खुद मैंने भी नहीं सोचा था कि जो कुछ तथ्य मैं अपनी कहानी ग्लोबल बाबा में डाल रहा हूं , वह घटनाएं हू-ब-हू एक एक करके घटित होगी , फिल्म का निर्माण कार्य अगस्त 2013 से शुरू हुआ । निर्माण कार्य के दौरान ही बाबा की करतूतें भी सामने आने लगीं । पहले शिकार बने आसाराम बापू । जिन हरकतों के चलते वह आज सलाखों के पीछे हैं , उन करतूतों को मैंने पहले ही अपनी कहानी में लिख दिया था । मैंने एक गाना भी इनके उपर लिखा था जिसकी लाइनें थी –
बाबागिरी की सिंपल थ्योरी , मुंह में राम , बगल में छोरी
थोड़ी प्रापर्टी चारो धाम , थोड़े आशा थोड़े राम
इसके बाद रामपाल का नंबर आया । जिस तरह से उसके आश्रम में हथियार मिले और हिंसा हुई , उसे मेरी फिल्मी में फिल्माया जा चुका था । इसके बाद बाबाओं को लेकर देश का सबसे बड़ा कांड सामने आया राम रहीम के रूप में। बाबा की अकूत संपत्ति का मालिक होना और अपने साथ खूबसूरत गणिकाएं रखने की बाबाओं के सोक को मेरी कहानी में बखूबी दिखाया गया है । फिल्म ग्लोबल बाबा के टॉयटल सांग की ये लाइन बिल्कुल सटीक बैठती है
कहीं चल रही भजन आरती ...कहीं चले संभोग
राजयोग से बड़ा है भईया बाबायोग
एक पत्रकार के तौर पर मैंने अपने करियर की शुरूआत की लेकिन एक लेखक के तौर पर स्थापित होने की मेरी ललक के चलते मुझे इस ग्लोबल बाबा की कहानी को गढ़ने की प्रेरणा मिली । मेरी अयोध्या मसले पर सच पर आधारित एक कहानी की कोशिश जारी है । जो राजनीतिक गलियारे में तो हलचल पैदा करेगी ही साथ ही इसपर बनने वाली फिल्म भी यथार्थ के काफी करीब होगी ।
लेखक का परिचय
सूर्य कुमार उपाध्याय
ईटीवी न्यूंज , पीटीआई भाषा , जी न्यूज़ और जी बिजनेस में वरिष्ठ पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं
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