स्वतंत्रता दिवस हम सबके लिए एक मंगल दिवस और महत्वपूर्ण पर्व है, जिसकी अमर कहानी इतिहास में स्वर्णिम अच्छरों से दर्ज है. यह वही दिन था, जब समूचा भारत लाल सलाम का जयघोष करते हुए भारत माता को ब्रिटिस हुकूमतों के चंगुल से आजाद कराया था. उनकी कुर्बानियों की वजह से ही आज हम सब आजादी से साँस लेते हुए भारत माँ की गोद में पल बढ़ रहें हैं. सन 1857 से 1947 तक कड़े संघर्षों के बाद आज हमारा राष्ट्र विश्व क्षितिज पर अपना परचम लहरा रहा है. इस इंकलाब की पहली चिंगारी ब्रिटिस सेना में काम करने वाले सैनिक मंगल पाण्ड़े ने जलायी थी, जो बाद में शोला बनकर देश में व्यापक क्रान्ति लायी और अग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया. क्रान्ति के समूचे राष्ट्र भक्तों को हम सब नमन करते हैं.
आजादी की क्रान्ति को व्यापक रूप देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी सत्य एवं अहिंसा को हथियार बनाकर ब्रिटिस मंसूबों को चकनाचूर कर दिया था. यह बड़े फ़क्र की बात है कि आज भारत ही नहीं, वरन समूचा विश्व गाँधी दर्शन को स्वीकार करता है. मंगल पाण्ड़े, नेता जी, महात्मा गाँधी, पण्ड़ित नेहरू, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, असफाक उल्ला खाँ, भगत सिंह, राजगुरू, चन्द्रशेखर आजाद, खुदीराम बोस, वीर सावरकर व अन्य क्रान्तिकारियों ने भारत माँ की आन मान शान के खातिर अपने प्राणों की कुर्बानी दी, जिस पर आज इस समूचे मुल्क को फ़क्र है.
एक तरफ जहाँ आजादी के बाद लगातार हमारा राष्ट्र अथक परिश्रम से विश्व शिखर पर अपनी पहचान बनाने की ओर अग्रसर है. आज समूचे विश्व की निगाहें भारत पर टिकी हैं, क्योंकि सबसे युवा राष्ट्र होने के साथ साथ भारत सबसे बड़े लोकतंत्र वाला राष्ट्र है, प्रतिदिन नए नए आयाम रचे जा रहें हैं. दूसरी तरफ वहीं हम आतंकवाद, भ्रष्टाचार और अार्थिक रूप से गुलाम होते जा रहे हैं. समूचे भारत की बड़ी अर्थव्यवस्था कुछ गिने चुने लोगों के हाथों में सिमटती जा रही है. आज हम सबको एकजुट होकर आतंकवाद, भ्रष्टाचार और शोषण के विरूद्ध लड़ाई लड़नी होगी. हाँ, यह जरूर है कि यह लड़ाई अत्यंत गंभीर है क्योकि हमें अपने देश में अपनों के बीच रहकर राजनीति और राष्ट्रवाद का मुखौटा पहने लोगों के खिलाफ जंग लड़नी होगी, जो दीमक जैसा लगकर दिन प्रतिदिन राष्ट्र की जड़ों को कमजोर कर रहें हैं.
अहम बात यह है कि आज हम सबको अपने दायित्वों के प्रति वफादार बनने की आवश्यकता है. एक जवान अपना सारा जीवन भारत माँ की सेवा में न्यौछावर कर देता है. उसके पराक्रम की गाथा शब्दों से बता पाना सहज नही है. परन्तु यह जरूरी नहीं है कि हम सब सीमा पर दुश्मनों से लड़कर ही राष्ट्र की रक्षा करें. जरूरी यह है कि हम सब ईमानदारी के पथिक बनकर राष्ट्र की बुराइयों से लड़े. यही अमर वीर जवानों की सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
लम्बे अर्से की गुलामी के बाद देश आजाद हुआ. अंग्रेजों ने "फूट ड़ालो, राज करों" की नीति से हम पर राज किया और हमारा भरपूर शोषण भी किया. भारत छोड़ते वक्त भी गोरों ने हम सबके बीच साम्प्रदायिकता के बीज बो गए, जो आज मुल्क के लिए नासूर बन गया है. इसी का नतीजा है कि हम सब धर्म और मजहब में बटकर आपस में लड़ रहें हैं, वरना हम सब तो एक ही पिता की सन्तानें हैं और इन्सानियत ही हमारा पहला धर्म है. फिर आज इतनी जद्दोजहद ही क्यों ?. नतीजा भी सामने है - एक तरफ लोग भुखमरी और गरीबी से बेहाल हैं तो दूसरी तरफ राष्ट्र की सुरक्षा के खातिर लाखों रूपए प्रतिदिन खर्च हो रहें हैं.
कुल मिलाकर हम सबको जाग्रित होने की आवश्यकता है. आने वाली पीढ़ियों को इमानदार बनाएँ, कर्तव्यों के प्रति सजग करें और सबसे पहले एक नेक इंसान बनाएँ. अच्छे बुरे की परख हो, राष्ट्र भक्ति रग रग में हो, परिवार एवं समाज से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में कार्य करें. आज सोशल साइट्स पर बड़ी बड़ी बाते करने के अलावा हमें प्रण लेना चाहिए कि आत्मसम्मान, स्वाभिमान, कर्तव्यनिष्ठता एवं राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत होकर राष्ट्र के उन्नयन हेतु कार्य करेंगें और गलत करने वाले के खिलाफ़ लड़ेंगे. हम सब अपने छोटे छोटे कार्यों से राष्ट्र की नींव मजबूत करेंगें, यही सच्ची देशभक्ति होगी और अमर शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी.
जय हिन्द, जय भारत
शालिनी तिवारी
स्वतंत्र लेखिका
shalinitiwari1129@gmail.com
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