न मैं बेकार हूं, न मैं ईमानदार हूं
हां मुझे याद है, मैं एक पत्रकार हूं
निकला हुं आज फिर एक नई स्टोरी पर
अपने डे प्लान की थ्योरी पर
उस नेता की चोखट पर आज फिर से जाना है
जिस नेता का रिश्ता मेरी कलम से कुछ अंजाना है
न जाने देख कर क्यों मुझे वो मुस्कुराता है
लगता उसकी बातों से मेरा बॉस भी उससे घबराता है
मालिक की क्या सैटिंग है, मैं इस बात से अंजान हूं
हां, मुझे याद है मैं एक पत्रकार हूं।
निकला हूं बदलने देश-दुनिया, सहारे सुबर्तो, अंबानी और अड़ानी के
डिग्री के मायने क्या है मेरी, ये बताया टीम मार्केटिंग ने कहानी में
कलम ही नहीं, दफ्तर भी बदल जायेगा
अगर मेरे अंदर का गणेश शँकर विधार्थी जग जायेगा
बड़ी –बड़ी बाते जो तुम पर्दे पर करते हो वो फिर नहीं कोई सुन पायेगा
ये मीडिया नहीं, मार्केटिंग है
इसमें जो जितना बिक पायेगा, वो ही उतना ही मार्केट में टिक पायेगा।
टीआरपी की दौड़ में हम अंधविश्वास भी चलायेंगे
सुबह दिखायेगें मंदिर – मस्जिद
और शाम को इसी आस्था पर डिबेट करायेंगे
पीएम और सीएम को हम भगवान बना देंगे
कोई सिर काटे पाकिस्तानी सैनिक तो उसकी शामत ला देगें
बच्चा गिरा गढ़े में ये सबको बता देंगे
गाय, तीन तलाक और भ्रट्राचार पर खुब शोर मचा देंगे
हमारे लाला के पास पैसे कितने ये भी हम दिखा देंगे
कल तक जो था बैठा दूसरे चैनल पर, आज हम उसको इस चैनल पर ला देंगे
बात नहीं है सिर्फ एंकर की, रिपोर्टर भी है मारा –मारा
क्या कैमरामैन,-क्या टैक्निशन बेचारा
सबको इस मीडिया की चमक –धमक ने है मारा
तभी तो... न मैं बेकार हुं, न मैं ईमानदार हुं
हां मुझे याद है, मैं एक पत्रकार हुं
चुनाव मेरा पर्व है, विज्ञापन पर मुझे गर्व है
कितना स्पेस दिया किस दल ने
मेरे मालिक को ये सब खबर है
सरकार बदल जाये तो कोई गम नहीं, बदलाव तो नियम है
मेरी बीट से लेकिन विज्ञापन मिला नहीं मुझे, उस बात पर मुझे शर्म है।
प्राईम टाईम के बहाने मुझे छा जाना है, देश जानना चाहता है..ये शोर मचाना है
क्या है ब्रेकिंग... क्या अनब्रेकिंग
ये मैं जरुर बताउंगा, पर टीवी पर खबर अपने मालिक के मन की चलाउंगा
बिकता नहीं हुं मैं ये हर डिबेट में जरुर बताउंगा
ब्रेक के बहाने कंपनी को भी चार पैसे दिलवाउंगा
दर्द है दिल में मेरे, मैं ये छुपा जाउंगा
पर अपने पैकेज में दूसरों पर आंदोलनकारी बाते लिख जाउंगा
वैसे 24 घँटे की है दुकान मेरी, कुछ न कुछ तो बेक पाउंगा
किक्रेट, सिनेमा, क्राईम कल्चर
पॉलिटिक्स, भूत-प्रेत और कानून सहित, मैं सब कुछ दिखाउंगा
मैं खुद तो हुआ बर्बाद सही
युवाओँ को भी अपने चैनल का यही कोर्स ज्वाईऩ कराउंगा
कमीश्न मिले न मिले पर मालिक का वफादार बन जाउंगा
आऩे लगी है 10 तारीख पास मेरी
इसलिए अपनी कविता पर विराम लगाउँगा
साथियों, नाम न बताना किसी को मेरा
वर्ना मैं अपनी दुकान नहीं जा पाउंगा।
mukesh gupta
mukesh_s_gupta@yahoo.co.in
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