरेगा और खनन घोटालों की सीबीआई जांच में फंसे हैं।सूबे में आपके नेतृत्व में भाजपा की सरकार नित नए और साहसभरे फैसले लेकर आम जनता जो पिछले एक दशक से भ्रष्टाचार की नासूर बीमारी से कराह रही थी,उसमे एक नई आशा की किरण जगा रही है। एक दिन पहले महाभ्रष्ट दीपक सिंघल समेत कई अफसरों के भ्रष्टाचार का जीवंत प्रमाण गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की न्यायिक जांच इसका ताजा उदाहरण है।
ऐसे में जब देश की शीर्ष न्यायपालिका खुद शराब बंदी की पहल कर रही है तो शराब माफियाओं से करोड़ों रुपये लेकर सूबे के अफसर सैकड़ों नयी शराब दुकानों को खुलवाने का मार्ग किसके आदेश पर प्रशस्त कर रहे हैं ये बेहद जांच का विषय है ये शराब दुकानें भले आपको अरबों का राजस्व देंगी लेकिन सैकड़ों गरीबों की मौत से हासिल किया राजस्व आपको दशकों तक यूपी की सत्ता से भी दूर कर देगा। आशा है आप इस गंभीर प्रकरण का संज्ञान लेकर एक नजीर पेश करेंगे। आप एक संन्यासी हैं और बखूबी समझते हैं कि सत्य परेशान हो सकता है.. पराजित नहीं....भ्रष्टों के खिलाफ जंग जारी है।
लखनऊ से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
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